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DBT Technology: एक साथ लाखों किसानों को भुगतान कैसे करता है सरकार

DBT Technology: एक साथ लाखों किसानों को भुगतान कैसे करता है सरकार

सरकार लाखों किसानों के खातों में फसल बीमा, सब्सिडी और MSP का पैसा सीधे भेजने के लिए उच्च तकनीक और डिजिटल नेटवर्क का उपयोग करती है। आधार-बैंक लिंकिंग, KYC वेरिफिकेशन, मास्टर फ़ाइल, PFMS, DBT पोर्टल्स, NACH और APBS जैसे प्लेटफॉर्म बड़ी संख्या में सुरक्षित और तेज़ भुगतान सुनिश्चित करते हैं। सुरक्षा, पारदर्शिता और रीकन्सिलिएशन सिस्टम से फ्रॉड और गलत ट्रांजैक्शन की संभावना कम होती है।

Digital Payments: सरकार किसानों के खातों में फसल बीमा, सब्सिडी और MSP का पैसा बड़ी संख्या में सीधे भेजती है। यह प्रक्रिया केंद्रीय और राज्य पोर्टल्स के माध्यम से होती है, जिसमें किसान के बैंक अकाउंट, IFSC, आधार और मोबाइल नंबर की सही जानकारी आवश्यक है। भुगतान PFMS, DBT पोर्टल्स, NACH और APBS जैसे नेशनल प्लेटफॉर्म्स के जरिए बैंक-टू-बैंक भेजा जाता है। प्रक्रिया में डेटा क्लीनिंग, सत्यापन, रीकन्सिलिएशन और सुरक्षा उपाय शामिल होते हैं ताकि पैसा सही व्यक्ति तक पहुंचे और फ्रॉड या फेल ट्रांजैक्शन रोका जा सके।

केंद्रीय और राज्य पोर्टल्स की भूमिका

सरकार जब फसल बीमा, सब्सिडी या MSP का भुगतान करती है, तो लाखों किसानों के खातों में पैसे एक साथ पहुंचते हैं। इसके पीछे कई तकनीक और प्रक्रियाओं का संगठित नेटवर्क काम करता है। सबसे पहले किसानों का डेटा बैंक अकाउंट, IFSC, आधार नंबर और मोबाइल नंबर सहित पोर्टल पर इकट्ठा किया जाता है। आधार-बैंक लिंकिंग और KYC वेरिफिकेशन से यह सुनिश्चित किया जाता है कि फंड सही व्यक्ति तक पहुंचे।

डेटा क्लीनिंग और सत्यापन के बाद एक मास्टर फ़ाइल तैयार की जाती है, जिसमें हर किसान का बैंक विवरण, राशि और भुगतान कोड शामिल होता है। यह फाइल मशीन-रीडेबल फॉर्मेट में बैंकों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर को भेजी जाती है।

बड़े पैमाने पर भुगतान की प्रक्रिया

भुगतान के लिए नेशनल प्लेटफॉर्म्स जैसे PFMS, DBT पोर्टल्स, NACH और APBS काम करते हैं। ये प्लेटफॉर्म बैंक और भुगतान एजेंसियों को जोड़ते हैं और फंड्स को क्लियर व सेटेल करते हैं। भुगतान बैंक के पेमेंट स्विच के माध्यम से NEFT, RTGS, IMPS या NACH के जरिये भेजा जाता है। बड़े वॉल्यूम वाले क्रेडिट अक्सर बैचिंग सिस्टम में जाते हैं, जबकि समय-संवेदी पेमेंट IMPS/RTGS से होते हैं।

रिकन्सिलिएशन प्रक्रिया के दौरान यह पता चलता है कि किस किसान के खाते में पैसा सफलतापूर्वक गया और किन खातों में फेल हुआ। SMS या अलर्ट के जरिए किसानों को जानकारी दी जाती है।

सुरक्षा और पारदर्शिता

इस बड़े पैमाने के भुगतान में एन्क्रिप्शन, डिजिटल सिग्नेचर, मल्टी-लेयर ऑथेंटिकेशन और लॉगिंग जैसी सुरक्षा तकनीकें जरूरी होती हैं। बैंक और पोर्टल फ्रॉड डिटेक्शन एल्गोरिद्म, लिमिट चेक और रेंडम ऑडिट के जरिए गलत प्रयोग को रोकते हैं। इससे भुगतान तेज, सुरक्षित और किफायती तरीके से होता है और बिचौलियों की आवश्यकता कम होती है।

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