Uttarakhand News: उत्तराखंड में नया कानून लागू, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर दोषियों से की जाएगी वसूली

Uttarakhand News: उत्तराखंड में नया कानून लागू, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर दोषियों से की जाएगी वसूली
Last Updated: 4 घंटा पहले

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट किया, "देवभूमि उत्तराखंड में किसी को भी कानून व्यवस्था और राज्य की मूल पहचान को नष्ट करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस कानून का राज्य में कठोरता से पालन किया जाएगा।"

Uttarakhand: उत्तराखंड में दंगों और आंदोलनों को नियंत्रित करने के लिए सख्त कानून लागू किया गया है। इस कानून के तहत, दंगों के दौरान हुए नुकसान की भरपाई दोषियों से की जाएगी। राज्य में किसी भी दंगे के बाद सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की वसूली की योजना बनाई जा रही है। सूबे की सरकार ने राज्यपाल की अनुमति प्राप्त करने के बाद यह नया कानून लागू किया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस कानून को राज्य की शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक बताया है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि देवभूमि की शांति को नुकसान पहुंचाने वाले व्यक्तियों पर कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति हो सके।

इस कानून के तहत नुकसान की भरपाई सुनिश्चित

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड लोक (सरकारी) तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली (अध्यादेश) कानून-2024 को राज्यपाल द्वारा मंजूरी देने पर आभार और धन्यवाद व्यक्त किया है।मुख्यमंत्री ने कहा, "यह कानून दंगाइयों द्वारा सरकारी और निजी संपत्ति को पहुंचाए गए नुकसान की भरपाई सुनिश्चित करेगा। इसके साथ ही, दंगा नियंत्रण में लगे सरकारी कर्मचारियों और अन्य कार्यों पर हुए खर्च की भी वसूली की जाएगी।" सीएम धामी ने यह भी स्पष्ट किया कि देवभूमि उत्तराखंड में किसी को भी कानून व्यवस्था और राज्य की मूल पहचान को बर्बाद करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस कानून का सख्त पालन राज्य में किया जाएगा।

नए कानून में क्या प्रावधान किए गए?

दंगों या आंदोलनों के दौरान संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें भारी जुर्माना और जेल की सजा का प्रावधान शामिल है। इसके साथ ही, दंगा नियंत्रण पर होने वाले सरकारी खर्च की भरपाई भी दंगाइयों से कराई जाएगी।

सूत्रों के अनुसार, सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर आठ लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा, और दंगा करने वालों से मुआवजा वसूला जाएगा। इसके अलावा, बंद और हड़ताल के दौरान संपत्ति को नुकसान पहुँचाने के लिए आयोजन करने वाले नेताओं को भी इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी। दंगा करने वालों से वसूली के साथ-साथ दंगा नियंत्रण के खर्च का भी भुगतान किया जाएगा।

इस वर्ष अगस्त में गैरसैंण सत्र के दौरान धामी सरकार ने विधानसभा में यह बिल पेश किया था, जिसे ध्वनि मत से पारित किया गया। किसी भी आंदोलन, हड़ताल या दंगों के दौरान सरकारी और निजी संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई सीधे तौर पर दंगा करने वालों से की जाएगी। इसमें सार्वजनिक संपत्तियों जैसे इमारतें, वाहन, सड़कें आदि शामिल हैं। नुकसान के लिए मुआवजा भी उन्हीं से वसूला जाएगा।

राज्यपाल ने बिल कानून को दी मंजूरी

यदि किसी आंदोलन या बंद के दौरान संपत्ति को नुकसान पहुंचता है, तो इसके लिए आंदोलन के आयोजकों या नेताओं को जिम्मेदार माना जाएगा। उनसे केवल हुए नुकसान की भरपाई की जाएगी, बल्कि उन पर अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया जाएगा। पिछले वर्ष बनभूलपुरा में हुई हिंसक घटना के बाद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस कानून को लागू करने की बात की थी, जिसे इस साल अगस्त में गैरसैंण विधानसभा सत्र के दौरान पेश किया गया था। अब राज्यपाल की मंजूरी के बाद, यह बिल कानून में परिवर्तित हो चुका है।

स्वतंत्र ट्रिब्यूनल की होगी स्थापना   

एक रिटायर्ड जिला जज की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र ट्रिब्यूनल की स्थापना की जाएगी। यह ट्रिब्यूनल सिविल कोर्ट की समान शक्तियों के साथ कार्यरत होगा और संपत्ति क्षति से संबंधित मामलों की सुनवाई करेगा। इस ट्रिब्यूनल में संपत्ति नुकसान के दावों की सुनवाई के लिए तीन महीने की समयसीमा निर्धारित की गई है।

 

 

 

 

 

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