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बिहार विधानसभा चुनाव: कौन बनेगा मगध का विजेता? जानिए एनडीए और महागठबंधन का चुनावी समीकरण

बिहार विधानसभा चुनाव: कौन बनेगा मगध का विजेता? जानिए  एनडीए और महागठबंधन का चुनावी समीकरण

चुनावी बिगुल बजने से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और जन सुराज पार्टी (जसुपा) के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने मगध प्रमंडल का दौरा कर अपनी-अपनी राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन किया।

गया: बिहार के मगध प्रमंडल में चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। आगामी विधानसभा चुनावों से पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और जन-सुराज पार्टी (Jaspa) के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने मगध के पांच जिलों औरंगाबाद, गया, जहानाबाद, अरवल और नवादा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए चुनावी माहौल को गरम कर दिया है।

पिछली बार एनडीए का प्रदर्शन मगध में निराशाजनक रहा था। 2020 में कुल 26 सीटों में से केवल छह पर एनडीए विजयी हुई थी, जबकि महागठबंधन ने 20 सीटों पर कब्जा जमाया था। इस बार एनडीए के सामने चुनौती यह है कि वह पिछली हार को भुलाकर बेहतर प्रदर्शन करे, वहीं महागठबंधन अपनी जीत का रिकॉर्ड बनाए रखने की जद्दोजहद में है।

मगध में एनडीए और महागठबंधन का समीकरण

2020 में एनडीए ने मगध की 26 सीटों में 11 सीटों पर चुनाव लड़ा। इसमें जदयू के 11 और भाजपा के 10 प्रत्याशी शामिल थे। जदयू केवल तीन सीटों पर सफल रही, जबकि जहानाबाद में उसने मैदान में कदम भी नहीं रखा। महागठबंधन के खेमे में राजद, कांग्रेस और माले ने अधिकांश सीटों पर सफलता पाई।Hindustani Awam Morcha (HAM) के नेतृत्व में जीतनराम मांझी ने एनडीए की तरफ से सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। गया, जहानाबाद और औरंगाबाद में उन्होंने कुल पांच उम्मीदवार खड़े किए, जिनमें से तीन ने जीत हासिल की। उपचुनाव में इमामगंज सीट पर मांझी की बहू दीपा मांझी पहली बार विधायक बनीं।

महागठबंधन ने औरंगाबाद की छह सीटों में राजद चार और कांग्रेस दो, नवादा की पांच सीटों में राजद तीन और कांग्रेस एक, जहानाबाद और अरवल में राजद तीन और माले दो, जबकि गया में राजद ने चार सीटों पर जीत दर्ज की थी।

एनडीए की नई रणनीति 

इस बार एनडीए अलग रणनीति अपनाकर चुनाव मैदान में उतरेगा। जहानाबाद जिले में सहयोगी पार्टी के प्रत्याशी सक्रिय नजर आ रहे हैं, जिससे चुनावी समीकरण बदल सकते हैं। औरंगाबाद में एनडीए का प्रदर्शन बेहतर होने की उम्मीद है, जहां पिछली बार कोई भी सीट नहीं मिली थी। नवादा जिले में टिकटों के फेरबदल से स्थिति बदल सकती है। गया की हृदयस्थली में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा तीन सीटों पर वर्चस्व बनाए हुए है। केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने हाल ही में एनडीए सम्मेलन में अपने तीन प्रमुख क्षेत्रों — टिकारी, इमामगंज और बाराचट्टी — में सिटिंग एमएलए को समर्थन दिया, जिससे उनका इरादा स्पष्ट हो गया है।

उपचुनाव में बेलागंज सीट की जीत ने यह संकेत दिया कि जदयू अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी अपने पंख फैलाने की तैयारी में है। वहीं, भाजपा अभी केवल दो सीटों पर काबिज है। गया शहरी सीट 35 वर्षों से डॉ. प्रेम कुमार के पास है और वजीरगंज सीट भी बीरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में है। अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा की नजर टिकी हुई है।

 

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