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ब्रिटेन ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर लगाया बड़ा प्रतिबंध, 70 संगठनों और व्यक्तियों को किया निशाना

ब्रिटेन ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर लगाया बड़ा प्रतिबंध, 70 संगठनों और व्यक्तियों को किया निशाना

ब्रिटेन ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े 70 संगठनों और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाया। इस कदम का उद्देश्य संवर्धित यूरेनियम कार्यक्रम रोकना और वैश्विक शांति एवं सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

Iran: संयुक्त राष्ट्र के बाद अब ब्रिटेन ने भी ईरान के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है। ब्रिटेन ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े 70 संगठनों और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाया है। यह निर्णय वैश्विक शांति और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। ब्रिटिश विदेश कार्यालय ने बताया कि यह कदम उस बढ़ती चिंता के तहत उठाया गया है जो ईरान के संभावित परमाणु हथियार निर्माण कार्यक्रम से उत्पन्न हो रही है।

प्रतिबंध का दायरा

ब्रिटेन द्वारा लगाए गए इन प्रतिबंधों में कुल 62 संस्थाएं और 9 प्रमुख व्यक्ति शामिल हैं। ये सभी ईरान के परमाणु और हथियार विकास कार्यक्रम से किसी न किसी रूप में जुड़े हुए हैं। इस कदम का उद्देश्य ईरान को स्पष्ट संदेश देना है कि परमाणु हथियार विकसित करने की कोई छूट नहीं दी जाएगी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मामले में सजग है।

ब्रिटेन के विदेश मंत्री यवेट कूपर ने कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम लंबे समय से चिंता का विषय रहा है। उन्होंने कहा कि यह केवल क्षेत्रीय अस्थिरता नहीं बढ़ाता बल्कि वैश्विक स्तर पर भी शांति के लिए खतरा है। कूपर ने यह भी कहा कि ब्रिटेन इन प्रतिबंधों के माध्यम से ईरान को यह संदेश देना चाहता है कि वह सभी जरूरी कदम उठाकर परमाणु हथियार विकास को रोकने के लिए तैयार है।

ईरान पर यूरेनियम संवर्धन का आरोप

ब्रिटेन का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को आक्रामक रूप से आगे बढ़ाया है। ईरान हथियार-स्तर के यूरेनियम संवर्धन में लगा हुआ है। यह संवर्धित यूरेनियम परमाणु हथियारों के निर्माण में इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे वैश्विक सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है।

यवेट कूपर ने कहा कि ब्रिटेन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर ईरान के इस कदम को रोकने के लिए पूरी कोशिश करेगा। उनका यह भी मानना है कि यह प्रतिबंध ईरान की तकनीकी और आर्थिक क्षमताओं को प्रभावित करेंगे, जिससे वह अपने हथियार कार्यक्रम को आगे नहीं बढ़ा पाएगा।

यूएन और E-3 देशों का रुख

इससे पहले सितंबर में ई3 देश ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने सामूहिक रूप से “स्नैपबैक मैकेनिज्म” सक्रिय किया था। इस तंत्र के जरिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा हटाए गए पूर्व प्रतिबंधों को पुनः लागू किया जा सकता है। ई3 देशों का कहना है कि ईरान ने 2015 के ऐतिहासिक परमाणु समझौते (JCPOA) की शर्तों का उल्लंघन किया है।

2015 में हुए इस समझौते के तहत ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने के बदले कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से राहत दी गई थी। लेकिन हाल के वर्षों में ईरान ने संवर्धन गतिविधियां तेज कर दी हैं, जिससे यह समझौता प्रभावित हुआ है।

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