Israel Hezbollah War: कैसे 5 दिन में कमजोर हो गया दुनिया का सबसे ताकतवर संगठन हिजबुल्लाह? जानें नेतन्याहू के योजना की पूरी कहानी

Israel Hezbollah War: कैसे 5 दिन में कमजोर हो गया दुनिया का सबसे ताकतवर संगठन हिजबुल्लाह? जानें नेतन्याहू के योजना की पूरी कहानी
Last Updated: 4 घंटा पहले

इजरायल ने 23 सितंबर से हिज़्बुल्लाह के खिलाफ पूरी ताकत के साथ युद्ध शुरू किया। लेकिन दुनिया के सबसे शक्तिशाली गैर-सरकारी संगठन हिज़्बुल्लाह को केवल 5 दिनों में ही इजरायल ने घुटनों के बल ला दिया। इजरायली हमलों में अब तक हिज़्बुल्लाह की शीर्ष नेतृत्व खत्म हो चुकी है।

Israel Hezbollah: इजरायल ने केवल 5 दिनों में दुनिया के सबसे शक्तिशाली गैर-सरकारी संगठन हिजबुल्लाह को कमजोर कर दिया। लेकिन यह कार्य इतना सरल नहीं था। इजरायल पिछले 11 महीनों से हिजबुल्लाह के खिलाफ एक बड़ा रणनीति तैयार कर रहा था।

इजरायल ने 23 सितंबर को हिजबुल्लाह के खिलाफ युद्ध की घोषणा की और 27 सितंबर को उसके नेता हसन नसरल्लाह को मार गिराया। इसके अलावा, इजरायल ने अब तक हिजबुल्लाह के कई वरिष्ठ कमांडरों को भी समाप्त कर दिया है। आइए, हम इजरायल की योजना की आंतरिक कहानी पर एक नज़र डालते हैं...

यहां से शुरू हुआ संघर्ष

7 अक्तूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर एक बड़ा हमला किया। इस हमले में 1200 इजरायली नागरिकों की जान चली गई और 251 लोगों को बंधक बना लिया गया। इसके बाद इजरायल ने हमास के खिलाफ युद्ध की घोषणा की। इसी दौरान, गाजा में इजरायली हमलों के खिलाफ हिजबुल्ला ने उत्तरी इजरायल को निशाना बनाना शुरू कर दिया। इससे स्थिति यह बनी कि लगभग 65 हजार इजरायली नागरिकों को अपने घरों को छोड़कर भागना पड़ा।

11 महीने केवल हमास पर ध्यान केंद्रित किया गया

पिछले 11 महीनों में, इजरायल ने अत्यंत सावधानी से अपनी रणनीति बनाई। उसने अपने सभी प्रयास गाजा में हमास के खात्मे पर केंद्रित किए। उत्तरी सीमा पर इजरायली सेना ने केवल हिजबुल्लाह के हमलों से बचाव किया। उसे यह स्पष्ट था कि यदि उसने हिजबुल्लाह के खिलाफ आक्रामकता दिखाई, तो उसे कई मोर्चों पर युद्ध लड़ने की आवश्यक्ता पड़ सकती है।

मोसाद ने हिजबुल्लाह की गुप्त निगरानी शुरू की

इस बीच, इजरायल ने गाजा में हमास की शक्ति को तोड़ने का कार्य जारी रखा। संगठन के नेता इस्माइल हनीयेह को ईरान की राजधानी तेहरान में मार दिया गया। इस्माइल की मौत ने हमास के मनोबल को गंभीर रूप से प्रभावित किया। पिछले 11 महीनों के दौरान हमास के खिलाफ चल रही जंग के दौरान, मोसाद ने हिजबुल्लाह की गुप्त निगरानी आरंभ कर दी, क्योंकि उसे यह स्पष्ट था कि हमास के बाद इजरायल को सबसे बड़ा खतरा इसी संगठन से है।

