भारत के शेयर बाजार ने हाल ही में बड़ी छलांग लगाई है और वैश्विक स्तर पर अपनी महत्वपूर्ण स्थिति दर्ज कराई है। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत के मार्केट कैपिटलाइजेशन में 21 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है
नई दिल्ली: भारत की इक्विटी मार्केट ने वैश्विक स्तर पर अपनी ताकत का प्रभावशाली प्रदर्शन किया है। मार्च 2025 के बाद से भारतीय शेयर बाजार में मार्केट कैपिटलाइजेशन में 1 ट्रिलियन डॉलर की अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। इस शानदार उछाल के चलते भारत अब अमेरिका, चीन, जापान और हांगकांग के बाद दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा इक्विटी मार्केट बन गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह वृद्धि भारत की आर्थिक मजबूती, निवेशकों के विश्वास और घरेलू बाजार की सकारात्मक नीतियों का नतीजा है।
भारत की बाजार पूंजी में तेजी – एक नजर
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखे तो भारत की मार्केट कैपिटलाइजेशन में 21 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है, जो टॉप 10 इक्विटी बाजारों में सबसे अधिक है। इस दौरान प्रमुख बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी में क्रमशः 12.5 प्रतिशत और 13.5 प्रतिशत की मजबूती आई है। मार्च 2025 के बाद से भारतीय लिस्टेड कंपनियों ने 1 ट्रिलियन डॉलर का मार्केट कैपिटल जोड़ कर अपने आर्थिक प्रभाव को और मजबूत किया है।
यह बढ़त सिर्फ संख्याओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और निवेशकों की बढ़ती रूचि को भी दर्शाती है। इस शानदार प्रदर्शन के पीछे घरेलू निवेशकों के विश्वास के साथ-साथ सरकार की नीतिगत पहलें और आर्थिक सुधार भी हैं।
मजबूत घरेलू निवेशक आधार का योगदान
मार्केट में आई इस मजबूती का बड़ा कारण घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) की निरंतर खरीदारी रही है। जून 2024 में घरेलू निवेशकों ने कुल ₹25,510 करोड़ के शेयर खरीदे हैं, जिससे विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) के बिकवाली के दबाव को काफी हद तक कम किया जा सका।
घरेलू निवेशकों की सक्रिय भागीदारी बाजार को स्थिरता और मजबूती प्रदान करती है, खासकर जब वैश्विक बाजारों में अनिश्चितताएं बनी हुई हों। विशेषज्ञों का मानना है कि घरेलू निवेशकों का यह भरोसा भारतीय बाजार की स्थिरता और दीर्घकालिक विकास की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।
वैश्विक परिस्थितियों का प्रभाव
हालांकि विश्व स्तर पर अमेरिका और चीन के बीच व्यापार वार्ता, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और फंड फ्लो के उतार-चढ़ाव जारी हैं, लेकिन भारत का शेयर बाजार इन परिस्थितियों में भी मजबूती से खड़ा हुआ है।
अमेरिका और चीन के बीच संभावित व्यापार समझौतों से वैश्विक बाजारों में आशा की लहर दौड़ रही है, जिसका लाभ भारतीय बाजार ने भी उठाया है। इसके अलावा, फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPI) के भारत में निवेश के बढ़ते प्रवाह ने भी बाजार की तेजी में योगदान दिया है।
निफ्टी और सेंसेक्स के आंकड़ों में सुधार
मार्च 2025 के बाद सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने ही मजबूत उछाल दिखाया है। सेंसेक्स 82,515 के स्तर पर पहुंच चुका है, जबकि निफ्टी 25,141 अंक के पार जा चुका है। दोनों इंडेक्स ने अपनी पिछली उच्चताओं को पार करते हुए निवेशकों को अच्छा रिटर्न दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह रैली न केवल निवेशकों की बढ़ती अपेक्षाओं को दर्शाती है, बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था की मौलिक मजबूती को भी प्रतिबिंबित करती है।
सरकार की नीतिगत भूमिका और आर्थिक सुधार
भारत सरकार द्वारा लागू की गई आर्थिक सुधार योजनाएं, बढ़ते बुनियादी ढांचे में निवेश, डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे अभियान, बाजार में निवेशकों का विश्वास बढ़ाने में सहायक रहे हैं।
साथ ही, सरकार की वित्तीय स्थिरता बनाए रखने और बजट घाटे को नियंत्रित करने की कोशिशों ने बाजार की दिशा को सकारात्मक रखा है। इसने निवेशकों को भारत में दीर्घकालिक निवेश के लिए आकर्षित किया है।
भविष्य की संभावनाएं और चुनौतियां
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि वर्तमान रुझान जारी रहता है तो भारत का इक्विटी बाजार अगले कुछ वर्षों में और अधिक विस्तार करेगा। अनुमान है कि 2030 तक भारत का मार्केट कैपिटलाइजेशन 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।
हालांकि, निवेशकों के लिए कुछ जोखिम भी बने हुए हैं। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं, ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव, और विदेशी निवेशकों का अस्थिर प्रवाह बाजार की गति को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, घरेलू निवेशकों और सरकार के लिए सतर्कता और सतत सुधार आवश्यक हैं।