Success Story: स्कूल में सेकंड डिवीजन के बाद अफसर बने इस अधिकारी की प्रेरणादायक यात्रा, जानें कैसे मिली सफलता

Success Story: स्कूल में सेकंड डिवीजन के बाद अफसर बने इस अधिकारी की प्रेरणादायक यात्रा, जानें कैसे मिली सफलता
अंतिम अपडेट: 20 घंटा पहले

Success Story: हमारे समाज में अक्सर यह माना जाता है कि शैक्षिक सफलता ही जीवन में सफलता की कुंजी है। लेकिन, अगर किसी का रिजल्ट उतना अच्छा न हो, तो उसे हीन भावना से देखा जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ था इंद्र विक्रम सिंह के साथ, जिनके बारे में स्कूल के समय में उनके दोस्तों और रिश्तेदारों ने कम नंबर आने पर मजाक उड़ाया था। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपनी मेहनत से खुद को साबित किया। आज वह उत्तर प्रदेश सरकार के एक सशक्त आईएएस अफसर के रूप में जाने जाते हैं।

यूपी बोर्ड से सेकंड डिवीजन पास होने पर उड़ा मजाक

इंद्र विक्रम सिंह का जन्म 15 जून 1969 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ था। उनकी शुरुआती शिक्षा सामान्य नहीं थी और वह यूपी बोर्ड से सेकंड डिवीजन में पास हुए थे। इस पर कई रिश्तेदारों और दोस्तों ने उन्हें हीन भावना से देखा और उनके भविष्य को लेकर संदेह किया। लेकिन इंद्र विक्रम सिंह ने हार मानने के बजाय अपनी मेहनत से यह साबित किया कि असफलता सिर्फ एक पड़ाव होती है, सफलता की ओर जाने का रास्ता।

सिविल सर्विसेज की कठिन परीक्षा को पास किया पहले प्रयास में

इंद्र विक्रम सिंह ने अपनी शैक्षिक यात्रा में आने वाली सभी कठिनाइयों को पार करते हुए अपनी मेहनत को मंजिल तक पहुंचाया। उन्होंने 1994 में यूपी पीसीएस परीक्षा पास की और यूपी सिविल सर्विसेज में शामिल हुए। इसके बाद 2010 में उन्हें PCS से IAS में प्रमोशन मिला। इंद्र विक्रम सिंह ने अपनी शिक्षा को गंभीरता से लिया और सिविल सर्विसेज के क्षेत्र में भी पहले प्रयास में सफलता हासिल की।

यूपी पीसीएस से आईएएस बनने तक का सफर

इंद्र विक्रम सिंह का करियर बहुत प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने कई जिलों में अपने कार्यों से अपनी प्रशासनिक कुशलता का प्रदर्शन किया। वह 2013 से 2017 तक आगरा के म्युनिसिपल कमिश्नर रहे, जहां उन्होंने कई सुधार कार्यों की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने 2017 में शामली जिले के जिलाधिकारी के रूप में कार्यभार संभाला। 2018 में वह नोएडा के ACEO (अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी) बने और 2019 में शाहजहांपुर जिले के जिलाधिकारी के रूप में काम किया। 2022 में वह बलिया जिले के जिलाधिकारी रहे और फिर अलीगढ़ और गाजियाबाद के जिलाधिकारी के रूप में अपनी सेवा दी।

इंद्र विक्रम सिंह का अलीगढ़ से जुड़ाव

इंद्र विक्रम सिंह का अलीगढ़ से गहरा संबंध रहा है। 2000 में उन्होंने अलीगढ़ में कोल, अतरौली और इगलास तहसीलों के एसडीएम के रूप में काम किया। इसके बाद, 2008 में उन्हें अलीगढ़ में ADM (वित्त और राजस्व) के पद पर नियुक्त किया गया। 2010 में उन्हें PCS से IAS में प्रमोशन मिला, जिससे उनका प्रशासनिक करियर और भी मजबूत हुआ। इंद्र विक्रम सिंह का अलीगढ़ में कार्यकाल प्रशासनिक सुधारों और विकास कार्यों के लिए याद किया जाता हैं।

जनता के हित में काम करने के लिए प्रसिद्ध

इंद्र विक्रम सिंह को उनकी सरलता और जनता के प्रति समर्पण के लिए जाना जाता है। वह हमेशा जनता के लिए काम करने के लिए प्रेरित रहते हैं। उनकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, जिसमें वह एक दिव्यांग व्यक्ति की परेशानियों को सुन रहे थे। उस व्यक्ति के दोनों पैर किसी बीमारी की वजह से काम नहीं कर रहे थे, और वह इलाज के लिए पैसे मांग रहा था। इंद्र विक्रम सिंह ने बिना वक्त गवाएं उस व्यक्ति को 13,000 रुपये का चेक दिया और उसकी मदद की। इस उदाहरण से यह साफ होता है कि वह जनता की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।

समाज में बदलाव लाने की दिशा में निरंतर प्रयास

इंद्र विक्रम सिंह का मानना है कि प्रशासनिक सेवा का उद्देश्य सिर्फ सरकारी कामकाज को संचालित करना नहीं होता, बल्कि समाज में वास्तविक बदलाव लाना होता है। वह हमेशा यह सुनिश्चित करते हैं कि उनके द्वारा किए गए काम समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाए।

उनकी सफलता की कहानी उन सभी के लिए एक प्रेरणा है, जो सोचते हैं कि कम नंबर आना या शुरुआती कठिनाइयाँ उनका रास्ता रोक सकती हैं। इंद्र विक्रम सिंह ने यह साबित किया कि कठिनाइयाँ सिर्फ सफलता की ओर जाने का एक और कदम होती हैं।

इंद्र विक्रम सिंह की कहानी यह सिखाती है कि जीवन में किसी भी कठिनाई से घबराना नहीं चाहिए। कठिनाइयाँ तो आती हैं, लेकिन मेहनत और लगन से हम किसी भी ऊँचाई को छू सकते हैं। उनकी सफलता एक मिसाल है, जो हमें यह संदेश देती है कि कोई भी स्थिति स्थायी नहीं होती और हम अपनी मेहनत से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।

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