हिजबुल्लाह ने जासूसी की आशंका जताई

फरवरी में, हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरअल्लाह को इजरायली जासूसी के बारे में संदेह हुआ। इसके बाद उन्होंने अपने सभी लड़ाकों को मोबाइल फोन के स्थान पर पेजर और वॉकी-टॉकी का उपयोग करने का निर्देश दिया। लेकिन मोसाद ने उनसे एक कदम आगे बढ़ते हुए, फरवरी में ही हिजबुल्लाह के पांच हजार पेजरों में विस्फोटक लगा दिए थे।

हर एक गतिविधि पर थी नजर

हिजबुल्लाह की हर गतिविधि पर मोसाद की नजर थी। यह पता लगाया गया कि हथियार कहां रखे गए हैं और एंटी-शिप मिसाइलों का स्थान क्या है। इसके अलावा, हिजबुल्लाह के कमांडरों की एक विस्तृत सूची तैयार की गई, जिसमें हसन नसरअल्लाह समेत प्रमुख कमांडरों के ठिकाने की जानकारी भी शामिल थी, जिसे मोसाद ने इकट्ठा किया।

इस बहाने से इजरायल ने शुरू की जंग इस बीच, जब गाजा में हमास की स्थिति अत्यंत कमजोर हुई, तो इजरायल ने हिजबुल्लाह के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय लिया। इजरायल ने हिजबुल्लाह पर हमले का कारण यह बताया कि जब तक इसे समाप्त नहीं किया जाएगा, तब तक उत्तर इजरायल में 65 हजार लोगों की सुरक्षित घर वापसी संभव नहीं है।

पेजर अटैक से उपजा आतंक

17 और 18 अक्टूबर को मोसाद ने इजरायल में पेजर और वॉकी-टॉकी, लैपटॉप और सोलर पैनल में बम विस्फोट किया। इस हमले में 50 से अधिक लोगों की जान गई और 4000 से ज्यादा लोग घायल हुए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हिजबुल्लाह के 1500 लड़ाके घायल हो गए। इनमें से कई की आंखें चली गईं, तो किसी का हाथ गंवाना पड़ा। इस घटना ने हिजबुल्लाह के लड़ाकों में गहरा भय भर दिया। वहीं, इजरायल ने यह साबित कर दिया कि आपके आसपास की हर चीज हमारे निशाने पर है।

संचार नेटवर्क का विनाश

पेजर और वॉकी-टॉकी विस्फोट ने हिजबुल्लाह के संचार प्रणाली को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। हिजबुल्लाह अपने लड़ाकों के बीच संचार स्थापित करने में असमर्थ रहा, और इसी बीच इजरायल ने युद्ध के नए चरण की घोषणा कर दी। 23 सितंबर से, इजरायली लड़ाकू विमानों ने हिजबुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। इस दौरान, हिजबुल्लाह के पास अपने लड़ाकों के साथ बातचीत और तालमेल बनाने का कोई साधन नहीं बचा था, जिसका लाभ इजरायल ने उठाया। 23 सितंबर से 27 सितंबर के बीच केवल पांच दिनों में, इजरायल ने हिजबुल्लाह की शीर्ष नेतृत्व को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया।

सबसे पहले किया हिजबुल्लाह के हथियारों पर हमला

इजरायल के हमलों में एक विशिष्ट पैटर्न नजर आता है। वास्तव में, इजरायल ने सबसे अधिक हिजबुल्लाह के सैन्य संसाधनों को लक्ष्य बनाया है। इजरायल को यह मालूम है कि हिजबुल्लाह के पास अत्यंत घातक हथियार मौजूद हैं। यदि इन्हें समय रहते नष्ट नहीं किया गया, तो इजरायल को गंभीर नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

कमांडरों को मारकर तोड़ना मनोबल

इजरायल की दूसरी महत्वपूर्ण रणनीति यह रही है कि प्रमुख कमांडरों को निशाना बनाकर संगठन के मनोबल को तोड़ा जाए। इजरायल ने सबसे पहले अजीज यूनिट के कमांडर मोहम्मद नस्सर को मार गिराया। इसके बाद नस्सर यूनिट के कमांडर समी तालेब अब्दुल्लाह को भी समाप्त कर दिया गया।

