पूर्वी लद्दाख सीमा पर चीन के साथ गतिरोध अभी भी जारी है। इसी के बीच भारत में नौसेनाओं का एक बड़ा युद्धाभ्यास शुरू होने वाला है, जो चीन के लिए चिंता का विषय बन सकता है। क्वाड देशों की नौसेनाएं मिलकर इंडो-प्रशांत क्षेत्र में चीन की ताकत को कमजोर करने के लिए संयुक्त रूप से युद्धाभ्यास करेंगी।
World: चीन से सीमा पर तनाव के बीच, एक बार फिर चीन की धड़कनें बढ़ने वाली हैं। भारत अब अपने समंदर में क्वाड देशों की नौसेना के साथ एक विशाल जंगी अभ्यास करने जा रहा है। इस अभ्यास में भारत की नौसेना के अलावा अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की नौसेना के जंगी जहाज भी शामिल होंगे, जो चीन की चिंता को और बढ़ा देंगे। ये चारों देश 'क्वाड' के तहत हिंद महासागर में चीन की बढ़ती ताकत को समाप्त करने और उसकी दादागिरी पर नियंत्रण पाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस महत्वपूर्ण जंगी अभ्यास की मेज़बानी भारत कर रहा है।
'क्वाड' देशों के बीच युद्धाभ्यास
चीन के साथ चल रहे सीमा तनाव के बीच, भारत में चार देशों की नौसेनाओं का बड़ा युद्धाभ्यास, मालाबार, 8 से 18 अक्टूबर तक आयोजित होने जा रहा है। भारतीय नौसेना के अनुसार, यह अभ्यास विशाखापत्तनम में स्थित बंदरगाह से शुरू होगा, उसके बाद समुद्री चरण का संचालन किया जाएगा। यह अभ्यास भारत और उसके सहयोगी देशों के बीच सामरिक सहयोग को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।
क्या है मालाबार युद्धाभ्यास?
मालाबार अभ्यास की शुरुआत 1992 में हुई थी और यह 32 सालों में एक बहुपक्षीय कार्यक्रम के रूप में विकसित हो चुका है। इसका उद्देश्य क्वाड देशों के बीच इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में गहरा समन्वय स्थापित करना और समुद्री चुनौतियों का सामना करना है। इस अभ्यास में नौसैनिक बलों के बीच तालमेल और सामरिक क्षमताओं को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
इस अभ्यास में जानें क्या होगा खास?
इस भीषण जंगी अभ्यास में विध्वंसक गाइडेड मिसाइल, खतरनाक जंगी जहाज, पनडुब्बियां, लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर शामिल होंगे। नौसेना का कहना है कि यह अभ्यास सहयोग और परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए डिजाइन की गई गतिविधियों पर केंद्रित होगा, जिसमें समुद्र, भूमि और आकाश में युद्ध क्षमताओं पर ध्यान दिया जाएगा। इस तरह के अभ्यास से संयुक्त सैन्य संचालन की दक्षता में वृद्धि होती है।
पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद: भारत-चीन
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को लेकर तनाव अब भी बना हुआ है। इस बीच, एक बड़ा नौसैनिक युद्धाभ्यास होने जा रहा है, जो इस स्थिति में और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि चीन के साथ भारत के संबंध पूरी तरह से सामान्य नहीं हैं।
वहीं, चीन का प्रभाव हिंद प्रशांत क्षेत्र में भी तेजी से बढ़ रहा है। इस स्थिति का मुकाबला करने के लिए, भारतीय नौसेना क्वाड देशों के साथ मिलकर चीन को उसकी वास्तविक स्थिति का एहसास कराने की योजना बना रही है। चीन की चिंताएं हमेशा से ही क्वाड देशों के प्रति बनी रही हैं।