वित्त मंत्रालय इस वित्त वर्ष में पूंजीगत व्यय को लेकर एक अहम समीक्षा प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है। इस बार ध्यान सिर्फ पारंपरिक सेक्टर्स जैसे रेलवे और सड़क तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पोत निर्माण, बंदरगाह, रक्षा और अन्य बुनियादी ढांचा क्षेत्रों पर भी विस्तार से चर्चा की जाएगी। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि सरकार ऐसी सभी परियोजनाओं को चिन्हित कर रही है, जिनमें पूंजीगत खर्च और तेज किया जा सकता है।
बढ़ती प्राप्तियों ने खर्च बढ़ाने का रास्ता खोला
सरकार को अप्रैल और मई 2025 के दौरान कर और गैर-कर राजस्व में जबरदस्त उछाल मिला है। खासकर भारतीय रिजर्व बैंक से मिले भारी-भरकम लाभांश के चलते सरकार के हाथ में अतिरिक्त संसाधन आए हैं। यही वजह है कि अब वित्त मंत्रालय को लगता है कि पूंजीगत व्यय का दायरा बढ़ाया जा सकता है।
रेल और सड़क मंत्रालयों ने पहले ही कर दिया है अच्छा खर्च
सीजीए यानी महालेखा नियंत्रक द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-मई 2025 के दौरान रेल मंत्रालय ने बजट के 21 प्रतिशत हिस्से यानी करीब 52,073 करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं। वहीं, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 59,638 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करते हुए अपने बजटीय अनुमान का 22 प्रतिशत उपयोग कर लिया है। यह दोनों आंकड़े पिछले साल की तुलना में बेहतर हैं।
पिछले साल की तुलना में 54 प्रतिशत ज्यादा पूंजीगत व्यय
वित्त वर्ष 2026 के पहले दो महीनों में केंद्र सरकार का पूंजीगत व्यय बीते साल की तुलना में 54 प्रतिशत ज्यादा दर्ज किया गया है। पिछले साल चुनावी माहौल और आदर्श आचार संहिता की वजह से कई परियोजनाओं में देरी हुई थी, जिससे पूंजीगत खर्च धीमा रहा था। लेकिन इस साल शुरुआत से ही सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर तेजी से खर्च करना शुरू कर दिया है।
पोत निर्माण और बंदरगाह परियोजनाओं पर भी नजर
वित्त मंत्रालय अब उन क्षेत्रों पर भी ध्यान दे रहा है जो अब तक पूंजीगत व्यय की प्राथमिक सूची में नहीं रहे हैं। इनमें पोत निर्माण, बंदरगाहों का आधुनिकीकरण, कोस्टल इन्फ्रास्ट्रक्चर, और इंटरनेशनल ट्रेड से जुड़े लॉजिस्टिक प्रोजेक्ट्स प्रमुख हैं। मंत्रालय इन क्षेत्रों में चल रही योजनाओं की समीक्षा कर यह देखेगा कि किन प्रोजेक्ट्स में और अधिक निवेश की गुंजाइश है।
बातचीत के लिए कई मंत्रालयों को बुलावा
जानकारी के अनुसार वित्त मंत्रालय उन मंत्रालयों के साथ बैठक करेगा जो पहले से ही भारी पूंजीगत खर्च कर रहे हैं, जैसे रेल मंत्रालय, सड़क परिवहन, जहाजरानी, रक्षा और शहरी विकास मंत्रालय। इन मंत्रालयों से पूछा जाएगा कि वे इस वित्त वर्ष में और कितने नए प्रोजेक्ट शुरू कर सकते हैं या पुरानों को विस्तार दे सकते हैं।
राजकोषीय घाटा नियंत्रण में, व्यय के लिए बन रही गुंजाइश
सरकार का राजकोषीय घाटा अप्रैल-मई 2025 के दौरान सिर्फ 131.6 अरब रुपये रहा है, जो कि पूरे साल के अनुमान के मुकाबले मात्र 0.8 प्रतिशत कम है। सीजीए के आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान कर राजस्व में 10 प्रतिशत की वृद्धि और गैर-कर राजस्व में 41.8 प्रतिशत की तेज बढ़त दर्ज की गई है, जिसका मुख्य कारण रिजर्व बैंक से मिला भारी लाभांश है।
रक्षा मंत्रालय पर भी फोकस बढ़ सकता है
वित्त मंत्रालय की समीक्षा में रक्षा क्षेत्र भी एक अहम हिस्सा बन सकता है। जानकारों का मानना है कि अगर सरकार पूंजीगत व्यय को बढ़ाने का मन बनाती है तो रक्षा क्षेत्र में नए सिरे से निवेश की शुरुआत हो सकती है। इसमें स्वदेशी हथियार निर्माण, रक्षा उपकरणों के आधुनिकीकरण और टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन को प्राथमिकता मिल सकती है।
निजी निवेश सुस्त, सरकार को करनी होगी भरपाई
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का मानना है कि मौजूदा समय में निजी क्षेत्र का निवेश अपेक्षा से काफी कम है। ऐसे में विकास को गति देने के लिए सरकार को ही आगे आकर पूंजीगत खर्च बढ़ाना होगा। खासकर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में सरकार की भूमिका निर्णायक हो सकती है।
समीक्षा के बाद हो सकता है पूंजीगत व्यय में संशोधन
सूत्रों के अनुसार, अगर समीक्षा के बाद यह साफ होता है कि मंत्रालय और प्राधिकरण अधिक व्यय करने को तैयार हैं, तो सरकार इस वित्त वर्ष में संशोधित बजट के जरिए पूंजीगत व्यय को 11.2 लाख करोड़ रुपये से आगे ले जा सकती है। अभी तक की खर्च की गति और प्राप्तियों की स्थिति इस ओर इशारा कर रही है।