बांग्लादेश में हाल के दिनों में भारत विरोधी भावनाओं का उभार देखने को मिला है। अब भारतीय टीवी चैनलों के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठ रही है। स्थानीय समूह और कुछ संगठनों का कहना है कि भारतीय चैनल उनके समाज और संस्कृति पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं।
ढाका: बांग्लादेश में भारतीय टीवी चैनलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग तेज हो गई है। हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि ये चैनल भड़काऊ सामग्री प्रसारित कर रहे हैं और इससे बांग्लादेशी संस्कृति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। वकील इखलास उद्दीन भुइयां ने ‘केबल टेलीविजन नेटवर्क ऑपरेशन एक्ट 2006’ की धारा 29 के तहत भारतीय टीवी चैनलों को बंद करने की मांग की है। याचिका में विशेष रूप से ‘स्टार जलसा’, ‘स्टार प्लस’, ‘जी बांग्ला’ और ‘रिपब्लिक बांग्ला’ जैसे लोकप्रिय चैनलों का नाम लिया गया है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि इन चैनलों की सामग्री देश की सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना को नुकसान पहुंचा रही है।
भड़काऊ सामग्री और नियमों की अनदेखी का आरोप
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि भारतीय टीवी चैनलों द्वारा प्रसारित सामग्री बांग्लादेशी युवाओं के नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों को प्रभावित कर रही है। इसमें कहा गया है कि ये चैनल भड़काऊ खबरों के साथ-साथ ऐसी सामग्री का प्रसारण कर रहे हैं, जो बांग्लादेश की संस्कृति और परंपराओं के खिलाफ है। इसके साथ ही यह भी दावा किया गया है कि ये चैनल बांग्लादेशी कानूनों और नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। याचिका में सूचना और गृह मंत्रालय, साथ ही बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग (बीटीआरसी) को पक्षकार बनाया गया है।
भारत-बांग्लादेश संबंधों में बढ़ा तनाव
भारत और बांग्लादेश के बीच हाल के महीनों में कूटनीतिक संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। अगस्त में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद यह तनाव और बढ़ा है। भारत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर बढ़ते हमलों और अत्याचारों को लेकर कई बार चिंता जताई है। ऐसे में भारतीय टीवी चैनलों पर प्रतिबंध लगाने की याचिका को दोनों देशों के रिश्तों में नई चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी
भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक खटास तब और गहरा गई जब इस्कॉन (अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ) के पूर्व सदस्य और आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। उनकी गिरफ्तारी के बाद से राजधानी ढाका और चटगांव समेत कई अन्य स्थानों पर प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने दास की गिरफ्तारी को अल्पसंख्यकों के खिलाफ साजिश करार दिया है।
सरकार का अगला कदम अहम
यह मामला अब न्यायमूर्ति फातिमा नजीब और सिकदर महमूदुर रजी की पीठ के समक्ष पेश होगा। अदालत इस याचिका पर जल्द सुनवाई कर सकती है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि बांग्लादेश सरकार इस संवेदनशील मामले में क्या रुख अपनाती है। भारतीय टीवी चैनलों पर प्रतिबंध और चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी ने दोनों देशों के संबंधों को पहले ही प्रभावित कर दिया है। अब यह मामला न केवल मीडिया स्वतंत्रता बल्कि दोनों देशों के कूटनीतिक रिश्तों के लिए भी अहम साबित हो सकता है।