कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने एक वायरल वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनकी बातों को संदर्भ से हटाकर पेश किया गया है। उन्होंने पुरुषों और महिलाओं दोनों को चरित्रवान बनने की सलाह दी थी, लेकिन केवल एक अंश को उछालकर विवाद खड़ा किया गया।
Aniruddhacharya: प्रसिद्ध सनातन धर्म प्रचारक और कथावाचक अनिरुद्धाचार्य जी महाराज इन दिनों सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं, लेकिन इस बार उनके प्रवचनों को लेकर विवाद गहराता नजर आ रहा है। हाल ही में वायरल हुए एक 30 सेकंड के वीडियो क्लिप को लेकर उठे विवाद पर उन्होंने एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में अपनी स्थिति स्पष्ट की है।
उनका कहना है कि उनके बयान को संदर्भ से हटाकर पेश किया गया, जबकि उन्होंने पूरी 6 मिनट की बात के माध्यम से चरित्र निर्माण की बात की थी, जो केवल महिलाओं के लिए नहीं, बल्कि पुरुषों के लिए भी थी। लेकिन मीडिया और सोशल मीडिया के कुछ हिस्सों ने उनके बयान का केवल एक अंश निकालकर उन्हें कटघरे में खड़ा कर दिया।
मेरी बात को गलत तरीके से उछाला गया
अनिरुद्धाचार्य ने साफ शब्दों में कहा, 'हमने तो केवल पुरुषों और महिलाओं को चरित्रवान बनने की सलाह दी थी, लेकिन मीडिया ने केवल उस हिस्से को लिया, जिससे विवाद पैदा हो सके।'
उन्होंने कहा कि जिस 30 सेकंड के क्लिप को लेकर हंगामा मचा है, वह 6 मिनट के प्रवचन का हिस्सा है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, 'अब बताइए, 6 मिनट की बात 30 सेकंड में कैसे समझी जा सकती है?'
गांव की भाषा को शहरी नजरिए से मत देखिए
अपने प्रवचन में प्रयुक्त कुछ शब्दों को लेकर उठे विवाद पर उन्होंने सफाई दी और कहा कि वे जो शब्द बोले वह गांव की सामान्य भाषा में बोले गए थे। 'गांव में 'मुंह मारना' शब्द आम भाषा का हिस्सा है, जिसका तात्पर्य चरित्रहीनता से है। मेरा आशय न तो किसी महिला को अपमानित करना था, और न ही किसी पुरुष को नीचा दिखाना।'
उन्होंने यह भी कहा कि यदि भाषा की दृष्टि से कोई गलती हुई है, तो उसे स्वीकार करते हैं, लेकिन भावना और उद्देश्य गलत नहीं था।
संतों का नहीं, सनातन का विरोध हो रहा है
अनिरुद्धाचार्य ने अपने आलोचकों पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि यह सिर्फ एक संत या एक व्यक्ति के शब्दों का विरोध नहीं है, बल्कि यह सनातन संस्कृति और परंपरा के खिलाफ सुनियोजित साजिश का हिस्सा है।
उन्होंने कहा,
'प्रेमानंद जी महाराज ने जो कहा, उसमें कोई आपत्तिजनक बात नहीं थी। फिर उनका विरोध क्यों हुआ? इससे साफ है कि यह शब्दों का विरोध नहीं, बल्कि संतों और सनातन का विरोध है।'
लिव-इन रिलेशनशिप का क्यों हो रहा महिमामंडन?
अपने बयान को लेकर हो रहे विवाद के बीच उन्होंने वर्तमान सामाजिक संरचना पर भी सवाल उठाए। 'लिव-इन रिलेशन को समाज में क्यों बढ़ावा दिया जा रहा है? क्या यह हमारी भारतीय संस्कृति का हिस्सा है? क्या हम चरित्र निर्माण की बात न करें?'
अनिरुद्धाचार्य का मानना है कि जब वे चरित्र और नैतिकता की बात करते हैं, तब उन्हें निशाना बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि यह केवल धार्मिक विचारों पर हमला नहीं, बल्कि समाज की मूलभूत संरचना को कमजोर करने का प्रयास है।
मैं नहीं पढ़ा-लिखा, लेकिन शास्त्रों की बात करता हूं
खुद को 'कम पढ़ा-लिखा' बताते हुए अनिरुद्धाचार्य ने दावा किया कि वह जो भी बोलते हैं, वह शास्त्रों और परंपराओं के आधार पर होता है। उन्होंने कहा,
'हम कोई मॉडर्न थ्योरी नहीं दे रहे, हम शास्त्रों की बात कर रहे हैं। रामायण, महाभारत, भागवत – इन सबका सार यही है कि व्यक्ति को चरित्रवान होना चाहिए।'
राजनीति को न घसीटें धर्म में
विवाद के बीच राजनीतिक प्रतिक्रियाओं पर भी उन्होंने नाराजगी जताई। जब उनसे अखिलेश यादव की नाराजगी पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा,
'नेता बताएं कि संत खुश कैसे रहें? हम तो बस समाज को आइना दिखा रहे हैं। अगर उन्हें संतों की भाषा से दिक्कत है, तो वे छांगुर बाबा के सत्संग में जाकर देखें कि असली संत क्या बोलते हैं।'
उन्होंने दावा किया कि रामभद्राचार्य जी और प्रेमानंद जी महाराज उनके खिलाफ नहीं हैं और यह विवाद राजनीतिक एजेंडा से प्रेरित है।