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बारिश में AC का ड्राई मोड नहीं चलाया तो हो सकती हैं ये 3 बड़ी समस्याएं

बारिश में AC का ड्राई मोड नहीं चलाया तो हो सकती हैं ये 3 बड़ी समस्याएं

बारिश शुरू होते ही तापमान तो गिर जाता है लेकिन उमस का स्तर काफी बढ़ जाता है। इस नमी की वजह से कमरे में घुटन और चिपचिपाहट महसूस होती है। ऐसे में बहुत से लोग तुरंत एयर कंडीशनर (AC) चालू कर देते हैं और अधिकतर लोग इसे हमेशा की तरह कूल मोड पर चलाते हैं। लेकिन नमी की समस्या में कूल मोड मदद नहीं करता।

AC का कूल मोड सिर्फ कमरे का तापमान कम करता है। इसमें ह्यूमिडिटी यानी नमी को कम करने की क्षमता बहुत कम होती है। इसलिए बरसात के दिनों में जब नमी का स्तर बहुत ज्यादा होता है, तब सिर्फ कूल मोड पर एसी चलाना आपको पूरी राहत नहीं देता।

बारिश में कूल मोड चलाने से क्यों नहीं मिलता सुकून

मानसून में कई बार तापमान इतना कम हो जाता है कि ठंडी हवा की ज़रूरत ही नहीं लगती, बल्कि कमरे में चिपचिपी और भारी हवा से राहत चाहिए होती है। ऐसे में जब एसी को कूल मोड में चलाया जाता है, तो यह तापमान को और नीचे गिरा देता है लेकिन कमरे में मौजूद नमी जस की तस बनी रहती है।

इसका नतीजा ये होता है कि कमरे में कुछ ही देर में ठंडक तो महसूस होती है लेकिन कपड़े और दीवारें नम हो जाते हैं, और पसीना सुखने की बजाय और चिपचिपाहट का एहसास होने लगता है। यह स्थिति असहज महसूस कराती है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए।

ड्राई मोड से मिलता है असली आराम

बारिश के मौसम में एसी के ड्राई मोड का इस्तेमाल सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है। ड्राई मोड का मुख्य काम कमरे की हवा से अतिरिक्त नमी को सोखना होता है। जब यह मोड ऑन किया जाता है, तो एसी एक डिह्यूमिडिफायर की तरह काम करता है।

ड्राई मोड में कम्प्रेसर कम समय के लिए चलता है और फैन की स्पीड भी धीमी होती है। इससे कमरे से नमी धीरे-धीरे हटती है और एक सुकून भरा वातावरण बनता है। इसके साथ ही इस मोड से फंगस और बदबू की आशंका भी कम हो जाती है क्योंकि नमी हावी नहीं रहती।

 ड्राई मोड को पहचानने का तरीका क्या है

कई यूजर्स को यह नहीं पता होता कि उनके एसी में ड्राई मोड है या नहीं। अधिकतर स्प्लिट और इनवर्टर एसी में यह मोड ज़रूर होता है। रिमोट कंट्रोल में इसका एक अलग आइकन होता है, जो आमतौर पर पानी की बूंद जैसा दिखता है।

इस मोड को एक्टिवेट करने के लिए रिमोट से मोड बटन को तब तक दबाते रहें जब तक ड्राई मोड ऑन न हो जाए। एक बार यह मोड एक्टिव हो जाए, तो कुछ ही मिनटों में आप कमरे में नमी का असर कम होते देख सकते हैं।

ड्राई मोड कब-कब करना चाहिए इस्तेमाल

ड्राई मोड का इस्तेमाल तब करना चाहिए जब तापमान बहुत ज्यादा नहीं है लेकिन नमी बहुत अधिक है। जैसे मानसून के दौरान, या जब कमरे में कपड़े सुखाए जा रहे हों, या फिर दीवारों से नमी की गंध आ रही हो।

अगर कमरे में AC चलाने के बाद भी चिपचिपापन बना रहता है, या कपड़े सूखने में समय लग रहा है, तो यह संकेत है कि ड्राई मोड की जरूरत है। इस मोड का रोज़ लंबे समय तक इस्तेमाल करने की ज़रूरत नहीं होती, बल्कि नमी महसूस होने पर ही इसे चलाना ठीक रहता है।

फंगस और बदबू से भी देता है राहत

बरसात के मौसम में सबसे बड़ी परेशानी होती है फंगस और सीलन की। नमी की वजह से कई बार घर की दीवारों, फर्नीचर और पर्दों पर फंगस जमने लगता है। यही नहीं, कमरे में बदबू भी आने लगती है जो कई बार एलर्जी और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।

ड्राई मोड न सिर्फ हवा से नमी हटाता है बल्कि कमरे को सूखा और ताजा बनाए रखता है। इससे बैक्टीरिया और फंगल स्पोर्स की ग्रोथ पर भी असर पड़ता है। यह मोड खासकर उन घरों के लिए उपयोगी है जहां कम धूप आती है और वेंटिलेशन कम है।

हर मौसम के लिए अलग मोड होता है बेहतर

हर मौसम के अनुसार एसी का मोड बदलना जरूरी है। गर्मियों में कूल मोड, बरसात में ड्राई मोड और सर्दियों में हीट मोड या फैन मोड का उपयोग ज्यादा फायदेमंद होता है। एसी सिर्फ ठंडक देने की मशीन नहीं है, बल्कि यह आपके घर की हवा को नियंत्रित करने का भी एक स्मार्ट तरीका है।

बारिश के इस मौसम में अगर आपको बार-बार घुटन महसूस हो रही है, कमरे में सीलन आ रही है और बिजली का बिल भी बढ़ रहा है, तो समझ लीजिए कि सही मोड का इस्तेमाल नहीं हो रहा। ऐसे में एक बार ड्राई मोड ऑन करके देखें, फर्क खुद महसूस होगा।

क्या हर एसी में होता है ड्राई मोड

नए जमाने के लगभग सभी स्प्लिट और इनवर्टर एसी में ड्राई मोड आता है। हालांकि, पुराने विंडो एसी या बेसिक मॉडल्स में यह मोड नहीं दिया जाता। अगर आपके एसी में यह फीचर नहीं है, तो डिह्यूमिडिफायर खरीदकर भी नमी कम की जा सकती है।

टेक्नोलॉजी कंपनियां अब ऐसे स्मार्ट एसी भी बना रही हैं जिनमें मौसम के अनुसार मोड खुद-ब-खुद बदल जाते हैं। ऐसे एसी में इनबिल्ट सेंसर होते हैं जो ह्यूमिडिटी लेवल को पहचानकर मोड शिफ्ट कर देते हैं। भविष्य में यह तकनीक आम एसी में भी देखने को मिल सकती है।

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