चमोली के नंदानगर में मलबे में दबे एक शख्स को 16 घंटे बाद सकुशल रेस्क्यू किया गया। आपदा में 10 लोग लापता, 2 की मौत हुई और कई मकान ध्वस्त। एनडीआरएफ-एसडीआरएफ ने राहत कार्य में तेजी दिखाई।
चमोली: उत्तराखंड में इस बार मानसून ने कहर बरपाया है। चमोली के नंदानगर में बुधवार की देर रात अचानक बादल फटने और अतिवृष्टि से मलबा और जलजला आया। इस दौरान कई आवासीय मकान ध्वस्त हो गए और लोग लापता हो गए। भारी तबाही के बीच एक व्यक्ति 16 घंटे मलबे में फंसा रहा, लेकिन एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम ने उसे सकुशल बाहर निकाला। राहत कार्य में जुटे लोगों के लिए यह एक उम्मीद और हौसले की मिसाल बन गया।
मलबे में फंसे लोगों को बचाने की कोशिश
नंदानगर क्षेत्र के बिनसर पहाड़ी से निकले जलजले और मलबे ने फाली लगा कुंतरी, सेंती लगा कुंतरी और धुर्मा गांव में भारी तबाही मचाई। इस आपदा में 10 लोग लापता हो गए, जिनमें से 2 के शव बरामद हो चुके हैं। आठ आवासीय मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गए और अन्य कई मकान क्षतिग्रस्त हुए।
मलबे में फंसे व्यक्ति को बचाने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने मकान की छत और किनारों से मलबा हटाना शुरू किया। यह कार्य अत्यंत कठिन और जोखिम भरा था, क्योंकि मलबा और ध्वस्त संरचना किसी भी समय गिर सकती थी।
मलबे में 16 घंटे तक फंसे व्यक्ति को बचाया
मलबे में दबे व्यक्ति ने अंदर से आवाज दी और पानी की मांग की। राहत दल ने तत्काल उसे पानी दिया और मलबा हटाने में तेजी लाई। करीब 16 घंटे की जद्दोजहद के बाद व्यक्ति सकुशल बाहर निकाला गया। यह घटना लोगों के लिए चमत्कार से कम नहीं थी और ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ गई।
इस व्यक्ति के सकुशल बाहर आने के बाद राहत और बचाव दल अन्य क्षतिग्रस्त मकानों में भी जीवन की तलाश में जुट गए। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि कठिन परिस्थितियों में भी टीमवर्क और उम्मीद से जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।
आपदा से मवेशियों और स्थानीय निवासियों को नुकसान
आपदा के दौरान ग्रामीणों के मवेशी भी बह गए। भारी जलप्रवाह और मलबे ने न केवल मकानों को नुकसान पहुँचाया बल्कि कृषि और पशुपालन पर भी असर डाला। बिजली गिरने की घटना ने कुछ लोगों को सतर्क कर दिया, लेकिन कई लोग समय रहते सुरक्षित स्थानों पर नहीं पहुँच पाए।
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया और राहत सामग्री उपलब्ध कराई। जिलाधिकारी डॉ. संदीप तिवारी और पुलिस अधीक्षक सर्वेश पंवार भी लगातार प्रभावित क्षेत्र में मौजूद रहे और राहत कार्यों की निगरानी की।
आपदा में राहत और बचाव कार्य जारी
आपदा के तुरंत बाद एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस की टीमें मौके पर पहुंचीं। उन्होंने प्रभावित इलाकों में मलबा हटाने, लोगों को सुरक्षित निकालने और घायल लोगों को अस्पताल पहुँचाने का कार्य शुरू किया। स्थानीय प्रशासन ने भी राहत सामग्री जैसे खाने-पीने का सामान, दवाइयां और पानी उपलब्ध कराया।
मानसून के इस सीजन में पहाड़ी क्षेत्रों में इस तरह की आपदाएं आम हैं। इसलिए लोगों को सतर्क रहने, सुरक्षित स्थानों पर रहने और आपातकालीन हेल्पलाइन से तुरंत संपर्क करने की सलाह दी गई है। नंदानगर में 16 घंटे तक मलबे में फंसे व्यक्ति की सकुशल निकासी ने यह दिखाया कि तेज प्रतिक्रिया और समर्पित प्रयास से जान बचाई जा सकती है।