MBBS In Abroad: विदेश से मेडिकल की डिग्री लेकर डॉक्टर बनने का सपना? जानें भारत में प्रैक्टिस के लिए जरूरी नियम

MBBS In Abroad: विदेश से मेडिकल की डिग्री लेकर डॉक्टर बनने का सपना? जानें भारत में प्रैक्टिस के लिए जरूरी नियम
Last Updated: 30 नवंबर 2024

विदेश में एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने का सपना देखने वाले छात्रों के लिए यह खबर खास है। अगर आपने विदेश में मेडिकल की पढ़ाई पूरी की है या फिर करने का विचार कर रहे हैं, तो आपको भारत में डॉक्टर बनने के लिए एक खास टेस्ट पास करना होगा। इस टेस्ट को बिना पास किए आप भारत में मेडिकल प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं। नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने विदेशी मेडिकल छात्रों के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनका पालन करना बेहद जरूरी है। इस लेख में हम जानेंगे कि विदेश में एमबीबीएस करने के बाद भारत में डॉक्टर बनने के लिए किन नियमों का पालन करना होगा।

नेशनल मेडिकल कमीशन की चेतावनी

नेशनल मेडिकल कमीशन ने हाल ही में एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें विदेशों से एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के इच्छुक छात्रों के लिए कुछ महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए गए हैं। आयोग ने साफ तौर पर कहा है कि विदेशी विश्वविद्यालयों में एमबीबीएस की पढ़ाई करने के इच्छुक छात्रों को यह सुनिश्चित करना होगा कि जिस संस्थान से वे मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं, वह संस्था NMC के द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों का पालन कर रही हो। यदि किसी विश्वविद्यालय में यह नियम पालन नहीं किए जा रहे हैं, तो उन छात्रों को भारत में मेडिकल प्रैक्टिस के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं दिया जाएगा।

नियमों का पालन न करने पर होगा दिक्कत

अगर किसी विदेशी मेडिकल कॉलेज या यूनिवर्सिटी में इन दिशा-निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है, तो उन संस्थानों से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को भारत में मेडिकल प्रैक्टिस के लिए रजिस्ट्रेशन करने में कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। न केवल पाठ्यक्रम की अवधि में बदलाव, बल्कि इंटर्नशिप की अवधि या शिक्षा के माध्यम में बदलाव भी भारत में रजिस्ट्रेशन के लिए अड़चन उत्पन्न कर सकते हैं।

क्या हैं जरूरी शर्तें?

नेशनल मेडिकल कमीशन के अनुसार, विदेश में मेडिकल की डिग्री हासिल करने के लिए कुछ प्रमुख शर्तें पूरी करनी होती हैं। आइए जानते हैं ये शर्तें क्या हैं:

पाठ्यक्रम की अवधि पाठ्यक्रम की अवधि कम से कम 54 महीने (चार साल और छह महीने) होनी चाहिए। इस दौरान एक साल की इंटर्नशिप भी अनिवार्य है।

कोर्स की अवधि में बदलाव नहीं मेडिकल कोर्स की अवधि को 10 साल से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता हैं।

कोर्स का माध्यम चिकित्सा की डिग्री केवल अंग्रेजी भाषा में होनी चाहिए। इसके अलावा, पाठ्यक्रम में भारत के एमबीबीएस पाठ्यक्रम के बराबर के विषय जैसे जनरल मेडिसिन, शल्य चिकित्सा, बाल चिकित्सा, मनोचिकित्सा, प्रसूति आदि शामिल होने चाहिए।

इंटर्नशिप इंटर्नशिप के दौरान छात्रों को नैदानिक प्रशिक्षण लेना जरूरी है, जो कि एमबीबीएस के पाठ्यक्रम के तहत होता हैं।

भारत में रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी परीक्षा

भारत में स्थायी मेडिकल रजिस्ट्रेशन के लिए छात्रों को नेशनल एग्जिट टेस्ट (NEXT) पास करना होता है। यह परीक्षा भारत में चिकित्सा प्रैक्टिस करने की योग्यता को मान्यता देती है। इसके अलावा, छात्रों को इस परीक्षा के समान कोई अन्य अनिवार्य परीक्षा उत्तीर्ण करनी हो सकती है, जो भविष्य में लागू की जा सकती है। इस परीक्षा को पास करने के बाद ही भारत में स्थायी रजिस्ट्रेशन प्राप्त किया जा सकता है, और तब वे मेडिकल प्रैक्टिस करने के योग्य होंगे।

क्या है इस दिशा-निर्देशों का महत्व?

यह दिशा-निर्देश छात्रों के लिए यह सुनिश्चित करने का एक तरीका हैं कि वे जिस विदेश विश्वविद्यालय से अपनी डिग्री हासिल कर रहे हैं, वह भारतीय मानकों के अनुरूप है। इसके अलावा, इन नियमों का पालन करने से यह सुनिश्चित होता है कि छात्रों को भारत में मेडिकल प्रैक्टिस के लिए कोई मुश्किल नहीं होगी।

यदि आप भी विदेश में एमबीबीएस करने का सपना देख रहे हैं, तो इन नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही, यह भी महत्वपूर्ण है कि आप जिस संस्थान से डिग्री प्राप्त करें, उसकी मान्यता और पाठ्यक्रम की संरचना को ध्यान में रखें, ताकि भारत में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में कोई परेशानी न हो।

विदेश में एमबीबीएस करने का सपना देखने वाले छात्रों को यह जानना जरूरी है कि केवल डिग्री प्राप्त करना ही पर्याप्त नहीं है। भारत में प्रैक्टिस करने के लिए कुछ खास नियमों और दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है। नेशनल मेडिकल कमीशन द्वारा जारी किए गए ये दिशा-निर्देश छात्रों को इस प्रक्रिया में मदद करेंगे और भविष्य में उन्हें किसी भी तरह की कानूनी या प्रशासनिक दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा।

Leave a comment
 

ट्रेंडिंग News