भारत सरकार ने बिहार के छठ महापर्व को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल कराने के लिए कई देशों से सहयोग मांगा है। इस पहल में प्रवासी भारतीय समुदायों का भी समर्थन मिला है।
पटना: बिहार और पूर्वी उत्तर भारत के लिए खुशखबरी है। भारत सरकार ने इस साल अक्टूबर में मनाए जाने वाले छठ महापर्व को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल कराने की पहल शुरू कर दी है। इसके तहत भारत ने बहुराष्ट्रीय नामांकन के लिए सूरीनाम, नीदरलैंड और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सहित कई देशों से सहयोग मांगा है। इस कदम का उद्देश्य छठ महापर्व को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना और भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को मजबूत करना है।
यूनेस्को में शामिल करने की बहुराष्ट्रीय बैठक
इस संबंध में मंगलवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में एक बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय संस्कृति सचिव विवेक अग्रवाल ने की। बैठक में संस्कृति मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, संगीत नाटक अकादमी और आईजीएनसीए के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में इस पहल के महत्व और बहुराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर विस्तार से चर्चा हुई।
भारत ने बैठक में यह स्पष्ट किया कि छठ महापर्व न केवल बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है, बल्कि प्रवासी भारतीय इसे मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, यूएई और नीदरलैंड में भी उत्साहपूर्वक मनाते हैं। यही बहुराष्ट्रीय प्रकृति इसे यूनेस्को की सूची के लिए आदर्श बनाती है। बैठक में शामिल सभी देशों के प्रतिनिधियों ने इस पहल का स्वागत किया और सहयोग का आश्वासन दिया।
छठ महापर्व की सांस्कृतिक और धार्मिक महत्वता
छठ महापर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है। यह पर्व चार दिन तक चलता है, जिसमें व्रती सूर्योदय और सूर्यास्त के समय नदी या तालाब के किनारे जाकर उपवास और पूजा करते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, छठ महापर्व भारत की जीवंत परंपराओं और सामाजिक सांस्कृतिक संरचना का हिस्सा है। इसे यूनेस्को की प्रतिनिधि सूची में शामिल कराना भारतीय सांस्कृतिक कूटनीति की मजबूती का प्रतीक होगा और विश्व स्तर पर भारत की परंपराओं को मान्यता मिलेगी। यह पहल योग, कुंभ मेला और दुर्गापूजा जैसे पहले से यूनेस्को की सूची में शामिल तत्वों के बाद एक और बड़ी उपलब्धि होगी।
डिजिटल माध्यम से सहयोग और डेटा संग्रह
बैठक के बाद, सचिव (संस्कृति) ने मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, यूएई और नीदरलैंड में भारतीय राजदूतों और उच्चायुक्तों के साथ डिजिटल माध्यम से चर्चा की। इसमें प्रवासी भारतीय समुदायों की पहचान और नामांकन प्रक्रिया के लिए आवश्यक डेटा उपलब्ध कराने के तरीकों पर विचार किया गया। राजदूतों ने इस पहल में पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया और कहा कि उनके देश में बसे भारतीय समुदाय इस प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
यह डिजिटल समन्वय यूनेस्को के मानकों के अनुरूप नामांकन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और सही जानकारी जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि छठ महापर्व को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उचित और प्रभावी मान्यता मिले।
छठ महापर्व नामांकन से बढ़ेगी भारत की पहचान
यूनेस्को की प्रतिनिधि सूची में पहले से ही योग, कुंभ मेला और कोलकाता का दुर्गापूजा शामिल है। छठ महापर्व का बहुराष्ट्रीय नामांकन भारतीय संस्कृति की वैश्विक पहचान को और मजबूत करेगा। यह न केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा को बढ़ावा देगा बल्कि विदेशों में बसे भारतीयों के लिए भी गर्व और पहचान का स्रोत बनेगा।
यदि यह नामांकन 2026-27 चक्र में सफल होता है, तो भारत की अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक कूटनीति में एक नया अध्याय जुड़ जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि यह पहल भारतीय परंपराओं को संरक्षित करने, उन्हें विश्व स्तर पर उजागर करने और वैश्विक समुदाय में सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।