सफलता किसी एक रात में नहीं मिलती, बल्कि यह संघर्ष, मेहनत और दूरदृष्टि का परिणाम होती है। इसका जीता-जागता उदाहरण हैं विवेक चंद सहगल, जिन्होंने 1975 में अपनी मां के साथ मिलकर मदरसन ग्रुप की नींव रखी और आज ऑस्ट्रेलिया के सबसे अमीर भारतीयों में शामिल हैं। एक छोटे से चांदी के कारोबार से शुरुआत करने वाले सहगल की कंपनी अब ऑटोमोबाइल और एयरोस्पेस सेक्टर में अपनी अलग पहचान बना चुकी है।
कैसे हुई मदरसन ग्रुप की शुरुआत?
दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट विवेक सहगल ने अपनी मां के साथ 1975 में मदरसन ग्रुप की स्थापना की। शुरुआती दिनों में यह कंपनी चांदी के व्यापार से जुड़ी थी, लेकिन समय के साथ सहगल ने इसमें विविधता लाई और इसे ऑटोमोबाइल सेक्टर में विस्तार दिया। उनका विजन और कारोबारी समझ उन्हें नई ऊंचाइयों तक ले गया, और आज मदरसन ग्रुप दुनिया की टॉप ऑटोमोबाइल सप्लायर्स में से एक बन चुका है।
आज 80,199 करोड़ की कंपनी के मालिक
फोर्ब्स के मुताबिक, विवेक सहगल की कुल संपत्ति 4.7 अरब डॉलर (करीब 40,967 करोड़ रुपये) है। उनकी कंपनी सम्वर्धना मदरसन इंटरनेशनल (SAMIL) का मौजूदा मार्केट वैल्यू 80,199 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। इस सफलता के साथ वे सिर्फ ऑस्ट्रेलिया के ही नहीं, बल्कि दुनिया के 713वें सबसे अमीर व्यक्ति भी बन गए हैं।
बेटे के साथ मिलकर चला रहे कारोबार
विवेक सहगल अपने बेटे लक्ष वामन सहगल के साथ मिलकर कंपनी का संचालन कर रहे हैं। लक्ष वामन सहगल कंपनी के डायरेक्टर के रूप में रणनीतिक फैसले लेते हैं, जिससे मदरसन ग्रुप लगातार नए क्षेत्रों में विस्तार कर रहा है।
ऑटोमोबाइल से एयरोस्पेस तक का विस्तार
मदरसन ग्रुप सिर्फ ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री तक सीमित नहीं रहा। कंपनी ने एयरोस्पेस सेक्टर में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। इसकी सहायक कंपनी CIM Tools India, Airbus के लिए टियर 1 सप्लायर के रूप में काम कर रही है। बेंगलुरु स्थित मदरसन की स्पेशल एयरोस्पेस फैसिलिटी से एयरबस के लिए कंपोनेंट्स की सप्लाई की जा रही है।
ग्लोबल ब्रांड्स के लिए भरोसेमंद नाम
मदरसन ग्रुप दुनिया की कई बड़ी कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण सप्लायर बन चुका है। BMW, Ford, Mercedes, Toyota और Volkswagen जैसी दिग्गज कंपनियां इसकी प्रमुख ग्राहक हैं। इसके अलावा, मदरसन सुमी वायरिंग इंडिया, Sumitomo Wiring System के साथ मिलकर वायरिंग हार्नेस इंडस्ट्री में भी अपनी जगह बना चुकी है।
भारत से ऑस्ट्रेलिया तक का सफर, लेकिन जड़ें भारतीय
विवेक सहगल भले ही ऑस्ट्रेलियाई नागरिक हों, लेकिन उनकी जड़ें भारत में ही हैं। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की और भारतीय बाजार को समझते हुए अपने बिजनेस को आगे बढ़ाया। उनकी सफलता इस बात का प्रमाण है कि भारतीय प्रतिभा और मेहनत किसी भी वैश्विक मंच पर अपना परचम लहरा सकती है।
एक प्रेरणादायक सफर
विवेक सहगल की कहानी उन सभी उद्यमियों के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों से शुरुआत कर बड़े सपने देखते हैं। उनके नेतृत्व और दूरदर्शिता ने मदरसन ग्रुप को दुनिया की अग्रणी कंपनियों में शामिल कर दिया है। उनका यह सफर साबित करता है कि सही रणनीति, मेहनत और नवाचार से कोई भी व्यक्ति शून्य से शिखर तक पहुंच सकता है।