पाकिस्तान में मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति, जस्टिस याह्या अफरीदी तीन साल तक संभालेंगे कार्यभार

पाकिस्तान में मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति, जस्टिस याह्या अफरीदी तीन साल तक संभालेंगे कार्यभार
Last Updated: 23 अक्टूबर 2024

पाकिस्तान में अब मुख्य न्यायाधीश का कार्यकाल तीन साल होगा। इसके साथ ही, न्यायाधीशों की नियुक्ति 12 सदस्यीय आयोग द्वारा की जाएगी। यह बदलाव 20 अक्टूबर 2024 को सीनेट में पारित 26वें संविधान संशोधन के तहत किया गया। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने इस विधेयक का विरोध किया, लेकिन 65 सदस्यों ने इसके पक्ष में वोट दिया, जबकि चार सदस्यों ने विरोध किया।

Pak News: कैबिनेट से अनुमोदन के बाद, कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने 26वें संविधान संशोधन विधेयक 2024 को संसद में पेश किया। इसमें मुख्य न्यायाधीश का कार्यकाल तीन साल करने और न्यायाधीशों की नियुक्ति 12 सदस्यीय आयोग द्वारा करने का प्रस्ताव है। जमीयत उलेमा--इस्लाम-फजल और बलूचिस्तान नेशनल पार्टी के सांसदों ने भी विधेयक के समर्थन में मतदान किया। सीनेट अध्यक्ष गिलानी ने बताया कि 65 सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में और चार ने विरोध में वोट डाले।

मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए आयोग का गठन

पाकिस्तान के 26वें संविधान संशोधन के तहत मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए 12 सदस्यीय आयोग का गठन किया गया है। इस संशोधन से मुख्य न्यायाधीश का कार्यकाल तीन साल होगा। विधेयक को अब नेशनल असेंबली में पेश किया जाएगा, जहां इसे दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी। इसके बाद, इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिलनी होगी, ताकि यह संविधान का हिस्सा बन सके।

प्रधानमंत्री शहबाज की अध्यक्षता में मिली मंजूरी

पाकिस्तान की कैबिनेट ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में एक बैठक में विधेयक के प्रस्तावित मसौदे को मंजूरी दी। यह निर्णय गठबंधन सहयोगियों के साथ आम सहमति के बाद लिया गया। इससे पहले, प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से मुलाकात कर प्रस्तावित संवैधानिक संशोधन पर चर्चा की और विधेयक के बारे में जानकारी दी।

जजों की नियुक्ति के लिए नई संस्था का गठन

कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने यह घोषणा की है कि जजों की नियुक्ति के लिए एक नई संस्था का गठन किया जा रहा है। इससे पहले, 18वें संशोधन के तहत, न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती थी। नए आयोग में मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश, दो सीनेटर और दो राष्ट्रीय विधानसभा के सदस्य शामिल होंगे। इस नई व्यवस्था के माध्यम से न्यायिक प्रक्रियाओं में तेजी लाने की आशा जताई जा रही है।

इस फैसले पर विपक्ष की प्रतक्रिया

PTI के नेताओं ने नए संशोधन की आलोचना करते हुए कहा कि यह न्यायिक स्वतंत्रता को कमजोर करता है, क्योंकि न्यायिक नियुक्तियों का अधिकार अब सरकार के हाथों में चला गया है। PTI के सीनेटर अली जफर ने आरोप लगाया कि वोट हासिल करने के लिए दबाव डाला गया, जो राजनीतिक दबाव की समस्या को उजागर करता है। इसके विपरीत, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के बिलावल भुट्टो-जरदारी ने इस संशोधन की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे सरकार और PTI के बीच तनाव स्पष्ट होता है।

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