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भारत-पाकिस्तान मैच बंद: एशिया कप 2025 के बाद माइकल एथरटन ने की ICC से बड़ा कदम उठाने की अपील

भारत-पाकिस्तान मैच बंद: एशिया कप 2025 के बाद माइकल एथरटन ने की ICC से बड़ा कदम उठाने की अपील

एशिया कप 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच खेले गए मुकाबलों ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जगत में नई बहस को जन्म दे दिया है। टूर्नामेंट के दौरान दोनों टीमों के बीच केवल मैदान पर ही नहीं बल्कि मीडिया और फैंस के बीच भी तनाव देखने को मिला।

स्पोर्ट्स न्यूज़प: एशिया कप 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच खेले गए मैचों ने एक बार फिर जबरदस्त विवाद खड़ा कर दिया। जब भी दोनों टीमें मैदान पर आमने-सामने आईं, तो माहौल बेहद तनावपूर्ण रहा — कभी खिलाड़ियों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली, तो कभी फैंस के बीच टकराव ने सुर्खियां बटोरीं। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर दुनियाभर में प्रतिक्रियाएं सामने आईं और दोनों देशों के फैंस के रवैये की जमकर आलोचना हुई।

एशिया कप 2025 में उठे विवाद

एशिया कप 2025 का आयोजन संयुक्त अरब अमीरात में हुआ था और यह टूर्नामेंट 28 सितंबर को समाप्त हुआ। इस दौरान भारत ने फाइनल में पाकिस्तान को हराया। हालांकि, यह मुकाबला खेल के बजाय विवादों के लिए ज्यादा याद रखा जाएगा। टूर्नामेंट के दौरान कई घटनाएं सामने आईं, जिन्होंने दोनों देशों के बीच क्रिकेट संबंधों पर सवाल खड़े कर दिए।

14 सितंबर को हुए पहले बड़े विवाद में भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने पाकिस्तानी कप्तान और टीम के साथ हाथ नहीं मिलाया। इसके बाद सुपर फोर चरण के मैचों में पाकिस्तान के खिलाड़ी हारिस रऊफ, फहीम अशरफ और साहिबजादा फरहान ने भारत के खिलाफ विवादास्पद और भड़काऊ हावभाव दिखाए। टूर्नामेंट के अंत में भारत ने पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री और एशियाई क्रिकेट परिषद (ACC) अध्यक्ष मोहसिन नकवी से ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया।

माइकल एथरटन की राय

पूर्व इंग्लैंड कप्तान और अनुभवी क्रिकेट विशेषज्ञ माइकल एथरटन ने अपने कॉलम में लिखा कि ICC को यह देखना चाहिए कि भारत और पाकिस्तान के बीच मैचों को जानबूझकर आयोजित करना सही है या नहीं। उनका मानना है कि इन मैचों के पीछे अक्सर आर्थिक और कूटनीतिक कारण होते हैं, लेकिन बढ़ते तनाव और खिलाड़ियों तथा फैंस के बीच संघर्ष इसे और गंभीर बनाते हैं।

एथरटन ने यह भी सुझाव दिया कि ICC को टूर्नामेंट ड्रॉ और फिक्स्चर में पारदर्शिता बढ़ानी चाहिए और भविष्य में ऐसे मैचों की योजना बनाने से बचना चाहिए। उनके अनुसार, क्रिकेट को कूटनीति के माध्यम के रूप में इस्तेमाल करना अब समय की मांग नहीं है।

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