WPI Inflation: थोक महंगाई में वृद्धि, सब्जियों की ऊंची कीमतों का प्रभाव

WPI Inflation: थोक महंगाई में वृद्धि, सब्जियों की ऊंची कीमतों का प्रभाव
Last Updated: 14 अक्टूबर 2024

खाने-पीने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते, सितंबर में थोक महंगाई सालाना आधार पर 1.84 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो अगस्त में 1.31 प्रतिशत थी। हालांकि, यह आंकड़ा अनुमान से कम है, जहां विशेषज्ञों ने 1.92 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की आशंका जताई थी। आज खुदरा महंगाई के आंकड़े भी जारी होने की उम्मीद है।

नई दिल्ली: आम जनता को एक बार फिर महंगाई का झटका लगा है। सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) 1.84 प्रतिशत हो गया, जबकि अगस्त में यह 1.31 प्रतिशत थी। पिछले साल इसी अवधि में यह (-)0.07 प्रतिशत थी। खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति पिछले महीने बढ़कर 11.53 प्रतिशत हो गई, जो अगस्त में 3.11 प्रतिशत थी। हालांकि, सितंबर की थोक महंगाई फिर भी विशेषज्ञों के अनुमान से कम रही, जिन्होंने इसे 1.92 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान लगाया था।

थोक महंगाई में उछाल: सब्जियों के बढ़ते दाम का असर

थोक महंगाई बढ़ने की प्रमुख वजह सब्जियों के बढ़ते दाम हैं। आलू और प्याज की मुद्रास्फीति सितंबर में क्रमशः 78.13 प्रतिशत और 78.82 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनी रही। इसके अलावा, ईंधन और बिजली श्रेणी में भी सितंबर में 4.05 प्रतिशत की अपस्फीति दर्ज की गई, जबकि अगस्त में यह 0.67 प्रतिशत थी। इन सभी कारणों के चलते थोक महंगाई में उछाल आया है।

सरकार की प्रतिक्रिया:

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "सितंबर 2024 में मुद्रास्फीति में वृद्धि का मुख्य कारण खाद्य पदार्थों, अन्य विनिर्माण वस्तुओं, मोटर वाहनों, ट्रेलरों और अर्ध-ट्रेलरों, मशीनरी और उपकरणों की कीमतों में बढ़ोतरी है।"

रिजर्व बैंक (RBI) मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है। इस महीने की शुरुआत में, RBI ने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में बेंचमार्क ब्याज दर या रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर जस का तस रखा। खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े भी आज ही जारी किए जाएंगे।

दो प्रकार की महंगाई दर

भारत में महंगाई को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है: खुदरा (रिटेल) महंगाई और थोक (होलसेल) महंगाई। खुदरा महंगाई दर उन कीमतों पर आधारित होती है, जो उपभोक्ता विभिन्न वस्तुओं, जैसे कि सब्जियों या अन्य सामान की खरीदारी करते समय चुकाते हैं। इसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के नाम से भी जाना जाता है। दूसरी ओर, थोक मूल्य सूचकांक (WPI) वह दर है, जो थोक बाजार में व्यापारियों के बीच लेन-देन के दौरान तय की जाती है। यह बाजार में वस्तुओं की थोक कीमतों पर आधारित होती है।

महंगाई दर कैसे तय होती है?

महंगाई को मापने के लिए विभिन्न वस्तुओं को शामिल किया जाता है, जिनका महत्व भी अलग-अलग होता है। थोक महंगाई में निर्मित उत्पादों का योगदान 63.75 फीसदी, प्राथमिक वस्तुओं जैसे खाद्य पदार्थों का 22.62 फीसदी, और ईंधन एवं ऊर्जा का 13.15 फीसदी होता है। वहीं, खुदरा महंगाई में खाद्य और उत्पादों की भागीदारी 45.86 फीसदी और आवास की 10.07 फीसदी होती है। इसमें ईंधन के साथ-साथ अन्य वस्तुओं का भी योगदान शामिल होता है।

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