गर्मी का मौसम शुरू होते ही जगह-जगह पर पानी की किल्लत देखने को मिलती है. उत्तरकाशी में जलजीवन मिशन के तहत 'हर घर नल हर घर जल' के दौर में भी गांवों में सरकारी नल की व्यवस्था ही नहीं हैं। लोगों को पानी के लिए दो-तीन किलोमीटर दूर पैदल चलना पड़ता हैं।
उत्तरकाशी: जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 58 किलोमीटर दूर खालसी और न्यू खालसी गांव में इन दिनों घोर पेयजल संकट छाया हुआ है। लोगों को 10-15 लीटर पानी का इंतजाम करने में ढाई-तीन घंटे का समय लग जाता है। क्योकि ग्रामीण जिन जल स्रोतों पर पानी भरने जाते हैं, वे जल स्रोत गांव से दो-ढाई किलोमीटर दूर हैं। दूर दराज से पानी लेकर आने में लोगों की हालत खराब हो जाती है. प्रशासन भी इन लोगों की ओर ध्यान नहीं दे तहा हैं।
अधिकारी ने Subkuz.com को बताया कि जलस्रोतों पर भी गर्मी के चलते पानी की मात्रा में कमी आ रही है। इसलिए दो-तीन किलोमीटर जाने के बाद भी ग्रामीणों को पानी भरने के लंबी लाइन में लग कर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। खालसी और न्यू खालसी गांव में चार हजार से भी अधिक आबादी निवास करती है। यहां पर जलजीवन मिशन के तहत हर घर नल, हर घर जल के दौर में भी सरकारी नल की व्यवस्था नहीं हैं।
गांव में न तो पेयजल लाइन और न पानी की उचित व्यवस्था
जानकारी के मुताबिक चिन्यालीसौड़ ब्लाक के अंतर्गत आने वाले खालसी और न्यू खालसी गांव के ग्रामीण कई वर्षों से पेयजल संकट को दूर करने के लिए शासन प्रशासन से निरंतर मांग कर रहे हैं। लेकिन प्रशासन ने ग्रामीणों की प्यास बुझाने के लिए गांव में न तो पेयजल की लाइन बिछाई और न ही पेयजल की कोई उचित व्यवस्था की हैं।
ग्रामीणों ने मीडिया को बताया कि चुनाव के समय उम्मीदवार वोट मांगने के लिए गांव में आते और घर-घर में पानी पहुंचाने के लिए नल लगाने की बात कहकर चले जाते है, लेकिन काम कोई भी नहीं करवाता है. जब राज्य सरकार ने 'हर घर नल और हर घर जल' देने की घोषणा की तो खालसी के ग्रामीणों की उम्मीदें भी कायम हो गई। पेयजल निगम ने 'जल जीवन मिशन योजना' के तहत करीब तीन करोड़ रुपये का बजट तैयार किता था।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया योजना का शिलान्यास
जानकारी के मुताबिक 10 जून 2023 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तरकाशी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान 'जल जीवन मिशन योजना' का शिलान्यास किया था। इसी दौरान पेयजल निगम ने निविदा आवंटन की थी। विभाग के लिए जल स्रोत को लेकर विवाद बना हुआ. जिसके कारण पेयजल लाइन बिछाने का मामला भी लटक गया। दोनों गांवों में शीतकाल से ही पानी का संकट देखने को मिल रहा है। इस गर्मी के मौसम में ग्रामीण पानी की बूंद-बूंद के लिए भटक रहे हैं। ग्रामीणों को दो-तीन किलोमीटर दूर प्राकृतिक जल स्रोतों से पानी का इंतजाम करना पड़ता है। इन जल स्रोतों पर पानी भरने के लिए रात के समय भी बहुत लंबी लाइन देखने को मिलती हैं।