भारतीय सनातन संस्कृति में व्रत और योग का विशेष महत्त्व है। जब कोई शुभ तिथि, वार और योग एक साथ संयोग बनाते हैं, तो वह अवसर जीवन के दोषों को दूर करने और नवसंचार की ऊर्जा प्राप्त करने का श्रेष्ठ क्षण बन जाता है। ऐसा ही दिव्य संयोग आषाढ़ माह की चतुर्दशी को बन रहा है, जब बुधवार के दिन रवि योग का शुभ अवसर प्राप्त हो रहा है। यह संयोग सूर्यदेव और चंद्रदेव के विशेष ज्योतिषीय मेल से बनता है और इसे 'सर्वकार्य सिद्धि योग' माना गया है।
बुधवार व्रत: बुध ग्रह की कृपा प्राप्त करने का शुभ उपाय
स्कंद पुराण और अनेक धार्मिक ग्रंथों में बुधवार व्रत को अत्यंत शुभ और लाभकारी बताया गया है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा से मनुष्य की बुद्धि, विवेक, ज्ञान और वाणी में अद्भुत सुधार होता है। विशेषतः वे लोग जिनकी कुंडली में बुध ग्रह अशुभ हो या जो शिक्षा, लेखन, वाणी, व्यापार या कूटनीति से जुड़े हैं, उन्हें यह व्रत विशेष फलदायक सिद्ध होता है। बुध ग्रह का संबंध बुद्धिमत्ता, तार्किक सोच और संवाद क्षमता से है। अतः बुधवार का व्रत न केवल आध्यात्मिक उन्नति देता है, बल्कि सांसारिक सफलता में भी सहायक होता है।
रवि योग: सर्वकार्य सिद्धि का अलौकिक संयोग
रवि योग का निर्माण तब होता है जब चंद्रमा किसी भी नक्षत्र में हो और वह सूर्य के नक्षत्र से चतुर्थ, षष्ठ, नवम, दशम या त्रयोदश स्थान पर स्थित हो। इस योग में आरंभ किया गया कोई भी कार्य लंबे समय तक स्थायी सफलता देता है। इस दिन यदि कोई नया व्यापार आरंभ करें, संपत्ति में निवेश करें, विवाह या सगाई करें, नई नौकरी या शैक्षणिक कोर्स की शुरुआत करें तो भविष्य में उसका अत्यंत शुभ फल प्राप्त होता है।
पूजन विधि: पूजा करें विधिपूर्वक, पाएं देव कृपा
- प्रभात स्नान: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ हरे या पीले वस्त्र धारण करें।
- सूर्य अर्घ्य: पूर्व दिशा में मुख करके लाल जल में चुटकी भर रोली डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें और 'ॐ सूर्याय नमः' का जाप 11 बार करें।
- पूजा स्थापना: ईशान कोण में चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएँ। गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करें।
- अभिषेक: पंचामृत और शुद्ध जल से गणेशजी को स्नान कराएँ, फिर सिंदूर-घी का लेप लगाएँ।
- अर्पण: जनेऊ, रोली, तीन दूर्वा तथा पीले-लाल पुष्प चढ़ाएँ। बुध देव को हरे वस्त्र और हरे मूंग-दाल का भोग लगाएँ।
- मन्त्र जाप: 'ॐ गं गणपतये नमः' और 'ॐ बुं बुद्धाय नमः' — दोनों मंत्र एक-एक माला जपें।
- आरती व कथा: श्री गणेश और बुध देव की आरती करें, फिर बुधवार व्रत-कथा सुनें।
- प्रसाद वितरण: लड्डू या मीठा हलवा परिवार और संबंधियों में बाँटें; साथ-ही गरीबों, ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान देकर पूजा समाप्त करें।
क्या करें, क्या न करें
करें:
- सूर्यदेव को अर्घ्य दें
- बुधवार व्रत रखें
- लाल या हरे वस्त्र पहनें
- हरी सब्ज़ियाँ, मूंग की दाल का सेवन करें
- मानसिक शुद्धि और ध्यान करें
न करें:
- मांस, मदिरा का सेवन
- झूठ बोलना, अपशब्द या विवाद
- बाल-दाढ़ी कटवाना
- राहुकाल (12:26 PM – 2:10 PM) में शुभ कार्य न करें
- अत्यधिक क्रोध और आलस्य से बचें
व्रत का फल: जीवन में आती है स्थिरता, सफलता और शांति
बुधवार व्रत और रवि योग का यह संयुक्त संयोग आपके जीवन को नई दिशा दे सकता है। यह न केवल आपकी बुद्धि और वाणी को सशक्त बनाता है, बल्कि ग्रहों की शांति से जीवन के कई संकटों का समाधान भी स्वतः हो जाता है। यह व्रत विशेष रूप से विद्यार्थियों, व्यापारियों और लेखकों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। जो व्यक्ति नियमित 12 बुधवार तक यह व्रत करते हैं और अंत में विधिवत उद्यापन करते हैं, उन्हें आयु, आरोग्य, धन, संतान और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
इस आषाढ़ मास की चतुर्दशी को जब रवि योग का अलौकिक अवसर और बुधवार व्रत का पुण्य मिल रहा हो, तब यह समय आत्म-परिवर्तन, कार्य-सिद्धि और देव कृपा प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ क्षण बन जाता है। यदि आप अपने जीवन में मानसिक उलझनों, शिक्षा में रुकावट, व्यवसायिक असफलता या ग्रह दोषों से परेशान हैं, तो इस दिन श्रद्धा से व्रत और पूजा करें।