Indogulf Cropsciences IPO: दिल्ली स्थित एग्रोकेमिकल कंपनी Indogulf Cropsciences का इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) आज यानी 26 जून 2025 से आम निवेशकों के लिए खुल गया है। इस आईपीओ के माध्यम से कंपनी का उद्देश्य कुल ₹200 करोड़ जुटाने का है।
दिल्ली स्थित एग्रोकेमिकल कंपनी इंडोगल्फ क्रॉपसाइंसेज का इनिशियल पब्लिक ऑफर यानी आईपीओ आज 26 जून 2025 से आम निवेशकों के लिए खुल गया है। कंपनी इस सार्वजनिक निर्गम के ज़रिए करीब 200 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है। कंपनी के इस आईपीओ को लेकर बाजार में सकारात्मक माहौल है, और ग्रे मार्केट में इसके शेयर प्रीमियम पर ट्रेड हो रहे हैं। ब्रोकरेज हाउस और एक्सपर्ट्स ने इसे सब्सक्राइब करने की सलाह दी है। आइए इस खबर में विस्तार से जानते हैं कि यह आईपीओ आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है या नहीं।
नए और पुराने शेयरों के जरिए फंड जुटाएगी इंडोगल्फ
इंडोगल्फ क्रॉपसाइंसेज अपने आईपीओ के ज़रिए कुल 200 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है। इस रकम को कंपनी नए शेयर जारी करने और कुछ मौजूदा हिस्सेदारों द्वारा अपने शेयर बेचने के माध्यम से इकट्ठा करेगी। यह पैसा कंपनी अपने व्यापारिक विस्तार, कर्ज चुकाने और प्लांट स्थापित करने जैसे कार्यों में खर्च करेगी।
एंकर निवेशकों से पहले ही मिला 58 करोड़ का समर्थन
आईपीओ के पब्लिक इनवेस्टर्स के लिए खुलने से पहले ही कंपनी ने एंकर इनवेस्टर्स से 58.19 करोड़ रुपये जुटा लिए हैं। एंकर इनवेस्टर्स को 111 रुपये प्रति शेयर की दर से करीब 52.5 लाख शेयर आवंटित किए गए हैं। इन प्रमुख निवेशकों में अबक्कुस डायवर्सिफाइड अल्फा फंड, विनी ग्रोथ फंड, स्वयोम इंडिया अल्फा फंड, सनराइज़ इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट और राजस्थान ग्लोबल सिक्योरिटीज जैसे नाम शामिल हैं। इससे निवेशकों का भरोसा भी मजबूत हुआ है।
ग्रे मार्केट में शानदार रिस्पॉन्स
आईपीओ खुलने से पहले ही ग्रे मार्केट में इंडोगल्फ क्रॉपसाइंसेज के शेयर 122 रुपये पर ट्रेड हो रहे हैं। यह इश्यू प्राइस के ऊपरी दायरे यानी 111 रुपये से करीब 11 रुपये अधिक है। इसका मतलब है कि ग्रे मार्केट में कंपनी के शेयर करीब 9.9 फीसदी प्रीमियम पर बिक रहे हैं। इससे यह संकेत मिल रहा है कि निवेशकों का इस इश्यू पर खासा भरोसा है।
न्यूनतम निवेश कितना और कितने दिन खुला रहेगा
यह इश्यू 26 जून से 30 जून 2025 तक खुला रहेगा। इसका प्राइस बैंड 105 रुपये से 111 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है। एक लॉट में 135 शेयर शामिल हैं। यानी कि किसी भी रिटेल निवेशक को कम से कम 14,175 रुपये का निवेश करना होगा। रिटेल इनवेस्टर्स अधिकतम 14 लॉट तक यानी 1,890 शेयरों तक आवेदन कर सकते हैं।
शेयर अलॉटमेंट और लिस्टिंग की तिथि
आईपीओ बंद होने के बाद 1 जुलाई 2025 को शेयर अलॉटमेंट की प्रक्रिया पूरी होने की संभावना है। इसके बाद 3 जुलाई 2025 को कंपनी के शेयर बीएसई और एनएसई दोनों प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्ट होंगे। बाजार के जानकारों का मानना है कि लिस्टिंग के समय भी शेयरों में अच्छी तेजी देखने को मिल सकती है।
कारोबार विस्तार की तैयारी में कंपनी
कंपनी ने रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस में बताया है कि आईपीओ से जुटाई गई रकम का उपयोग वह अपने विभिन्न व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए करेगी। इसमें से करीब 65 करोड़ रुपये वर्किंग कैपिटल के लिए, 34.12 करोड़ रुपये कर्ज चुकाने के लिए और 14 करोड़ रुपये हरियाणा के सोनीपत में एक नया ड्राय फ्लोएबल प्लांट लगाने में खर्च किए जाएंगे। बाकी राशि का इस्तेमाल सामान्य कॉर्पोरेट जरूरतों को पूरा करने में किया जाएगा।
ब्रोकरेज हाउस की रिपोर्ट
अनंद राठी रिसर्च ने इस आईपीओ को 'सब्सक्राइब' करने की सलाह दी है। रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी का वैल्यूएशन वाजिब है और यह इश्यू 24.6 गुना प्राइस टू अर्निंग रेशियो पर आ रहा है। आईपीओ के बाद कंपनी का संभावित मार्केट कैप करीब 701.5 करोड़ रुपये आंका गया है। कंपनी की मजबूती का आधार है इसकी बैकवर्ड इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी, आरएंडडी पर फोकस, मजबूत डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क और विविध उत्पाद पोर्टफोलियो। यही वजह है कि इसे दीर्घकालिक निवेश के लिए अच्छा विकल्प माना जा रहा है।
1993 से है एग्रोकेमिकल क्षेत्र में सक्रिय
इंडोगल्फ क्रॉपसाइंसेज की स्थापना वर्ष 1993 में हुई थी। यह कंपनी मुख्य रूप से फसल सुरक्षा उत्पाद, पौधों के पोषण से जुड़े समाधान और जैविक उत्पाद बनाती है। इसके उत्पाद पाउडर, द्रव और ग्रेन्यूल के रूप में बाजार में उपलब्ध हैं। कंपनी के प्रोडक्ट का इस्तेमाल गेहूं, चावल, दालें, तिलहन, कपास, बागवानी और सब्जियों की खेती में होता है। कंपनी का डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क ग्रामीण भारत में मजबूत पकड़ रखता है, जिससे यह किसान समुदाय में अपनी विशेष पहचान बनाए हुए है।
सरकारी नीति से जुड़ा है कारोबार
हालांकि कंपनी की आर्थिक स्थिति और संभावनाएं मजबूत दिख रही हैं, लेकिन इसमें कुछ जोखिम भी शामिल हैं। एग्रोकेमिकल सेक्टर का सीधा असर मानसून, फसल की गुणवत्ता और सरकारी नीतियों से होता है। अगर मौसम खराब रहा या नीति में बदलाव हुए, तो कंपनी के कारोबार पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय बाजारों से कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव भी मुनाफे को प्रभावित कर सकता है।