लुधियाना उपचुनाव में हार के बाद कांग्रेस में गुटबाजी खुलकर सामने आई। तीन नेताओं ने इस्तीफा दिया। 2027 विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की रणनीति पर सवाल उठे।
Punjab Politics: लुधियाना पश्चिमी उपचुनाव में हार ने पंजाब कांग्रेस में अंतर्कलह को एक बार फिर सतह पर ला दिया है। कांग्रेस प्रत्याशी भारत भूषण आशु की पराजय के बाद पहले उन्होंने कार्यकारी प्रधान पद से इस्तीफा दिया और अब दो और वरिष्ठ नेताओं, परगट सिंह और कुशलदीप सिंह किक्की ढिल्लों ने भी उपाध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया है। यह घटनाक्रम आगामी 2027 विधानसभा चुनावों के लिहाज से पार्टी के लिए गंभीर चेतावनी मानी जा रही है।
हार के तुरंत बाद इस्तीफों का सिलसिला
लुधियाना पश्चिमी सीट से कांग्रेस प्रत्याशी भारत भूषण आशु की हार के बाद उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस कदम के बाद जालंधर कैंट के विधायक परगट सिंह और फरीदकोट के पूर्व विधायक कुशलदीप सिंह किक्की ढिल्लों ने भी पीपीसीसी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। इन इस्तीफों ने यह संकेत दिया है कि पार्टी के भीतर मतभेद गहराते जा रहे हैं।
गुटबाजी बनी हार की बड़ी वजह
2022 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था और उस समय भी पार्टी के भीतर आपसी फूट को इसका प्रमुख कारण माना गया था। अब 2025 में उपचुनाव के दौरान भी यही पैटर्न दोहराया गया है। पार्टी के भीतर यह धारणा बन चुकी है कि लुधियाना में हार इसलिए हुई क्योंकि प्रत्याशी भारत भूषण आशु को पार्टी की पर्याप्त एकजुटता और समर्थन नहीं मिला। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग के साथ तक खुद को नहीं जोड़ा।
संदेश पूरे पंजाब में गया
कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि लुधियाना का चुनाव सिर्फ एक सीट का मामला नहीं था, बल्कि इससे पंजाब भर में यह संदेश गया कि पार्टी अंदर से बंटी हुई है। आशु ने भले ही हार की जिम्मेदारी खुद ली हो, लेकिन उनके प्रचार में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की अनुपस्थिति ने मतदाताओं में यह धारणा बना दी कि कांग्रेस एकजुट नहीं है। यह संदेश भविष्य के चुनावों में कांग्रेस के लिए बड़ा नुकसान साबित हो सकता है।
भूपेश बघेल की भूमिका पर निगाहें
कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब कांग्रेस की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सौंपी है। अब सभी की निगाहें बघेल पर टिकी हैं कि वे पार्टी के अंदरूनी मतभेदों को कैसे सुलझाते हैं। उन्होंने संकेत दिया है कि वे जल्द ही पंजाब के नेताओं से मुलाकात कर स्थिति का जायजा लेंगे और अनुशासन बनाए रखने की दिशा में कदम उठाएंगे।
राजा वड़िंग की चुनौती
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग भी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि गुटबाजी की धारणा कांग्रेस को लंबे समय तक नुकसान पहुंचा सकती है। सूत्रों के अनुसार वे इस मसले पर हाईकमान से मिल सकते हैं ताकि पार्टी की छवि को नुकसान से बचाया जा सके। लुधियाना में हार के पीछे आशु की 'सोलो फाइट' को भी एक कारण माना जा रहा है।
नैतिकता के आधार पर दिया इस्तीफा
फरीदकोट के पूर्व विधायक कुशलदीप सिंह किक्की ढिल्लों ने भी पीपीसीसी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि यह इस्तीफा किसी नाराजगी के कारण नहीं बल्कि नैतिकता के आधार पर लिया गया निर्णय है। उन्होंने कहा कि उपचुनाव के दौरान पार्टी ने टीम वर्क के तहत प्रयास किया, लेकिन सरकार की धक्केशाही और वोटरों के फैसले को सम्मान देते हुए उन्होंने पद छोड़ने का फैसला किया।