बीजेपी प्रवक्ता पिंटू महादेव ने लाइव टीवी शो में राहुल गांधी को गोली मारने की धमकी दी। कांग्रेस समेत कई दलों ने इसका विरोध किया और भाजपा नेतृत्व से कार्रवाई व माफी की मांग की है।
नई दिल्ली: भाजपा के प्रवक्ता पिंटू महादेव ने एक लाइव टीवी डिबेट में कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद राहुल गांधी को गोली मारने की धमकी दी। इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसे लोकतंत्र और संविधान पर हमला करार देते हुए भाजपा नेतृत्व से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। इस घटना ने देश में राजनीतिक सुरक्षा और नेताओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर बहस को जन्म दे दिया है।
राहुल गांधी की सुरक्षा पर उठे सवाल
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि यह घटना चिंता का विषय है। उन्होंने सवाल उठाया कि जिस आसानी से भाजपा के प्रवक्ता ने टीवी पर यह धमकी दी, उसके सामने मौन रहना कैसे संभव है। उनका कहना था कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और विचारधारा के अंतर को हिंसा में बदलने की प्रवृत्ति लोकतंत्र के लिए घातक है।
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की खुली धमकी केवल व्यक्तिगत सुरक्षा को ही नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रक्रिया और नागरिक अधिकारों पर भी असर डालती है। सुप्रिया ने कहा कि सरकार और पुलिस प्रशासन को इस मामले में गंभीरता से कदम उठाना चाहिए।
भाजपा प्रवक्ता की धमकी पर कांग्रेस का विरोध
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने सोशल मीडिया पर वीडियो संदेश जारी कर भाजपा प्रवक्ता की धमकी की निंदा की। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह वही मानसिकता है जो पहले महात्मा गांधी और इंदिरा गांधी की हत्या जैसी घटनाओं में दिखाई दी थी। इमरान ने भाजपा अध्यक्ष और प्रधानमंत्री से तत्काल कार्रवाई की मांग की और कहा कि देश जानना चाहता है कि इस तरह की धमकियों के पीछे कौन जिम्मेदार है।
प्रतापगढ़ी ने कहा कि लगातार नेताओं को धमकी देना लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि ऐसी घटनाओं पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो राजनीतिक हिंसा बढ़ने की संभावना है।
पवन खेड़ा ने राजनीति में हिंसा की आलोचना की
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि जब किसी पार्टी की विचारधारा लोगों के बीच असफल होती है, तो उसके कार्यकर्ता शारीरिक हिंसा का सहारा लेते हैं। उन्होंने भाजपा प्रवक्ता की धमकी को इसी मानसिकता का परिणाम बताया और कहा कि यह गरीबों, हाशिए पर पड़े वर्ग और लोकतांत्रिक आवाज़ों को दबाने की साजिश है।
खेड़ा ने कहा कि राजनीति केवल विचारों और बहस के माध्यम से होनी चाहिए। हिंसा और धमकियां लोकतंत्र की आत्मा को नुकसान पहुँचाती हैं और आम जनता में भय का माहौल पैदा करती हैं।
भाजपा की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
इस घटना के बाद भाजपा की ओर से अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यदि पार्टी का नेतृत्व इस तरह के बयान को रोकने में विफल रहता है, तो इसका संदेश गलत होगा। सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि यह पहला मामला नहीं है; इससे पहले भी कुछ भाजपा नेताओं ने हिंसक और अपमानजनक बयान दिए हैं।
पार्टी नेताओं की चुप्पी और अव्यवस्थित प्रतिक्रिया केवल स्थिति को और भड़काती है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक विवादों का समाधान संवाद और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिए ही होना चाहिए।