ईरान और इजरायल के बीच चल रही जंग दिन-ब-दिन और भीषण होती जा रही है। दोनों देशों के बीच लगातार हमले हो रहे हैं, जिससे पूरे पश्चिम एशिया क्षेत्र में तनाव का माहौल बना हुआ है।
Israel Iran Conflict: जब दो देशों के बीच युद्ध की आग भड़क रही हो और आसमान मिसाइलों और ड्रोनों से भरा हो, तब एक राष्ट्र की कूटनीतिक कुशलता ही अपने नागरिकों को सुरक्षित घर ला सकती है। भारत ने एक बार फिर यह साबित कर दिखाया। ईरान और इजरायल के बीच जारी भीषण संघर्ष के बीच ईरान ने विशेष रूप से भारत के लिए अपना बंद एयरस्पेस खोल दिया, ताकि वहां फंसे भारतीय छात्रों को निकाला जा सके।
ईरान-इजरायल संघर्ष के बीच फंसे थे भारतीय छात्र
बीते कुछ दिनों से ईरान और इजरायल के बीच युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। मिसाइल हमलों, ड्रोन हमलों और जवाबी कार्रवाई से पूरा क्षेत्र अशांत है। ऐसे में ईरान में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्र खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे थे। युद्धग्रस्त इलाकों में लगातार हो रही बमबारी के बीच भारतीय दूतावास को मदद की गुहार लगाई गई।
इस संकटपूर्ण स्थिति में भारत ने जिस तेजी और संवेदनशीलता से कदम उठाए, वह उसकी विदेश नीति की परिपक्वता का परिचायक है। ईरान ने विशेष रूप से सिर्फ भारत के लिए अपना बंद एयरस्पेस खोला, ताकि छात्रों को सुरक्षित निकाला जा सके। यह एक ऐसा निर्णय है जो दर्शाता है कि भारत का अंतरराष्ट्रीय प्रभाव अब केवल बयानबाज़ी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि जमीनी स्तर पर भी उसका सम्मान और प्रभाव बढ़ा है।
‘ऑपरेशन सिंधु’ की शुरुआत: एक संगठित बचाव अभियान
भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंधु’ के तहत छात्रों को निकालने के लिए पूरी रणनीति तैयार की। विदेश मंत्रालय, भारतीय वायुसेना, और ईरान में भारतीय मिशन के बीच समन्वय बनाकर तत्काल उड़ानों की व्यवस्था की गई। यह ऑपरेशन ठीक उसी तरह से तैयार किया गया है जैसे यूक्रेन युद्ध के समय ‘ऑपरेशन गंगा’ या कोरोना काल में ‘वंदे भारत मिशन’ को अंजाम दिया गया था।
ईरान के मशहद शहर से छात्रों को लेकर उड़ान भरने वाला पहला विमान आज रात करीब 11 बजे दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरेगा। इस विमान में लगभग 250 छात्र सवार हैं। इसके अलावा शनिवार को दो और फ्लाइट्स के जरिए करीब 750 और छात्रों को भारत लाया जाएगा, जिससे कुल मिलाकर 1000 छात्रों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित होगी।
ईरानी अधिकारियों का सहयोग
ईरान के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस मानवीय कदम में पूरा सहयोग किया है। तेहरान में भारतीय दूतावास और ईरानी विदेश मंत्रालय के बीच लगातार संपर्क बना रहा। ईरान ने यह भी स्पष्ट किया कि जो भी भारतीय नागरिक देश छोड़ना चाहते हैं, उनके लिए चार्टर्ड उड़ानों की विशेष व्यवस्था की गई है। दिल्ली स्थित ईरानी दूतावास ने भी इस कदम की पुष्टि करते हुए बताया कि कुछ छात्रों के घायल होने की खबर के बाद दोनों देशों के बीच संपर्क और भी मजबूत हुआ। भारत सरकार की अपील पर ईरान ने आपातकालीन कदम उठाते हुए एयरस्पेस खोला और उड़ानों को प्राथमिकता दी।
इस पूरे घटनाक्रम ने भारत की विदेश नीति की उस दिशा को उजागर किया है जहां 'नागरिक पहले' की भावना सबसे ऊपर है। भारत ने न केवल अपने लोगों को संकट से बाहर निकाला, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में विश्वसनीय और संवेदनशील राष्ट्र के रूप में अपनी छवि को और भी मजबूत किया।