Pune

अट्टुकाल भगवती मंदिर: देवी कन्नकी की दिव्यता और ऐतिहासिक धार्मिक महिमा

अट्टुकाल भगवती मंदिर: देवी कन्नकी की दिव्यता और ऐतिहासिक धार्मिक महिमा

केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में स्थित अट्टुकाल भगवती मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि नारी शक्ति, भक्ति और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। इस मंदिर को 'महिलाओं का सबरीमाला' कहा जाता है, जहाँ हर साल लाखों महिलाएँ एकत्र होकर देवी कन्नकी को प्रसन्न करने के लिए विशेष पर्व पोंगाला महोत्सव मनाती हैं। देवी भद्रकाली के रूप में पूजनीय अट्टुकाल अम्मा का यह धाम, शक्ति की साक्षात अनुभूति कराता है।

पौराणिक पृष्ठभूमि: देवी कन्नकी की कथा

अट्टुकाल भगवती को तमिल महाकाव्य शिलप्पधिकरम की नायिका कन्नकी का अवतार माना जाता है। कन्नकी, एक पतिव्रता नारी थीं, जिनके पति कोवलन को झूठे आरोप में राजा ने मृत्युदंड दे दिया था। सत्य की पुष्टि होते ही कन्नकी ने अपने तेज और तप से सम्पूर्ण मदुरै नगर को भस्म कर दिया। उनके सतीत्व और शुद्धता के तेज से स्वयं नगर देवी प्रकट हुईं और कन्नकी को मोक्ष प्रदान किया। इस घटना के बाद कन्नकी कन्याकुमारी होते हुए केरल पहुँचीं और अट्टुकाल में ठहरीं। यहाँ के एक वृद्ध को स्वप्न में दर्शन देकर उन्होंने मंदिर निर्माण का आदेश दिया। यहीं से आरंभ हुआ अट्टुकाल भगवती मंदिर का इतिहास।

भद्रकाली का रूप: शक्ति और संहार की देवी

कई किंवदंतियों के अनुसार, अट्टुकाल भगवती देवी भद्रकाली का रूप हैं। यह देवी भगवान शिव के तीसरे नेत्र से प्रकट हुईं और दानव दारुक का वध कर संसार से अधर्म का नाश किया। इस रूप में देवी शक्ति, संहार और रक्षण की त्रिवेणी मानी जाती हैं। अट्टुकाल में देवी को 'माँ' के रूप में पूजा जाता है, जो अपने भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी करती हैं।

आट्टुकाल पोंगाला महोत्सव: श्रद्धा का महासागर

यह विश्व का सबसे बड़ा महिला उत्सव माना जाता है। अट्टुकाल पोंगाला हर साल मलयालम माह कुंभम (फरवरी-मार्च) में आयोजित होता है। इस दिन तिरुवनंतपुरम की सड़कों से लेकर घरों के आंगनों तक लाखों महिलाएं खुले आकाश के नीचे बैठकर देवी को पोंगाला (गुड़, चावल, नारियल आदि से बना मीठा भोग) अर्पित करती हैं। उत्सव का आरंभ 'कप्पुकट्टू' (देवी को चूड़ियाँ पहनाना) से होता है और समापन दसवें दिन कुरुतिथार्पणम नामक यज्ञ के साथ होता है। जब पुजारी पोंगाला के पात्रों पर तीर्थजल छिड़कते हैं, तो पुष्पवर्षा के साथ देवी की कृपा का अनुभव होता है।

मंदिर का वास्तु सौंदर्य और शैली

अट्टुकाल मंदिर की संरचना केरल और द्रविड़ वास्तुकला का अनूठा संगम है। मंदिर की दीवारों पर देवी के विभिन्न रूपों की भव्य नक्काशियाँ उकेरी गई हैं। मंदिर के गोपुर पर शिलप्पधिकरम की कथा और कन्नकी की मूर्तियाँ अत्यंत कलात्मक ढंग से चित्रित हैं। गर्भगृह में दो मूर्तियाँ हैं—मूल देवी मूर्ति और एक पूजन हेतु प्रतिमा। ये मूर्तियाँ स्वर्णाभूषणों और रत्नों से सुसज्जित हैं, जो दिव्यता का अनुभव कराती हैं। मंदिर परिसर में अन्य देवताओं जैसे गणेश, नागदेवता, शिव आदि की मूर्तियाँ भी स्थित हैं।

