Uttrakhand Lok Sabha Election 2024: व्हाट्सएप अकाउंट और शपथ में लोगों की संख्या 13.38 लाख, वोट पड़े मात्र 4.72 लाख

Uttrakhand Lok Sabha Election 2024: व्हाट्सएप अकाउंट और शपथ में लोगों की संख्या 13.38 लाख, वोट पड़े मात्र 4.72 लाख
Last Updated: 21 अप्रैल 2024

लोकसभा मतदान से पहले मतदाताओं को जागरूक करके देशहित में उनकी भागीदारी सुनिश्चित कराने के लिए स्वीप से जुड़ी अलग-अलग टीमों ने सभी प्रकार के कठिन प्रयास किया। लेकिन मतदाता में बढ़ोतरी नहीं कमी हुई हैं।

हल्द्वानी: लोकतंत्र के महापर्व में मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पिछले पांच-छह महीने से स्वीप से जुड़ी हुई अलग-अलग टीमों ने हरसंभव कोशिश की हैं। टीमों ने पिछले पांच-छह महीने में लोगों को जागरूक करने के लिए व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़ा गया। 1010 बीएलओ ने मोबाइल में व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर 4.19 लाख वोटरों को जोड़ा गया है। इतनी मेहनत के बाद भी नैनीताल जिले में 473145 मतदाता को ही जागरूक किया जा सका हैं।

अधिकारी ने Subkuz.com को बताया कि मतदाताओं को जागरूक करने के लिए मैन्युल रिकार्डिंग फोन और सामूहिक कार्यक्रम के माध्यम से घर-घर जाकर लोगों को शपथ दिलाई गई। जिले में कुल आठ लाख मतदाताओं को लगातार चल रहे जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से दो या तीन बार संपर्क भी किया गया। लेकिन मोबाइल और घर-घर जाकर की गई इतनी मेहनत के बावजूद भी नैनीताल जिले में 473145 मतदाता ही जागरूक हो सके।

1010 बीएलओ ने ग्रुप से जोड़े 4.18 लाख वोट

लोकसभा चुनाव को लेकर भारत निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं को जागरूक करने के लिए नैनीताल जिले को 75.59 प्रतिशत मतदान का लक्ष्य दिया था। उसके बाद अधिकारी ने हर विधानसभा के लिए अलग-अलग लक्ष्य तय किया गया। मतदान प्रतिशत को बढ़ाने के लिए स्वीप अधिकारी ने जमीन से लेकर पहाड़ तक जागरूकता अभियान चलाया। 1010 बीएलओ ने हर प्रकार की कोशिश के बाद भी ग्रुप बनाकर उसमें मात्र 4.18 लाख वोटरों को जोड़ पाएं।

अधिकारीयों ने फोन के माध्यम से और व्यक्तिगत संपर्क करके 13.23 लाख मतदाताओं को जागरूक कर शपथ दिलाई गई लेकिन लोकसभा के प्रथम चरण 19 अप्रैल को मतदान करने मात्र 473145 लोग ही बूथ तक पहुंच सके। मतदान की संख्या में कमी का कारण चुनावी मैदान में उतरे पार्टी के उम्मीदवार भी जो जनता को प्रभावित करने में असमर्थ साबित हुए हैं। इसलिए चुनाव के दिन दोपहर बाद अधिकांश बूथों के बाहर सियासी दलों के कार्यकर्त्ता वहां से रफा दफा हो गए थे।

 

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