एक गांव में देव शर्मा नाम के एक ऋषि रहते थे जो अपना धन एक थैली में छिपाकर रखते थे। ऋषि हमेशा थैली को अपने पास रखते थे। एक दिन एक धोखेबाज की नजर उस थैली पर पड़ी। वह ऋषि के पास गया और बोला, "ॐ नमः शिवाय! गुरुजी, कृपया मुझे अपने संरक्षण में लें और मेरी रक्षा करें।"
देव शर्मा ने उसे अपना शिष्य तो मान लिया लेकिन थैली को लेकर उस पर भरोसा नहीं किया। हालांकि, जल्द ही धोखेबाज ने अपनी चापलूसी और चिकनी-चुपड़ी बातों से ऋषि का विश्वास जीत लिया। एक दिन ऋषि नदी किनारे नहाने के लिए रुके। उन्होंने अपने कपड़े और थैली शिष्य को दे दी। वापस लौटने पर उन्होंने अपने कपड़े जमीन पर पड़े पाए, लेकिन थैली और शिष्य दोनों गायब थे। ऋषि को एहसास हुआ कि शिष्य उनके पैसे लेकर भाग गया है।
शिक्षा:
इस कहानी से हमें हमेशा चापलूसों से सावधान रहने की सीख मिलती है।