भारत और मालदीव के रिश्तों में पैदा हुई खटास के बाद भी भारत ने अपने पड़ोसी देश की मदद के लिए अपना खजाना खोल दिया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मालदीव को 11 करोड़ अमेरिकी डॉलर की व्यापक जल एवं स्वच्छता परियोजनाएं सौंप दीं हैं।
माले: मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर और भारत विदेश मंत्री एस जयशंकर जल्द ही पुनर्ग्रहण और तट संरक्षण परियोजना के हस्तांतरण समारोह के साथ 4-लेन डेटौर लिंक सड़क परियोजना का उद्घाटन करेंगे। बता दें मालदीव के विदेश मंत्री ने रविवार (११ अगस्त 2024) को अड्डू शहर में विदेश मंत्री एस जयशंकर का भव्य स्वागत किया। मूसा जमीर ने एक्स माध्यम से बताया कि इन दोनों परियोजनाओं को भारत सरकार द्वारा एक्ज़िम बैंक के एलओसी के तहत सुविधा प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहां कि ये परियोजनाएं अड्डू शहर के लोगों के विकास और समृद्धि में बहुत महत्वपूर्ण योगदान देंगी।
जल्द होगा परियोजनाओं का उद्घाटन
मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर ने एक्स पर एक पोस्ट में कहां कि, 'भारत के विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर का मालदीव दौरे के दौरान अड्डू शहर में स्वागत करते हुए बहुत खुशी हो रही है। हम दोनों मिलकर जल्द ही पुनर्ग्रहण, तट संरक्षण परियोजना के हस्तांतरण समारोह और 4-लेन डेटोर लिंक सड़क परियोजना का उद्घाटन करेंगे। बता दें इन दोनों परियोजनाओं को भारत सरकार द्वारा EXIM (Export-Import Bank of India) बैंक के LoC (Line of Credit) के तहत सुविधा प्रदान करेगी। बताया कि ये परियोजनाएं अड्डू शहर के लोगों के विकास और समृद्धि में बहुत महत्वपूर्ण योगदान निभाएगी।'
भारत ने हमेशा मालदीव का साथ दिया हैं - जयशंकर
मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने रविवार को माले की यात्रा के दौरान विदेश मंत्री श्री जयशंकर से मुलाकात की. उस दौरान विश्वास जताते हुए जयशंकर ने कहां कि जरूरत पड़ने पर भारत हमेशा मालदीव की सहायता करने के लिए तैयार रहने वाला पहला देश होगा। शाहिद ने इस दौरान पिछली सरकार के भारत विरोधी रुख के कारण हुई आर्थिक और कूटनीतिक असफलताओं को भी स्वीकार किया और बेहतर संबंधों की दिशा में हाथ बढ़ाते हुए जयशंकर का स्वागत किया।
मालदीव-भारत संबंध
एमडीपी (दिल्ली नगर निगम) ने एक बयान जारी किया जिसमें बताया कि भारत द्वारा वित्तपोषित विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन करेगा। इस बयान में ये भी कहां गया है कि 'मालदीव और भारत संबंध हमेशा आपसी सम्मान, अंतर्राष्ट्रीय कानून के प्रति सम्मान, क्षेत्रीय अखंडता, क्षेत्रीय सुरक्षा की साझा इच्छा और खुले एवं शांतिपूर्ण हिंद महासागर के सिद्धांतों पर आधारित हैं।'