स्त्री शक्ति का अनुपम उदाहरण

इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह पूर्णतः स्त्रियों की आस्था का केंद्र है। पोंगाला महोत्सव में पुरुषों की भूमिका केवल सेवा और सहयोग की होती है। महिलाओं के लिए आरक्षित यह अनुष्ठान इस बात का प्रतीक है कि स्त्रियों की आध्यात्मिक शक्ति भी पुरुषों से कम नहीं। अट्टुकाल मंदिर इस बात का साक्ष्य है कि धर्म में स्त्रियों की भी उतनी ही भूमिका है जितनी पुरुषों की। यहाँ की भक्ति ऊर्जा नारी शक्ति का ज्वलंत प्रमाण देती है।

भक्तों की आस्था और विश्वास

अट्टुकाल भगवती मंदिर में दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त सच्चे मन और विश्वास के साथ अट्टुकाल अम्मा से प्रार्थना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। कई भक्तों ने देवी की कृपा से चमत्कारिक अनुभव किए हैं, जैसे–बीमारी से मुक्ति, संतान की प्राप्ति या जीवन की कठिनाइयों से छुटकारा। यह मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि मन को शांति देने वाला और आत्मा को ऊर्जा देने वाला एक पवित्र तीर्थ स्थल है। यहाँ आकर लोग न केवल देवी के दर्शन करते हैं, बल्कि अपने भीतर नई शक्ति, आशा और विश्वास की अनुभूति भी करते हैं। यही कारण है कि अट्टुकाल अम्मा को भक्त माँ के रूप में पूजते हैं।

सुगम आवागमन और सुविधाएँ

अट्टुकाल भगवती मंदिर में दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त सच्चे मन और विश्वास के साथ अट्टुकाल अम्मा से प्रार्थना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। कई भक्तों ने देवी की कृपा से चमत्कारिक अनुभव किए हैं, जैसे–बीमारी से मुक्ति, संतान की प्राप्ति या जीवन की कठिनाइयों से छुटकारा। यह मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि मन को शांति देने वाला और आत्मा को ऊर्जा देने वाला एक पवित्र तीर्थ स्थल है। यहाँ आकर लोग न केवल देवी के दर्शन करते हैं, बल्कि अपने भीतर नई शक्ति, आशा और विश्वास की अनुभूति भी करते हैं। यही कारण है कि अट्टुकाल अम्मा को भक्त माँ के रूप में पूजते हैं।

आधुनिक युग में भी पुरातन आस्था की ध्वजा

आज के समय में जहाँ दुनिया तेजी से बदल रही है और लोग आधुनिक जीवनशैली अपना रहे हैं, वहीं अट्टुकाल भगवती मंदिर प्राचीन आस्था और परंपराओं का जीवंत प्रतीक बना हुआ है। यह मंदिर सिखाता है कि चाहे समय कितना भी आगे बढ़ जाए, लेकिन सच्चे मन से की गई पूजा और विश्वास कभी पुराना नहीं होता। यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और सामाजिक जड़ों से भी जुड़ा हुआ है। यहाँ आकर हर कोई नारी शक्ति, परंपरा और भक्ति का अनुभव करता है। यही इसे खास और श्रद्धा का केंद्र बनाता है।

अट्टुकाल भगवती मंदिर सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि नारी शक्ति, भक्ति और संस्कृति का प्रतीक है। यहाँ हर साल लाखों महिलाएँ एकजुट होकर आस्था का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करती हैं। देवी कन्नकी के दिव्य रूप में बसे इस मंदिर में श्रद्धा रखने वाले भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। यदि आप सच्चे मन से देवी के चरणों में नतमस्तक होते हैं, तो जीवन में सुख, शांति और समृद्धि अवश्य प्राप्त होती है।

Leave a comment