मध्य पूर्व में जारी संघर्ष ने न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को हिला दिया है, बल्कि वैश्विक राजनीति पर भी गहरा प्रभाव डाला है। इजरायल और फिलिस्तीन के बीच लगातार बढ़ते तनाव और हिंसा ने क्षेत्र को संघर्ष का केंद्र बना दिया है, जिससे मानवीय संकट गहराता जा रहा हैं।
World: मध्य पूर्व में स्थिति दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है, जहां इजरायल, अमेरिका, और तुर्किये की सैन्य गतिविधियों ने क्षेत्रीय अस्थिरता को और गहरा कर दिया है। इजरायल द्वारा सीरिया में हालिया हवाई हमले इस संकट को और बढ़ा रहे हैं। इन हमलों का उद्देश्य कथित तौर पर सीरियाई सेना के उन हथियारों को नष्ट करना है, जिनके चरमपंथी गुटों के हाथ लगने का खतरा है। इजरायली वायु सेना ने बरजा वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र और अन्य महत्वपूर्ण ठिकानों पर हमला कर, रासायनिक हथियारों और लंबी दूरी के रॉकेटों को निशाना बनाया हैं।
सीरियाई ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल ने सीरिया में 100 से अधिक हवाई हमले किए हैं, जिससे व्यापक विनाश हुआ है। इसके साथ ही, इजरायल ने गोलान हाइट्स क्षेत्र में बफर जोन पर कब्जा कर अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत किया है। अमेरिका और तुर्किये भी अपने-अपने उद्देश्यों को साधने के लिए सक्रिय हैं। अमेरिका ने चरमपंथी गुटों के खिलाफ हवाई और जमीनी हमले तेज कर दिए हैं, जबकि तुर्किये कुर्दिश बलों को कमजोर करने के लिए सैन्य कार्रवाई कर रहा हैं।
सीरिया पर हुए हमले
मध्य सीरिया में अमेरिकी सैन्य कार्रवाई और तुर्किए के कुर्द बलों पर हमले ने पहले से ही अस्थिर क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा दिया है। अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने पुष्टि की है कि बी-52 बॉम्बर और एफ-15ई लड़ाकू विमानों की मदद से ISIS के ठिकानों पर 75 हवाई हमले किए गए, जिनमें कई आतंकवादी मारे गए और उनके ठिकाने नष्ट कर दिए गए। यह अभियान ISIS की शेष बची ताकत को खत्म करने की रणनीति का हिस्सा हैं।
दूसरी ओर तुर्किये ने उत्तरी सीरिया में कुर्द बलों के खिलाफ अपनी सैन्य कार्रवाई तेज कर दी है। मनबिज शहर में तुर्किए समर्थित सीरियाई राष्ट्रीय सेना ने अमेरिकी समर्थित कुर्द बलों से नियंत्रण छीन लिया है। तुर्किये कुर्द बलों, विशेष रूप से वाईपीजी (YPG), को आतंकवादी मानता है और उन्हें कमजोर करने के लिए लंबे समय से हमले करता आ रहा है। इन कार्रवाइयों से क्षेत्र में स्थिरता और शांति स्थापित होने की संभावना और भी क्षीण हो गई हैं।
यह सब क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के जटिल हितों को उजागर करता है, जो इस संघर्ष को और लंबा खींच रहे हैं। इसका असर न केवल सीरिया की जनता पर बल्कि पूरे मध्य पूर्व के राजनीतिक और मानवीय परिदृश्य पर पड़ा हैं।