राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर वोट चोरी का गंभीर आरोप लगाया और वोटर लिस्ट से नाम हटाने के सबूत पेश किए। बीजेपी ने इसे राजनीति प्रेरित बताया, जबकि चुनाव आयोग ने प्रक्रिया को पारदर्शी बताते हुए सभी दावों को खारिज किया।
New Delhi: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर वोट चोरी का आरोप लगाते हुए कहा कि वोटर लिस्ट से नाम हटाने का खेल चल रहा है। राहुल ने इसके सबूत भी पेश किए। हालांकि, बीजेपी ने उनके आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए पलटवार किया और चुनाव आयोग ने भी इन दावों को खारिज कर दिया।
राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर हमला
नई दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव आयोग निष्पक्ष तरीके से काम नहीं कर रहा। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “सुबह 4 बजे उठो, 37 सेकंड में दो वोटर हटाओ और फिर सो जाओ।” राहुल का आरोप है कि कर्नाटक के आलंद में वोटर लिस्ट से बड़े पैमाने पर नाम हटाए गए हैं। उनका कहना है कि यह सब फर्जी लॉग-इन और बाहर के फोन नंबरों से 'सेंट्रलाइज्ड सॉफ्टवेयर' के जरिए किया गया।
'100 फीसदी पक्के सबूत' होने का दावा
राहुल गांधी ने कहा कि उनके पास वोटर लिस्ट से नाम हटाने के 100 फीसदी पक्के सबूत हैं। उन्होंने 37 सेकंड का एक वीडियो भी जारी किया। इसमें दिखाया गया कि 19 दिसंबर 2022 को सुबह 4 बजे सिर्फ 36 सेकंड में दो वोटरों के नाम हटा दिए गए। राहुल ने व्यंग्य करते हुए कहा, “चुनाव का चौकीदार जागता रहा, चोरी देखता रहा और चोरों की हिफाजत करता रहा।”
बीजेपी का पलटवार
राहुल के इस आरोप पर बीजेपी नेताओं ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि राहुल गांधी अपनी नाकाम नेतृत्व की वजह से कांग्रेस की हार छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। रिजिजू ने कहा, “गरीब, किसान और आम लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना नेता मानते हैं। राहुल जैसे लोग उस इंजन को रोकना चाहते हैं जो भारत को आगे बढ़ा रहा है।”
अनुराग ठाकुर ने भी राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में कांग्रेस 90 फीसदी चुनाव हार चुकी है। उन्होंने कहा, “राहुल की हताशा बढ़ती जा रही है। गलत और बेबुनियाद आरोप लगाना उनकी आदत बन गई है।”
चुनाव आयोग की सफाई
राहुल गांधी के आरोपों के बाद चुनाव आयोग ने भी बयान जारी किया। आयोग ने कहा कि वोटर लिस्ट से नाम हटाने का काम कोई आम व्यक्ति नहीं कर सकता। इसके लिए तय प्रक्रिया होती है और यह पूरी तरह पारदर्शी है। आयोग ने यह भी बताया कि कर्नाटक में 6,018 नाम हटाने की शिकायत खुद आयोग ने दर्ज की थी। खास बात यह है कि उस सीट पर कांग्रेस ने ही जीत हासिल की थी, न कि बीजेपी।