नव निर्वाचित उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन जल्द ही विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं। इसे विपक्षी नेताओं के साथ संबंधों को बेहतर बनाने का प्रयास माना जा रहा है।
नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र के पहले नव निर्वाचित उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात करने जा रहे हैं। यह कदम राज्यसभा के सभापति के रूप में उनके संबंध सुधार और तालमेल बढ़ाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, राधाकृष्णन सात अक्टूबर को विभिन्न राजनीतिक दलों के उच्च सदन के नेताओं से अपनी पहली औपचारिक बैठक करेंगे।
उपराष्ट्रपतिki विपक्ष के साथ पहली औपचारिक बैठक
राधाकृष्णन ने नौ सितंबर को उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की थी। उनके पदभार ग्रहण करने के एक महीने के भीतर यह बैठक आयोजित की जा रही है। इस बैठक को उनके विपक्षी नेताओं के साथ संवाद और सहयोग बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के कार्यकाल में विपक्ष के साथ रिश्ते तनावपूर्ण रहे थे। ऐसे में राधाकृष्णन की यह पहल विपक्ष के साथ नए रिश्तों की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, यह मुलाकात संसद के शीतकालीन सत्र से कुछ दिन पहले हो रही है, जो अगले महीने शुरू होने की संभावना है। यह बैठक विपक्षी दलों के नेताओं के साथ सहयोग और संवाद सुनिश्चित करने का पहला औपचारिक प्रयास होगी। हालांकि, पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद 12 सितंबर को कुछ विपक्षी नेताओं ने राधाकृष्णन से बधाई दी थी, लेकिन आगामी बैठक को उनकी पहली औपचारिक और विस्तृत मुलाकात माना जा रहा है।
नेताओं से हुई पूर्व भेंट
इससे पहले दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शुक्रवार को उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात की थी। इसके अलावा केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी और केंद्रीय राज्य मंत्री सुरेश गोपी समेत कई नेताओं ने भी उपराष्ट्रपति से भेंट की। उपराष्ट्रपति कार्यालय ने इस भेंट की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा की थी।
पोस्ट में कहा गया कि केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी और केंद्रीय राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने उपराष्ट्रपति को मंत्रालय की कार्यप्रणाली, घरेलू ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने, ऊर्जा पहुंच, दक्षता, स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने की पहलों के बारे में जानकारी दी। साथ ही ऊर्जा परिवर्तन और सुधारों के लिए मंत्रालय की तैयारियों पर भी चर्चा हुई।
राज्यसभा के सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति का यह कदम संसदीय लोकतंत्र में सहयोग और संवाद को मजबूत करने का प्रयास माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि विपक्षी दलों के साथ बेहतर तालमेल से संसद का सत्र सुचारू और परिणाममुखी रूप से चल सकता है। यह पहल न केवल संसद के भीतर कार्यवाही के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि राजनीतिक स्थिरता और संवाद को बढ़ावा देने में भी मददगार साबित होगी।