प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों के चलते रविवार से शुरू हो रहे आसियान शिखर सम्मेलन से जुड़ी बैठकों में भाग लेने के लिए संभवत: मलेशिया नहीं जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति में विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन बैठकों में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस वर्ष मलेशिया में होने वाले आसियान (ASEAN) शिखर सम्मेलन 2025 में भाग नहीं लेंगे। भारत सरकार ने पुष्टि की है कि विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। सम्मेलन 26 से 28 अक्टूबर तक मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में आयोजित किया जा रहा है। हालांकि, यह संभावना बनी हुई है कि प्रधानमंत्री मोदी इस बैठक में डिजिटल माध्यम से संबोधित कर सकते हैं।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों के चलते स्थगित हुआ दौरा
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी के कई पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों और घरेलू प्रतिबद्धताओं के कारण इस बार उनका मलेशिया दौरा टाल दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि इस निर्णय की जानकारी औपचारिक रूप से मलेशियाई सरकार को दे दी गई है। यह भी कहा जा रहा है कि शुरुआती योजना के अनुसार प्रधानमंत्री की कंबोडिया यात्रा पर भी विचार किया जा रहा था, लेकिन अब वह भी स्थगित कर दी गई है।
भारत ने यह स्पष्ट किया है कि मलेशिया में आयोजित होने वाले आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में विदेश मंत्री जयशंकर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे, जिससे भारत की भागीदारी का स्तर और राजनयिक उपस्थिति बरकरार रहेगी।
प्रधानमंत्री मोदी की डिजिटल भागीदारी की संभावना
हालांकि मोदी इस सम्मेलन में भौतिक रूप से शामिल नहीं होंगे, लेकिन यह संभावना प्रबल है कि वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या वर्चुअल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से संबोधन देंगे। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री का संदेश आसियान देशों के बीच भारत की प्रतिबद्धता और क्षेत्रीय सहयोग को रेखांकित करेगा।भारत ने पिछले कई वर्षों में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में सक्रिय भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री मोदी ने लगभग हर आसियान बैठक में भारत का नेतृत्व किया है, और उनके नेतृत्व में भारत ने ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के तहत दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ अपने संबंधों को नई दिशा दी है।
ट्रंप भी होंगे शामिल, बढ़ेगा वैश्विक ध्यान
इस वर्ष का आसियान शिखर सम्मेलन कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मलेशिया ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समेत कई प्रमुख संवाद साझेदार देशों के नेताओं को आमंत्रित किया है। ट्रंप 26 अक्टूबर को दो दिवसीय यात्रा पर कुआलालंपुर पहुंचेंगे। इससे यह उम्मीद की जा रही है कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा, व्यापार और रणनीतिक साझेदारी से जुड़े मुद्दों पर उच्च स्तर की चर्चाएँ होंगी।
भारत की ओर से जयशंकर की उपस्थिति यह संकेत देती है कि भारत इस मंच पर अपने राजनयिक और आर्थिक हितों को पूरी मजबूती से रखेगा। जयशंकर के एजेंडे में क्षेत्रीय सुरक्षा, आपसी व्यापार, समुद्री सहयोग और डिजिटल कनेक्टिविटी जैसे मुद्दे प्रमुख रहेंगे। भारत और आसियान के बीच संबंध 1992 में एक क्षेत्रीय साझेदारी के रूप में शुरू हुए थे। दिसंबर 1995 में इसे पूर्ण संवाद साझेदारी का दर्जा मिला, 2002 में इसे शिखर सम्मेलन स्तर की साझेदारी में बदला गया और 2012 में इसे रणनीतिक साझेदारी के रूप में मान्यता दी गई।
वर्तमान में आसियान के 10 सदस्य देश हैं — इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया। इन देशों के साथ भारत का वार्षिक व्यापार 120 अरब डॉलर से अधिक है और ‘इंडो-पैसिफिक विज़न’ में आसियान की भूमिका केंद्रीय मानी जाती है।