Tejashwi Yadav: तेजस्वी ने पापा लालू की नकल करते हुए कहा, 'यादव को भैंस नहीं पटक सका तो...'

Tejashwi Yadav: तेजस्वी ने पापा लालू की नकल करते हुए कहा, 'यादव को भैंस नहीं पटक सका तो...'
Last Updated: 8 घंटा पहले

महागठबंधन की सरकार बनने पर 10 लाख बेरोजगारों को नौकरी देने का आश्वासन देते हुए बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि भाजपा के शासन में महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी में वृद्धि हुई है। उन्होंने भाजपा पर नफरत फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके नेताओं के मुंह से कभी भी महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी का उल्लेख नहीं होता।

प्रतापपुर (चतरा): झारखंड में महागठबंधन की सरकार बनने पर 10 लाख बेरोजगारों को नौकरी दी जाएगी। गठबंधन के उम्मीदवारों को जीताइए और तुरंत नौकरी पाएं। वादों की भरमार करते हुए ये बातें बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहीं। तेजस्वी यादव शुक्रवार को प्रतापपुर हाई स्कूल के मैदान में आयोजित महागठबंधन के घटक दल राजद की प्रत्याशी रश्मि प्रकाश के समर्थन में आयोजित जनसभा को संबोधित करने के लिए आए थे।

हम जो कहते हैं, वह करते हैं

उन्होंने इस दौरान कहा कि भाजपा के शासन में महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी में वृद्धि हुई है। हमें इन समस्याओं का सामना करना होगा। बिहार में, हम ने 17 महीने के शासनकाल में उपमुख्यमंत्री रहते हुए चार लाख बेरोजगारों को नौकरी देने का कार्य किया। हम जो कहते हैं, उसे पूरा करते हैं।

तेजस्वी ने किया लालू का अनुकरण

तेजस्वी यादव ने अपने पिता लालू प्रसाद यादव की शैली में बोलते हुए कहा कि भाजपा वाले दावा करते हैं कि राष्ट्रीय जनता दल केवल यादवों की पार्टी है। वे कह रहे हैं कि राजद को वे कुचल देंगे। मैंने पूछा, जब वे यादव को भी भैंस नहीं पटकने दे पा रहे हैं, तो फिर ये भाजपा वाले क्या कर पाएंगे?

नोटबंदी, सबसे बड़ा घोटाला

भाजपा पर तंज कसते हुए कहा गया कि यह पार्टी केवल नफरत फैलाने का काम करती है। भाजपा के नेताओं के मुंह से कभी भी महंगाई का 'म', बेरोजगारी का 'ब' और गरीबी का 'ग' शब्द नहीं निकलता है। आज आठ नवंबर है, जो नोटबंदी की बरसी है। प्रधानमंत्री मोदी ने आज के दिन नोटबंदी का ऐलान किया था, जो कि अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है।

नोटबंदी से पहले भाजपा के नेताओं ने काले धन का इस्तेमाल कर देश के हर जिले में जमीन खरीदकर फाइव स्टार कार्यालय बना लिए थे। उन्होंने यह भी कहा कि चतरा राष्ट्रीय जनता दल का गढ़ रहा है और यहां के लोगों ने हमेशा राजद का झंडा ऊंचा रखा है।

आमसभा में बिहार के पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी, झारखंड के पूर्व मंत्री सत्यानंद भोगता, विकासशील इंसान पार्टी के संस्थापक और बिहार विधान परिषद के सदस्य पूर्व मंत्री मुकेश सहनी, राजद की प्रत्याशी रश्मि प्रकाश सहित अन्य नेताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।

हैट्रिक का सपना, नहीं हुई साकार

चतरा विधानसभा क्षेत्र में जीत की हैट्रिक किसी भी उम्मीदवार के लिए संभव नहीं हो सकी है। उम्मीदवारों ने अपनी तरफ से प्रयास अवश्य किए, लेकिन मतदाताओं ने उन पर विश्वास नहीं किया। परिणामस्वरूप, यह अद्भुत उपलब्धि अब तक किसी को भी प्राप्त नहीं हो पाई है। 1952 से 1977 तक चतरा विधानसभा क्षेत्र असुरक्षित रहा।1980 के चुनावों से पहले इसे अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित कर दिया गया। 1952 के चुनाव में कांग्रेस के सुखलाल प्रसाद सिंह ने यहां से जीत हासिल की थी। उन्होंने रामगढ़ राजा की छोटानागपुर संथाल परगना जनता पार्टी के उम्मीदवार कामाख्या नारायण सिंह को हराया था। लेकिन 1957 के चुनाव में, रामगढ़ राजा कामाख्या नारायण सिंह ने कांग्रेस के प्रत्याशी और मौजूदा विधायक सुखलाल बाबू को हरा कर अपनी हार का बदला ले लिया।

कामाख्या नारायण सिंह ने चतरा के अलावा अन्य निर्वाचन क्षेत्रों से भी चुनाव जीते थे, जिसके कारण उन्होंने चतरा सीट से त्याग पत्र दे दिया। इस कारण उप चुनाव कराना पड़ा, जिसमें जीत छोटानागपुर संथाल परगना जनता पार्टी के उम्मीदवार शालीग्राम सिंह ने हासिल की, जिन्होंने सुखलाल बाबू को परास्त किया। 1962 और 1967 के चुनाव में केशव प्रताप सिंह ने जीत हासिल की। 1968 में विधानसभा भंग हो गई और 1969 में एक बार फिर चुनाव हुए, जिसमें कामाख्या नारायण सिंह ने मैदान में उतरकर कांग्रेस के सुखलाल सिंह को पराजित किया।

1970 से 1977 का घटनाक्रम

1970 में कामाख्या नारायण सिंह का निधन हो गया, जिसके कारण उपचुनाव कराना पड़ा। इस उपचुनाव में कुंदा राजा प्रजापालक सिंह ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार उपेंद्र नाथ वर्मा को हराया। 1972 के आम चुनाव में कांग्रेस के तापेश्वर देव ने जनसंघ के उम्मीदवार और निवर्तमान विधायक प्रजापालक सिंह को पराजित किया। 1977 में जनता पार्टी के उम्मीदवार सैयद शबा अहमद साबरी ने मामूली मतों के अंतर से निर्दलीय उम्मीदवार प्रजापालक सिंह को हराया, जिसके बाद चतरा विधानसभा क्षेत्र सुरक्षित हो गया।

1980 में हुए चुनाव में कांग्रेस के महेश राम ने जनसंघ के बीकू राम को हराया। 1985 और 1990 के चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार महेंद्र सिंह भोक्ता ने जीत हासिल की। 1995 में राजद के प्रत्याशी जनार्दन पासवान ने महेंद्र सिंह भोक्ता की हैट्रिक का सपना तोड़ दिया। 1999 और 2004 के चुनाव में भाजपा के सत्यानंद भोक्ता ने जीत हासिल की। हालांकि, उन्होंने 2009 का चुनाव सिमरिया से लड़ा, लेकिन हार गए।

चतरा का चुनाव राजद के उम्मीदवार जनार्दन पासवान ने जीता। 2014 में भाजपा के जयप्रकाश सिंह भोक्ता ने राजद को सीट से बाहर कर दिया। 2019 के चुनाव में जनार्दन भाजपा के उम्मीदवार बने, जबकि सत्यानंद भोक्ता राजद से चुनावी मैदान में थे। इस बार जीत सत्यानंद भोक्ता की हुई। इस प्रकार, 1952 से लेकर अब तक किसी भी उम्मीदवार ने जीत की हैट्रिक नहीं लगाई है।

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