घाटशिला उपचुनाव से पहले झारखंड की राजनीति में हलचल बढ़ गई है। भाजपा के कई वरिष्ठ नेता मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मौजूदगी में झामुमो में शामिल हो गए। इससे भाजपा को झटका और झामुमो को बढ़त मिली है।
Jharkhand: झारखंड की राजनीति में घाटशिला उपचुनाव (Ghatshila By-Election 2025) के बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) को बड़ा झटका लगा है। पार्टी के कई कद्दावर नेताओं ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) का दामन थाम लिया। इनमें भाजपा के पूर्व ग्रामीण जिलाध्यक्ष सह प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सौरव चक्रवर्ती, घाटशिला मंडल अध्यक्ष कौशिक कुमार, मुसाबनी के पूर्व मंडल अध्यक्ष तुषारकांत पातर और सोशल मीडिया प्रभारी सुरेश महाली शामिल हैं। इन सभी नेताओं ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मौजूदगी में झामुमो की सदस्यता ग्रहण की।
हेमंत सोरेन ने दिलाई सदस्यता
रांची में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभी नेताओं को पार्टी का पट्टा पहनाकर झामुमो में शामिल किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि झारखंड की राजनीति नई दिशा में आगे बढ़ रही है और जो भी राज्य के हित में काम करना चाहता है, उसका स्वागत है। उन्होंने यह भी कहा कि झामुमो जनता के भरोसे और विकास की राजनीति पर आगे बढ़ रहा है।
BJP के लिए झटका, JMM के लिए बढ़त
यह घटनाक्रम भाजपा के लिए घाटशिला उपचुनाव से ठीक पहले बड़ा झटका माना जा रहा है। वहीं, झामुमो को स्थानीय स्तर पर इससे संगठनात्मक बढ़त मिलने की संभावना है। घाटशिला और आस-पास के इलाकों में सौरव चक्रवर्ती और उनके सहयोगियों का अच्छा जनाधार माना जाता है। ऐसे में इन नेताओं का भाजपा छोड़कर झामुमो में शामिल होना उपचुनाव के समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।
क्यों नाराज थे सौरव चक्रवर्ती

भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष सौरव चक्रवर्ती 2024 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी टिकट वितरण को लेकर नाराज हो गए थे। उस समय वे इस बात से असंतुष्ट थे कि पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन को टिकट दिया था। हालांकि पार्टी नेतृत्व ने तब उन्हें मनाने में सफलता पाई थी।
इस बार भी सौरव चक्रवर्ती टिकट वितरण को लेकर नाराज बताए जा रहे थे। उन्हें घाटशिला उपचुनाव में स्टार प्रचारक की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाने के बजाय अपने समर्थकों के साथ झामुमो में शामिल होने का रास्ता चुना।
स्थानीय समीकरणों पर असर
घाटशिला और मुसाबनी इलाकों में सौरव चक्रवर्ती और उनके साथियों का प्रभाव काफी माना जाता है। स्थानीय राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उनके पार्टी छोड़ने से भाजपा को नुकसान और झामुमो को फायदा हो सकता है। सौरव चक्रवर्ती पूर्व विधायक लक्ष्मण टुडू के करीबी माने जाते हैं, जिससे उनका संगठनात्मक प्रभाव और बढ़ जाता है।
JMM ने बताया जनभावनाओं का सम्मान
झामुमो नेताओं का कहना है कि भाजपा में आंतरिक असंतोष और उपेक्षा की राजनीति से तंग आकर ये सभी नेता पार्टी छोड़कर आए हैं। झामुमो ने इसे जनता की भावना का सम्मान बताया है। पार्टी प्रवक्ताओं के अनुसार, “झारखंड में जनता अब असली विकास चाहती है। हेमंत सोरेन की सरकार ने जो वादे किए हैं, उन्हें पूरा करने की दिशा में निरंतर काम हो रहा है। इसी कारण अन्य दलों के कार्यकर्ता अब हमारे साथ आ रहे हैं।”
BJP की प्रतिक्रिया
दूसरी ओर, भाजपा ने इन इस्तीफों को लेकर औपचारिक प्रतिक्रिया दी है। पार्टी नेताओं ने कहा कि जो लोग व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के कारण पार्टी छोड़ रहे हैं, उन्हें जनता की अदालत में जवाब देना होगा। भाजपा का कहना है कि वह संगठन को मजबूत करने पर ध्यान दे रही है और कुछ व्यक्तियों के जाने से उसका जनाधार प्रभावित नहीं होगा।












