यूक्रेनी दूल्हा-दुल्हन ने जोधपुर में हिंदू रीति-रिवाजों से विवाह किया। लाल जोड़े में सजी दुल्हन और पारंपरिक शेरवानी में दूल्हा ने भारतीय संस्कृति की सुंदरता को अपनाया।
जोधपुर: राजस्थान की सांस्कृतिक नगरी जोधपुर में हाल ही में एक अनोखा और रंगीन विवाह समारोह देखने को मिला, जिसमें यूक्रेन से आए विदेशी जोड़े ने हिंदू वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार शादी कर भारतीय संस्कृति को अपनाया। स्टानिस्लाव और एन्हेलिना ने मारवाड़ी परिधानों में सजकर परंपराओं का सम्मान किया और स्थानीय लोगों के बीच अपने सांस्कृतिक जुड़ाव की मिसाल पेश की।
विदेशी कपल ने भारतीय परंपरा अपनाई
विदेशी दूल्हा स्टानिस्लाव ने शेरवानी और पगड़ी पहनकर भारतीय विवाह की शान बढ़ाई। वहीं दुल्हन एन्हेलिना ने लाल और सुनहरे रंग की पारंपरिक मारवाड़ी दुल्हन की पोशाक पहनकर समारोह में चार चाँद लगा दिए। शादी समारोह में स्थानीय और विदेशी अतिथियों की बड़ी संख्या शामिल हुई, जिन्होंने बारात और विवाह संस्कार में उत्साहपूर्वक भाग लिया।
पारंपरिक भारतीय संगीत और बैंड-बाजे के साथ बारात निकाली गई। अतिथियों ने डांस और नृत्य के माध्यम से समारोह को जीवंत बनाया। विदेशी मित्रों ने भी भारतीय परंपरा के अनुसार नाच-गाना और उत्सव में सक्रिय भागीदारी दिखाई, जिससे समारोह में अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय संस्कृति का खूबसूरत मिश्रण नजर आया।
हल्दी से लेकर फेरे तक निभाई गई रस्में
विवाह की शुरुआत सुबह हल्दी की रस्म से हुई, जिसमें परिजन और मित्र दूल्हा-दुल्हन को हल्दी लगाकर मंगलकामनाएं देते नजर आए। हल्दी की रस्म के बाद विभिन्न पूर्व विवाह रस्में जैसे मेहंदी, संगीत और सजावट की परंपरागत तैयारियां की गईं। शाम को बारात के साथ दूल्हा-दुल्हन वैदिक मंत्रोच्चार में परिणय सूत्र में बंधे।
पंडितजी ने पारंपरिक पाणिग्रहण संस्कार और हथलेवा की रस्म के साथ अग्नि के चारों फेरे करवाए। इस दौरान दूल्हा-दुल्हन ने सात जन्मों तक एक-दूसरे के साथ रहने का संकल्प लिया। हर रस्म और अनुष्ठान भारतीय परंपरा के अनुरूप आयोजित किया गया, जिससे स्थानीय और विदेशी अतिथियों दोनों ने संस्कृति की महत्ता को महसूस किया।
विदेशी जोड़े को भारतीय संस्कृति ने किया प्रभावित
विवाह के बाद स्टानिस्लाव और एन्हेलिना ने बताया कि भारतीय विवाह संस्कार और हिंदू परंपरा उन्हें अत्यंत प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में विवाह सिर्फ सामाजिक बंधन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक यात्रा है, जो जीवन में स्थायित्व और शांति लाती है। कपल ने यह भी साझा किया कि उन्हें हिंदू रीति-रिवाज इसलिए अपनाना पसंद आया क्योंकि यह विवाह को सात जन्मों तक अटूट बनाए रखने का प्रतीक है।
उन्होंने आगे कहा कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं की गहराई ने उन्हें प्रभावित किया और उन्होंने भारतीय विवाह संस्कार को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने का निर्णय लिया। समारोह में शामिल अतिथियों ने भी उनकी इस भावना की सराहना की और जोधपुर की सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाया।
सात जन्मों का वचन
स्टानिस्लाव और एन्हेलिना ने सात जन्मों तक साथ रहने का वचन देते हुए विश्वास जताया कि यह विवाह उनके जीवन को नए अध्याय में प्रवेश कराएगा। दोनों ने कहा कि सनातन परंपराओं और संस्कारों से संपन्न यह विवाह उन्हें मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी मजबूत बनाएगा।
इस अनूठे समारोह ने दर्शाया कि भारतीय संस्कृति और परंपराएं न केवल देशवासियों के लिए बल्कि विदेशी नागरिकों के लिए भी आकर्षक और प्रेरणादायक हैं। इस प्रकार यह विवाह समारोह जोधपुर की सांस्कृतिक विरासत में अंतरराष्ट्रीय रंग जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण अवसर बन गया।