ट्रंप द्वारा लगाए गए आयात टैरिफ के खिलाफ कैलिफोर्निया ने संघीय अदालत में याचिका दायर की। राज्य सरकार ने इन टैरिफ्स को कानूनी और आर्थिक दृष्टि से गलत बताया।
Trade-War: 2 अप्रैल 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विदेशी आयात पर 10% का बेसलाइन टैरिफ (आयात शुल्क) लगा दिया था। इसके बाद, कैलिफोर्निया पहले राज्य के रूप में ट्रंप के टैरिफ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर रहा है। कैलिफोर्निया सरकार ने इस फैसले के खिलाफ संघीय अदालत में याचिका दायर की है, जिसमें गवर्नर गेविन न्यूसम और अटॉर्नी जनरल रॉब बोंटा का कहना है कि ट्रंप ने यह टैरिफ कांग्रेस की मंजूरी के बिना लागू किए हैं, जो उनके कानूनी अधिकारों से बाहर हैं।
कैलिफोर्निया का तर्क: 'टैरिफ से आर्थिक नुकसान'
गवर्नर न्यूसम का कहना है कि इन टैरिफ के कारण न सिर्फ कैलिफोर्निया की, बल्कि पूरी अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है। कीमतों में बढ़ोतरी, रोजगार पर खतरा और व्यापार पर असर जैसे मुद्दे खड़े हो गए हैं। न्यूसम ने कहा, “यह टैरिफ कैलिफोर्निया के परिवारों, व्यवसायों और हमारी अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी समस्या बन गए हैं।”
ट्रंप ने टैरिफ क्यों लगाए?
राष्ट्रपति ट्रंप ने इन टैरिफ्स को राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे से बचने के लिए सही ठहराया। ट्रंप के मुताबिक, यदि किसी देश के साथ व्यापारिक तनाव बढ़ता है, तो इससे सुरक्षा संबंधी खतरा उत्पन्न हो सकता है, और यही कारण है कि उन्होंने यह आर्थिक कदम उठाए।
कैलिफोर्निया का कड़ा विरोध: 'टैरिफ से बिगड़े व्यापारिक रिश्ते'
कैलिफोर्निया का कहना है कि इन टैरिफ्स के कारण उनके व्यापारिक साझेदारों, जैसे चीन, मैक्सिको और कनाडा के साथ रिश्ते बिगड़े हैं। राज्य सरकार ने अदालत से अपील की है कि वह इन टैरिफ्स को लागू करने से रोकें, अन्यथा इससे और भी अधिक आर्थिक नुकसान हो सकता है।
कैलिफोर्निया की कानूनी कार्रवाई अकेली नहीं
यह अकेली याचिका नहीं है, बल्कि इससे पहले भी न्यूयॉर्क और फ्लोरिडा के छोटे व्यापारियों ने टैरिफ के खिलाफ मुकदमे दायर किए हैं। कैलिफोर्निया का कदम यह दर्शाता है कि राज्य टैरिफ को रोकने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
क्या है ट्रंप का तर्क?
ट्रंप ने इन टैरिफ्स को अमेरिका की सुरक्षा के लिए जरूरी बताया और इसे 1977 के International Emergency Economic Powers Act (IEEPA) के तहत सही ठहराया। उनका कहना है कि जब राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो, तो राष्ट्रपति को ऐसे कदम उठाने का अधिकार है।