ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा यानी ज्येष्ठ पूर्णिमा हिंदू धर्म में बेहद शुभ और पावन माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है, इसलिए इस दिन किए गए धार्मिक कार्य और पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के व्रत और पूजा से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं और जीवन में समृद्धि व खुशहाली आती है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि साल 2025 में ज्येष्ठ पूर्णिमा कब है, इसका शुभ मुहूर्त क्या है और इस दिन कौन-कौन से उपाय करें जिससे आपके जीवन में कभी धन-धान्य की कमी न हो।
ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 की शुभ तिथि और मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2025 में ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि 10 जून को सुबह 11:39 बजे से शुरू होकर 11 जून की दोपहर 1:45 बजे तक रहेगी। लेकिन पूर्णिमा व्रत और पूजा 11 जून को ही मनाई जाएगी क्योंकि इस दिन ही पूर्णिमा तिथि की मान्यता है। वट सावित्री व्रत 10 जून को रखा जाएगा क्योंकि इसकी कथा भी इसी दिन दोपहर में होगी।
पूजा और व्रत का शुभ मुहूर्त:
- संकल्प लें: सुबह 5 बजे से 7 बजे के बीच
- पूजा करें: सूर्योदय के बाद 6 बजे से लेकर रात्रि 8 बजे तक
इस समय आप भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं और चंद्र दर्शन कर सकते हैं।
ज्येष्ठ पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
पूर्णिमा का दिन चंद्रमा की पूर्णता का प्रतीक होता है। चंद्रमा की पूर्ति से मनोबल, शांति और समृद्धि आती है। खासकर ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को विशेष रूप से महत्व दिया गया है क्योंकि यह दिन वट सावित्री व्रत का भी दिन होता है, जो पत्नियों की लंबी आयु और परिवार की खुशहाली के लिए होता है।
भगवान विष्णु को यह दिन बहुत प्रिय माना जाता है और मां लक्ष्मी इस दिन विशेष रूप से प्रसन्न होती हैं। इसलिए इस दिन की गई पूजा से धन-वैभव की प्राप्ति होती है और घर-परिवार में खुशहाली आती है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर करें ये खास उपाय और पूजा
- पीपल के पेड़ को जल अर्पित करें: ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन एक लोटे में पानी, दूध और थोड़ा सा मीठा (जैसे गुड़ या शहद) मिलाकर पीपल के पेड़ पर चढ़ाएं। यह कार्य धन-धान्य की प्राप्ति के लिए बेहद शुभ माना जाता है।
- चंद्र देव की पूजा: चंद्र देव को दूध में शहद और चंदन मिलाकर अर्घ्य दें। ऐसा करने से मानसिक शांति के साथ-साथ सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- शिवलिंग पर गंगाजल और दूध चढ़ाएं: गंगाजल में थोड़ा दूध मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाने से कुंडली में चंद्र दोष कम होता है और घर में धन-वैभव का वास होता है।
- लाल वस्त्र में चावल रखें: लाल रंग का कपड़ा लेकर उसमें चावल भरकर तिजोरी में रखें और चंद्र देव की पूजा करें। इससे आर्थिक समृद्धि बढ़ती है।
- मां लक्ष्मी का मंत्र जाप करें: शाम के समय 'ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः' मंत्र का जाप करें। यह मंत्र मां लक्ष्मी को प्रसन्न करता है और धन-वैभव की प्राप्ति होती है।
- चावल दान करें: इस दिन चावल दान करना अत्यंत पुण्य का काम माना जाता है। इससे घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती।
- घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाएं: घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक चिन्ह बनाएं और आम या अशोक के पत्तों से बंदनवार या तोरण लगाएं। इससे मां लक्ष्मी का वास घर में होता है और घर में खुशहाली आती है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत कैसे करें?
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- व्रत के संकल्प लें और भगवान विष्णु तथा मां लक्ष्मी की पूजा करें।
- ध्यान रखें कि व्रत के दिन तामसिक भोजन से बचें और हल्का, सात्विक भोजन करें।
- दिन भर शुद्ध मन से पूजा करें और चंद्र दर्शन जरूर करें।
- शाम को मां लक्ष्मी का मंत्र जाप करें और चावल दान करें।
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर चंद्र दर्शन क्यों जरूरी है?
चंद्रमा की पूजा और दर्शन पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं। चंद्रमा हमारे मन, मस्तिष्क और भावनाओं का प्रतीक है। चंद्र दर्शन से मानसिक शांति, तनाव से मुक्ति और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, ज्येष्ठ पूर्णिमा पर चंद्र देव को दूध अर्पित करने से चंद्र दोष कम होता है और जीवन में खुशहाली आती है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा का दिन धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और धन-वैभव का वास होता है। ऊपर बताए गए उपायों और पूजा विधियों को अपनाकर आप अपने घर और परिवार को खुशहाल बना सकते हैं।