जम्मू-कश्मीर की पहली महिला कार रेसर हुमैरा मुश्ताक ने अपने जुनून और मेहनत के दम पर रेसिंग की दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने सामाजिक बंदिशों और आर्थिक चुनौतियों को पीछे छोड़ते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अपनी रफ्तार का परचम लहराया।
स्पोर्ट्स न्यूज़: जम्मू-कश्मीर की पहली महिला कार रेसर हुमैरा मुश्ताक ने अपने जुनून और मेहनत के दम पर रेसिंग की दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने सामाजिक बंदिशों और आर्थिक चुनौतियों को पीछे छोड़ते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अपनी रफ्तार का परचम लहराया। हुमैरा मुश्ताक को रफ्तार से मोहब्बत बचपन से थी। महज चार साल की उम्र में उन्होंने गो-कार्टिंग शुरू कर दी थी।
छह साल की उम्र में उन्होंने रोटैक्स कार्टिंग में कदम रखा और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। हुमैरा ने सिंगल-सीटर, टूरिंग कार, जीटी कार और प्रतिष्ठित फॉर्मूला 2 एवं फॉर्मूला 3 रेसिंग में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उनका सफर केवल भारत तक सीमित नहीं रहा। ब्रिटिश एंड्योरेंस रेसिंग चैंपियनशिप में भाग लेकर वे भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली महिला बनीं। अब, वह इस महीने होने वाली मिडिल ईस्ट जीटी रेस में भी अपनी जगह बना चुकी हैं, जहां उनका मुकाबला दुनिया भर के पुरुष ड्राइवर्स से होगा।
पिता के शब्द बने प्रेरणा
हुमैरा के रेसिंग करियर की राह आसान नहीं थी। एक रूढ़िवादी परिवार में जन्म लेने के कारण उनके लिए कार चलाना भी एक चुनौती थी, रेसिंग तो बहुत दूर की बात थी। लेकिन उनके पिता ने हमेशा उनका हौसला बढ़ाया। 13 साल की उम्र में जब उन्होंने अपने पिता को खो दिया, तब उनकी जिंदगी बिखर गई थी। उनके पिता के अंतिम शब्द, "रुकना मत, पेशेवर ड्राइवर बनो। अल्लाह तुम्हारी मदद करेगा।" ने उन्हें कभी हार न मानने की प्रेरणा दी।
दोगुनी मेहनत, दोहरी पहचान
रेसिंग के लिए फंडिंग जुटाना भी उनके लिए किसी संघर्ष से कम नहीं था। हुमैरा के माता-पिता दोनों डॉक्टर थे, इसलिए उनके परिवार को उम्मीद थी कि वह भी चिकित्सा क्षेत्र में करियर बनाएंगी। उनकी मां ने एक शर्त रखी—अगर वह मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेंगी, तो वह रेसिंग में भी उनका समर्थन करेंगी।हुमैरा ने नीट (NEET) परीक्षा पास कर बीडीएस (डेंटल स्टडीज) में दाखिला लिया। लेकिन रेसिंग का सपना अधूरा नहीं छोड़ा। उन्होंने पार्ट-टाइम काम किया और स्पॉन्सरशिप के लिए कई प्रयास किए। आखिरकार, उन्हें कुछ ब्रांड्स का समर्थन मिला और वह अपने सपनों की उड़ान भरने में कामयाब रहीं।
हुमैरा की कहानी: हौसले और जुनून का प्रतीक
रेसिंग ट्रैक पर हुमैरा अक्सर अकेली महिला होती थीं। साथी ड्राइवरों की निगाहों में या तो संदेह झलकता था या हैरानी। लेकिन उन्होंने अपने प्रदर्शन से सबको गलत साबित कर दिया। आज, वह न केवल एक सफल रेसर हैं, बल्कि उन लाखों लड़कियों के लिए प्रेरणा भी हैं, जो किसी भी पुरुष-प्रधान क्षेत्र में अपनी जगह बनाना चाहती हैं।
हुमैरा मुश्ताक की कहानी सिर्फ एक महिला रेसर की सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक जज़्बे, जुनून और संघर्ष की मिसाल है। उन्होंने दिखा दिया कि अगर हौसला और मेहनत हो, तो कोई भी मंजिल नामुमकिन नहीं होती।