रणनीति के तहत कमांडरों को किया गया नष्ट

इजरायल ने हिजबुल्लाह द्वारा रॉकेट हमले करने वाले कमांडर इब्राहिम मुहम्मद को मारकर उनकी हवाई हमलों की क्षमता को सीमित कर दिया है। इसके पश्चात, राडवान फोर्स के कमांडर इब्राहिम अकील को भी समाप्त कर दिया गया। इससे पहले, रणनीतिक यूनिट के प्रमुख फुआद शुकर को भी ढेर किया गया था। हिजबुल्लाह का हमला दक्षिणी फ्रंट से हो रहा था, जहां इजरायल ने इस फ्रंट के प्रमुख अली कराकी को मारकर इजरायल पर हिजबुल्लाह के हमलों में भारी कमी ला दी।

इसके अलावा, कमांडर विस्सम अल तवील को भी मार गिराया गया। राडवान फोर्स को प्रशिक्षण देने वाले अबु हसन समीर को भी मौत के घाट उतार दिया गया। इजरायल ने निगरानी रखने वाले एरियल यूनिट के कमांडर मोहम्मद हुसैन को नष्ट करके संगठन की ताकत को बहुत कम कर दिया है।

हिजबुल्लाह पर गिरी सबसे बड़ी गाज

27 सितंबर को इजरायल ने हिजबुल्लाह को एक बड़ा झटका दिया। लेबनान की राजधानी बेरूत में हिजबुल्लाह के भूमिगत मुख्यालय पर इजरायली रक्षा बल (आईडीएफ) ने हमला किया। इस हमले में हिजबुल्लाह का नेता हसन नसरअल्लाह मारा गया। हसन की मौत निश्चित रूप से इजरायल की एक मनोवैज्ञानिक जीत है, जबकि इससे हिजबुल्लाह के मनोबल को भी बड़ा झटका लगेगा।

इजरायल ने किया दुश्मन की ताकत की मान्यता

इजरायल के चीफ ऑफ स्टाफ स्वयं यह मानते हैं कि हिजबुल्लाह एक शक्तिशाली दुश्मन है। उनका कहना है कि हिजबुल्लाह ने अभी तक अपने अधिकांश हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया है। यदि जमीनी हमले की स्थिति आती है, तो हिजबुल्लाह, हमास की तुलना में इजरायल के लिए अधिक चुनौती पेश करेगा।

नसरअल्लाह पर एक साल से चल रही थी निगरानी

इजरायली सेना ने अपने बयान में कहा कि पिछले एक साल से हसन नसरअल्लाह की हर गतिविधि पर ध्यान रखा जा रहा था। वह कहाँ ठहरता है और कहाँ जाता हैइन सभी बातों की सटीक जानकारी मिल जाने के बाद ही उसके ठिकाने पर हमला किया गया।

इजरायल को अपेक्षा से कम नुकसान

इजरायल की सेना (आईडीएफ) ने अनुमान लगाया था कि युद्ध की स्थिति में हिजबुल्लाह प्रतिदिन हजारों रॉकेट दागने की क्षमता रखता है, जिससे सैकड़ों लोगों की जान जा सकती है। लेकिन इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद की रणनीति के कारण इजरायल को उतना नुकसान नहीं उठाना पड़ा जितना कि पहले अपेक्षित था। इस संघर्ष में इजरायल के 26 नागरिकों और 22 सैनिकों की जान गई।

किसका हुआ ज्यादा नुकसान?

11 महीने के संघर्ष में हिजबुल्लाह के 500 से अधिक लड़ाकों की मौत हो चुकी है। 7 अक्टूबर से 20 सितंबर के बीच इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच कुल 10,214 हमले हुए हैं। इजरायल ने लगभग 81 प्रतिशत यानी 8,313 हमलों को अंजाम दिया। इन हमलों में लेबनान में 752 लोगों की जान गई। हिजबुल्लाह ने 1,901 हमलों की जिम्मेदारी ली। इसके परिणामस्वरूप 65,000 इजरायली नागरिकों को अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।

Leave a comment