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भारत की रेटिंग सुधार! S&P ने बीबीबी में बढ़ाई रेटिंग, अमेरिकी शुल्क का असर सीमित, निवेशकों के लिए सकारात्मक संकेत

भारत की रेटिंग सुधार! S&P ने बीबीबी में बढ़ाई रेटिंग, अमेरिकी शुल्क का असर सीमित, निवेशकों के लिए सकारात्मक संकेत

S&P Global Ratings ने भारत की दीर्घकालीन सॉवरेन रेटिंग बीबीबी में बढ़ाई। यह निवेशकों के भरोसे और मजबूत वित्तीय प्रबंधन को दर्शाता है।

S&P Global Ratings: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत की अर्थव्यवस्था को ‘डेड इकॉनमी’ कहकर आलोचना की थी। लेकिन अब इस बयान का जवाब किसी राजनीतिक विरोधी से नहीं बल्कि वैश्विक रेटिंग एजेंसी S&P Global Ratings से आया है। गुरुवार को एसएंडपी ने भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को बीबीबी- से बढ़ाकर बीबीबी कर दिया। इसके अलावा अल्पकालिक रेटिंग को ए-3 से ए-2 किया गया। यह सुधार 19 साल बाद भारत को मिली पहली रेटिंग अपग्रेड है और इसे निवेश योग्य स्तर पर देखा जा रहा है।

एसएंडपी ने अपने बयान में कहा कि भारत राजकोषीय मजबूती को प्राथमिकता दे रहा है और मजबूत बुनियादी ढांचे के निर्माण के साथ स्थायी सार्वजनिक वित्त सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता दिखा रहा है। रेटिंग एजेंसी का मानना है कि भारत का आर्थिक आधार मजबूत है और मौद्रिक नीति के बेहतर उपाय मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद कर रहे हैं।

रेटिंग सुधार का कारण: मजबूत आर्थिक वृद्धि और राजकोषीय मजबूती

एसएंडपी ने अपने बयान में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में मौजूदा सुधारों और मजबूत वित्तीय प्रबंधन के कारण दीर्घकालिक सॉवरेन रेटिंग में सुधार किया गया। रेटिंग सुधार का मुख्य आधार है मजबूत आर्थिक वृद्धि, राजकोषीय मजबूती के लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता, और मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिए बेहतर मौद्रिक नीति उपाय।

एसएंडपी ने यह भी कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी टैरिफ का असर नियंत्रित किया जा सकता है। एजेंसी के अनुसार भारत का वैश्विक व्यापार पर निर्भरता अपेक्षाकृत कम है और लगभग 60 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि घरेलू खपत से होती है। ऐसे में यदि अमेरिका 50 प्रतिशत शुल्क भी लगाए, तो अर्थव्यवस्था की वृद्धि पर इसका बड़ा असर नहीं पड़ेगा।

अमेरिकी शुल्क के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत

अमेरिका ने 27 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाने की योजना बनाई है। इसके बावजूद एसएंडपी का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था इस चुनौती का सामना कर सकती है। एजेंसी के अनुसार भारतीय कंपनियों के लिए साख में सुधार का मतलब है कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कर्ज की लागत में कमी आएगी, जिससे निवेश और व्यवसाय में मदद मिलेगी।

एसएंडपी ने यह भी कहा कि भारत व्यापार पर अपेक्षाकृत कम निर्भर है। इसकी लगभग 60 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि घरेलू खपत से आती है, इसलिए अमेरिकी टैरिफ से कुल आर्थिक वृद्धि पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। यह बयान ट्रंप के भारत को ‘डेड इकॉनमी’ कहने वाले बयान का प्रत्यक्ष जवाब माना जा रहा है।

19 साल बाद पहली रेटिंग अपग्रेड

जनवरी 2007 में एसएंडपी ने भारत को सबसे निचले निवेश स्तर बीबीबी- में रखा था। अब 19 साल बाद इसे एक पायदान ऊपर उठाकर बीबीबी कर दिया गया है। यह अपग्रेड संकेत करता है कि भारत अपनी कर्ज चुकाने की क्षमता को बेहतर तरीके से साबित कर रहा है। एसएंडपी ने पिछली साल मई में ही भारत के क्रेडिट रेटिंग परिदृश्य को स्थिर से सकारात्मक में बदल दिया था और संकेत दिया था कि अगले 24 महीनों में रेटिंग में सुधार संभव है।

रेटिंग सुधार से भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय निवेश आकर्षक होगा और विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा। इससे न केवल व्यवसाय में तेजी आएगी बल्कि नए उद्योगों और स्टार्टअप्स को भी वित्तीय सहायता मिलने की संभावना बढ़ेगी।

कोरोना महामारी के बाद आर्थिक सुधार

एसएंडपी ने कहा कि भारत ने कोरोना महामारी के प्रभाव से तेजी से उबरते हुए विश्व की सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली उभरती अर्थव्यवस्थाओं में खुद को स्थापित किया है। आर्थिक विस्तार अब अधिक स्थायी और टिकाऊ स्तर की ओर बढ़ रहा है। एसएंडपी के अनुसार उपभोक्ता और सार्वजनिक निवेश की मजबूती वित्त वर्ष 2025-26 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर को 6.5 प्रतिशत तक पहुंचा सकती है और अगले तीन वर्षों में औसतन 6.8 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है।

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