इजरायल और ईरान के बीच पिछले कुछ दिनों से जारी युद्ध के बीच कूटनीतिक हलचल तेज हो गई है। इसी कड़ी में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गुरुवार रात एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें आईडीएफ चीफ ऑफ स्टाफ इयाल जमीर, रक्षा मंत्री इजराइल काट्स और अन्य शीर्ष अधिकारी शामिल हुए।
Israel Iran Conflict: मध्य पूर्व में ईरान और इजरायल के बीच जारी युद्ध जैसी स्थिति के बीच भू-राजनीतिक हलचलें तेज हो गई हैं। इस संकट के बीच गुरुवार रात एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया — इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, आईडीएफ चीफ ऑफ स्टाफ इयाल जमीर, रक्षा मंत्री इजराइल काट्स, और रणनीतिक मामलों के मंत्री रॉन डर्मर ने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की।
इस बैठक में उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ भी मौजूद थे। यह बैठक ऐसे समय हुई है जब अमेरिका एक बड़े निर्णय के मुहाने पर खड़ा है: क्या वह इजरायल का साथ देते हुए ईरान पर सीधा सैन्य हमला करेगा?
अमेरिका के निर्णय की उलटी गिनती शुरू
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुद्दे पर बयान देते हुए कहा है कि वे अगले दो सप्ताह के भीतर यह तय करेंगे कि अमेरिका ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई में इजरायल का समर्थन करेगा या नहीं। ट्रंप प्रशासन की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि ईरान को अब भी राजनयिक रास्ते से मनाने की संभावनाएं 'पर्याप्त' हैं, खासकर उसके परमाणु कार्यक्रम को लेकर। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने पुष्टि की कि ट्रंप इस मुद्दे को लेकर गंभीर हैं और उन्होंने ईरान को चेतावनी देने की समयसीमा को बढ़ा दिया है।
नेतन्याहू ने दिया संकेत: 'दुनिया का चेहरा बदलने वाला संघर्ष'
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बैठक के बाद एक इंटरव्यू में कहा, "हम दुनिया को बदल देने वाले संघर्ष का हिस्सा हैं। हमें मिलने वाली किसी भी मदद का स्वागत है, लेकिन हम अपने दम पर भी तैयार हैं। नेतन्याहू के इस बयान को अमेरिका के संभावित सैन्य समर्थन को लेकर 'नर्म लेकिन निर्णायक' दृष्टिकोण के रूप में देखा जा रहा है। नेतन्याहू का यह भी इशारा था कि इजरायल, यदि आवश्यक हुआ, तो अकेले भी ईरान के खिलाफ अभियान को आगे बढ़ाने में संकोच नहीं करेगा।
वैश्विक प्रतिक्रिया: अमेरिका की राह में बढ़ते दबाव
इस पूरे परिदृश्य में रूस और चीन की प्रतिक्रियाएं भी अमेरिका के लिए निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका को सीधी चेतावनी दी है कि वह इस संघर्ष में न कूदे, क्योंकि इससे वैश्विक युद्ध जैसे हालात बन सकते हैं। वहीं, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इजरायल के हमलों की निंदा करते हुए ईरान के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया है। यानी अमेरिका यदि ईरान पर हमला करता है, तो यह सिर्फ एक क्षेत्रीय संघर्ष नहीं रहेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय ध्रुवीकरण की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ेगा।
ट्रंप के सामने द्विधा
अमेरिकी प्रशासन इस समय सैन्य हस्तक्षेप और कूटनीतिक समाधान — इन दोनों के बीच फंसा हुआ है। ट्रंप प्रशासन पर एक ओर इजरायल का दबाव है जो ईरान की बढ़ती परमाणु क्षमता को लेकर चिंतित है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका को रूस-चीन जैसे शक्तिशाली देशों के साथ टकराव की स्थिति से बचना है।विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के निर्णय का असर 2026 के राष्ट्रपति चुनावों पर भी पड़ सकता है, और यही वजह है कि वे कोई भी कदम बेहद सोच-समझकर उठाना चाहेंगे।