बैतूल के अपर जिला जज तपेश कुमार दुबे की बुधवार को अचानक दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। वे ग्राम लादी के दौरे पर निकले थे, तभी कार्डियक अरेस्ट आने से गिर पड़े। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने 55 वर्षीय न्यायाधीश को मृत घोषित कर दिया।
MP NEWS: बैतूल जिले में आमला न्यायालय में पदस्थ अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) तपेश कुमार दुबे का बुधवार को अचानक हार्ट अटैक से निधन हो गया। वे जिले के ग्राम लादी के दौरे पर थे, जहां भ्रमण के दौरान अचानक उन्हें सीने में दर्द हुआ और वे बेहोश होकर गिर पड़े। साथ मौजूद अधिकारियों ने तुरंत उन्हें नजदीकी अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। बताया जा रहा है कि 55 वर्षीय दुबे लंबे समय से न्यायिक सेवा में अपनी ईमानदारी और संवेदनशीलता के लिए पहचाने जाते थे। उनकी असामयिक मृत्यु से जिले के न्यायिक और प्रशासनिक हलकों में शोक की लहर है। न्यायालय परिसर में श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी।
दौरे के दौरान अचानक बिगड़ी तबीयत, अपर जिला जज तपेश दुबे की हृदयगति रुकने से मौत
बैतूल जिले में न्यायपालिका के लिए बुधवार का दिन शोकभरा रहा, जब आमला न्यायालय में पदस्थ अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) तपेश कुमार दुबे का अचानक निधन हो गया। जानकारी के अनुसार, 55 वर्षीय दुबे निजी दौरे पर थे, इसी दौरान उन्हें अस्वस्थता महसूस हुई और वे गिर पड़े। साथ मौजूद लोगों ने तत्काल उन्हें अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। बताया गया कि उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ था, जिसके कारण उनकी हृदयगति रुक गई। दुबे के निधन से न्यायिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं और कर्मचारियों में शोक की लहर है। कोर्ट परिसर में श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर उनके योगदान को याद किया गया। अधिकारी वर्ग ने इसे न्यायपालिका के लिए अपूरणीय क्षति बताया।
निजी दौरे के दौरान अस्वस्थ हुए एडीजे तपेश दुबे, डॉक्टरों ने जांच के बाद मृत घोषित किया
बैतूल जिले में बुधवार को न्यायपालिका के लिए एक दुखद घटना हुई, जब आमला न्यायालय में पदस्थ एडीजे तपेश कुमार दुबे का अचानक दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) शैलेन्द्र बडोनिया ने बताया कि ग्राम भ्रमण के दौरान दुबे को अचानक सीने में दर्द हुआ और वे गिर पड़े। तत्काल मौजूद अधिकारियों ने चिकित्सकों को मौके पर बुलाया, लेकिन जांच के दौरान डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बताया गया कि उन्हें गंभीर कार्डियक अरेस्ट आया था।
दुबे की असामयिक मृत्यु से जिलेभर के न्यायिक और प्रशासनिक हलकों में शोक की लहर फैल गई है। न्यायिक समुदाय ने इसे अपूरणीय क्षति बताया है। अदालत परिसर में श्रद्धांजलि सभा आयोजित करने की तैयारी की जा रही है, जहां अधिकारी और कर्मचारी उन्हें अंतिम विदाई देंगे।
न्यायाधीश तपेश दुबे को अंतिम विदाई, पार्थिव शरीर गृह नगर छिंदवाड़ा भेजा गया
बैतूल जिले में बुधवार को दिल का दौरा पड़ने से हुए निधन के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) तपेश कुमार दुबे का पार्थिव शरीर उनके गृह नगर छिंदवाड़ा भेजा गया है। प्रशासन की देखरेख में न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। अंतिम यात्रा से पहले अदालत परिसर में मौन रखकर श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई।
अधिकारियों ने बताया कि शव को आवश्यक औपचारिकताओं के बाद एंबुलेंस के जरिए छिंदवाड़ा रवाना किया गया। न्यायाधीश दुबे के निधन की खबर से पूरे जिले में शोक की लहर है। न्यायिक समुदाय के साथ स्थानीय नागरिक भी उनकी सादगी और कार्यनिष्ठा को याद कर रहे हैं।
परिवार में पसरा मातम, पत्नी और दो बच्चों पर टूटा दुखों का पहाड़
मूल रूप से छिंदवाड़ा निवासी 55 वर्षीय तपेश कुमार दुबे अपने परिवार के साथ आमला में पदस्थ थे। उनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं। अचानक हुई इस त्रासदी से पूरा परिवार सदमे में है। परिजनों ने बताया कि दुबे हमेशा कर्तव्यनिष्ठ, शांत स्वभाव और सरल जीवन के लिए जाने जाते थे।
करीबी सूत्रों ने बताया कि दुबे अक्सर कहा करते थे कि “न्याय केवल फैसला नहीं, जिम्मेदारी है।” उनके असमय निधन से परिवार और सहयोगियों को गहरा आघात पहुंचा है। स्थानीय प्रशासन ने परिवार को हर संभव सहायता उपलब्ध कराने का भरोसा दिया है।
न्यायिक समुदाय ने जताया गहरा शोक
अपर जिला न्यायाधीश तपेश दुबे के निधन की खबर फैलते ही बैतूल से लेकर छिंदवाड़ा तक के न्यायिक अधिकारी और अधिवक्ता स्तब्ध रह गए। न्यायालय परिसर में न्यायाधीशों और कर्मचारियों ने दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने उन्हें एक ईमानदार और समर्पित न्यायाधीश बताया।
अधिकारियों का कहना है कि दुबे ने अपने कार्यकाल में न्याय की निष्पक्षता और मानवता की मिसाल पेश की। उनका जाना न्यायपालिका के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके योगदान को याद करते हुए कहा गया कि वे केवल एक अधिकारी नहीं, बल्कि एक प्रेरणा थे।
कम उम्र में निधन से स्तब्ध लोग, हर आंख नम
न्यायाधीश तपेश दुबे का निधन उस उम्र में हुआ, जब वे अपने करियर के उत्कर्ष पर थे। उनकी सादगी, संवेदनशीलता और न्यायप्रियता ने हर किसी पर गहरी छाप छोड़ी थी। सहयोगियों ने बताया कि वे हमेशा विनम्रता से पेश आते थे और कभी किसी से ऊंचा बोलते नहीं सुने गए।
उनके निधन के बाद पूरे क्षेत्र में शोक की लहर है। बैतूल, आमला और छिंदवाड़ा के न्यायिक समुदाय के साथ आम नागरिक भी उनकी यादों को साझा कर रहे हैं। सभी का कहना है कि न्यायाधीश दुबे का जाना न केवल न्याय व्यवस्था के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक बड़ी क्षति है।












