अररिया, बिहार: एक बार फिर अररिया जिले की बेटी ने अपनी मेहनत और लगन से साबित कर दिया कि यदि दिल में सपने हों, तो कोई भी मुश्किल उसे पूरा करने से रोक नहीं सकती। महलगांव गांव की रहने वाली गुफराना नाज ने बिहार न्यायिक सेवा (BPSC PCS-J) परीक्षा में 71वीं रैंक हासिल की और सिविल जज बनने का गौरव प्राप्त किया है। यह सफलता उनके लिए न केवल एक उपलब्धि है, बल्कि उनके बचपन के सपने का पूरा होने का पल है, जब उन्होंने बचपन में ही जज बनने की इच्छा जताई थी।
गुफराना की सफलता की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) से अपनी बीए-एलएलबी की पढ़ाई की और बाद में जामिया मिल्लिया इस्लामिया से एलएलएम की डिग्री प्राप्त की। दोनों विश्वविद्यालयों से हासिल की गई शिक्षा ने उन्हें न्यायिक सेवा की तैयारी में मदद की। इसके अलावा, गुफराना ने यह भी बताया कि उन्होंने बीपीएससी की तैयारी के लिए किसी भी कोचिंग का सहारा नहीं लिया। उन्होंने अपनी तैयारी के लिए किताबों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध जानकारी का उपयोग किया।
गुफराना का कहना है, "बचपन से ही जज बनने का सपना था। मेरे माता-पिता और भाई-बहनों ने हमेशा मुझे समर्थन दिया और मुझे प्रेरित किया। उनके बिना यह सफलता संभव नहीं होती।" गुफराना की सफलता से यह साबित होता है कि कठिनाइयाँ चाहे जैसी भी हों, अगर मन में दृढ़ संकल्प और सही मार्गदर्शन हो, तो किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता हैं।
गुफराना नाज की इस उपलब्धि ने न केवल अररिया बल्कि पूरे बिहार राज्य का नाम रोशन किया है। यह सफलता उन लाखों लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है, जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। गुफराना की यह सफलता यह संदेश देती है कि बिहार के छोटे से गांवों की बेटियाँ भी बड़े लक्ष्यों को हासिल कर सकती हैं, यदि उन्हें सही दिशा और अवसर मिले।
गुफराना नाज की शिक्षा यात्रा
गुफराना ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा महलगांव और अररिया में प्राप्त की। बाद में उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से बीए-एलएलबी की पढ़ाई की और फिर जामिया मिल्लिया इस्लामिया से एलएलएम की डिग्री हासिल की। गुफराना ने बताया कि उन्होंने अपनी तैयारी को किसी भी कोचिंग संस्थान से नहीं किया, बल्कि खुद से ही किताबें पढ़ी और इंटरनेट से संबंधित विषयों पर जानकारी हासिल की।
अररिया के परिवार का योगदान
गुफराना के पिता अब्दुल हन्नान, जो रेलवे के एएसआई पद से रिटायर हो चुके हैं, ने हमेशा अपने बच्चों को शिक्षा के महत्व को समझाया। गुफराना के माता-पिता का मानना था कि उनके बच्चों को शिक्षा की ताकत से अपनी जिंदगी बदलने का मौका मिलना चाहिए। गुफराना की मां सीमा नाज भी अपने बच्चों के सपनों को पूरा करने में हमेशा उनके साथ खड़ी रहीं।
सपनों को साकार करने की राह
गुफराना की सफलता न केवल उनके परिवार के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि कठिन मेहनत, सही मार्गदर्शन और सही दिशा में चलने से हर किसी का सपना साकार हो सकता है। गुफराना ने अपनी मेहनत से यह साबित किया है कि अगर किसी में कड़ी मेहनत करने की इच्छा हो, तो कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं होता।
आज गुफराना नाज को बिहार न्यायिक सेवा की 32वीं सिविल जज परीक्षा में 71वीं रैंक प्राप्त करने पर बधाई मिल रही है, और उन्हें विश्वास है कि उनकी यात्रा यहीं समाप्त नहीं होती। वह आगे भी अपने करियर में नई ऊंचाइयों को छूने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
समाज के लिए प्रेरणा
गुफराना की सफलता हर उस लड़की के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रही है। गुफराना ने साबित कर दिया है कि यदि एक लड़की ठान ले, तो समाज की सीमाओं को पार कर वह कोई भी मुश्किल आसानी से पार कर सकती हैं।