राजस्थान में भाजपा सरकार ने कांग्रेस सरकार का फैसला पलटते हुए जयपुर, जोधपुर और कोटा में दो-दो नगर निगमों को एक-एक कर दिया। वार्डों की संख्या घटकर 150 हुई और निकाय चुनाव पूर्व की तरह आयोजित होंगे।
जयपुर: राजस्थान की भाजपा सरकार ने कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए नगर निगमों के फैसले को पलटते हुए जयपुर, जोधपुर और कोटा में दो-दो नगर निगमों की जगह एक-एक नगर निगम करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही वार्डों की संख्या घटाकर 150 कर दी गई है। जनवरी 2026 में प्रस्तावित नगर निकाय चुनाव इसी नई व्यवस्था के तहत होंगे।
नगर निगमों की संख्या में बदलाव
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने पिछले पांच साल में जयपुर, जोधपुर और कोटा में दो-दो नगर निगम बना दिए थे। जयपुर में इन्हें हैरिटेज और ग्रेटर नगर निगम नाम दिया गया था। दोनों नगर निगमों के तहत दो-दो महापौर चुने गए थे। भाजपा सरकार ने अब इसे वापस एक-एक नगर निगम कर दिया है। इसका मतलब है कि इन तीन शहरों में केवल एक महापौर होगा।
यह बदलाव नगर निकाय चुनाव की प्रक्रिया और प्रशासनिक ढांचे को पूरी तरह प्रभावित करेगा। शहरों की योजना, विकास कार्य और वित्तीय निर्णय अब एक ही नगर निगम के तहत होंगे। अधिकारियों का कहना है कि इससे प्रशासनिक कामकाज में सहूलियत होगी, लेकिन राजनीतिक प्रतिस्पर्धा तेज होगी।
जयपुर में वार्डों की संख्या घटाई गई
जयपुर नगर निगम में 2017 तक 91 वार्ड थे। बाद में परिसीमन के तहत इसे बढ़ाकर 150 कर दिया गया। कांग्रेस सरकार ने बाद में नया परिसीमन करते हुए वार्डों की संख्या 250 कर दी थी। अब भाजपा सरकार ने इसे फिर से 150 कर दिया है।
शहरी क्षेत्र में कुल 10 विधानसभा क्षेत्रों के तहत नए 150 वार्ड होंगे। इनमें विद्याधर नगर में 22, सांगानेर 21, आदर्श नगर 17, सिविल लाइंस 15, मालवीय नगर 15, हवामहल 15, झोटवाड़ा 15, बगरू 14, किशनपोल 12 और आमेर 3 वार्ड शामिल हैं। नए परिसीमन के अनुसार ही जनवरी 2026 में नगर निकाय चुनाव संपन्न होंगे।
वार्ड घटने से नेताओं के लिए नई चुनौती
वार्डों की संख्या घटने से स्थानीय नेताओं के लिए चुनावी चुनौती बढ़ जाएगी। कई पुराने पार्षद अब नए वार्डों में चुनाव लड़ने के लिए रणनीति बदलेंगे। महापौर पद के लिए भी अब सघन मुकाबला होगा।
पूर्व में ज्यादा वार्ड होने से कई युवा नेताओं को पार्षद बनने का मौका मिला था, लेकिन इस बार वरिष्ठ नेता ही आगे रह सकते हैं। राजनीतिक दलों को नए परिसीमन के अनुसार उम्मीदवारों को खड़ा करना और क्षेत्रीय समीकरण समझना चुनौतीपूर्ण होगा।
नए परिसीमन से चुनावी रणनीति में बदलाव
नए परिसीमन और एक-एक नगर निगम के फैसले से आने वाले चुनावों में सघन मुकाबला देखने को मिलेगा। स्थानीय नेताओं के लिए नई चुनावी रणनीति बनाना जरूरी होगा। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल अब अपने नेताओं को वार्डों के हिसाब से तैयार करेंगे।
अधिकारी बताते हैं कि नगर निगमों के विलय से प्रशासनिक खर्च में कमी आएगी, लेकिन चुनावी रणनीति और राजनीतिक गतिशीलता में बदलाव होगा। जनवरी 2026 में प्रस्तावित चुनाव इस नई व्यवस्था का पहला टेस्ट होगा।