विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि कोविड, संघर्ष और व्यापारिक बदलाव के दौर में भारत को आत्मनिर्भरता, मजबूत घरेलू मांग और संस्कृति को संजोकर आगे बढ़ना होगा।
Jaishankar: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि आज की दुनिया अस्थिरता और अनिश्चितता से गुजर रही है, जहां कोविड महामारी, अंतरराष्ट्रीय संघर्ष और व्यापारिक बदलाव लगातार चुनौतियां पेश कर रहे हैं। ऐसे दौर में आत्मनिर्भरता और मजबूत घरेलू मांग ही सफलता का रास्ता है। उन्होंने भारतीय संस्कृति, पर्यटन और परंपराओं की अहमियत पर भी जोर दिया।
दुनिया में अस्थिरता और अनिश्चितता का दौर
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि हम एक ऐसे समय में रह रहे हैं जो अस्थिरता और अनिश्चितता से भरा हुआ है। कोविड महामारी के प्रभाव, कई जारी संघर्ष और वैश्विक व्यापार में बड़े बदलाव लगातार हमारे सामने चुनौतियां पेश कर रहे हैं। इन हालात से निपटने के लिए आत्मनिर्भरता की मानसिकता अपनाना बेहद जरूरी है। दुनिया भर के देशों में जो राष्ट्र मजबूत घरेलू मांग पर आधारित हैं, उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया है और भविष्य में भी वे इसी तरह आगे बढ़ेंगे।
‘अजेय भारत की भावना’ पर जोर
जयशंकर ने अपने संबोधन में कार्यक्रम के विषय ‘अजेय भारत की भावना’ का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत एक सभ्यतागत राष्ट्र है, जिसने समय की कसौटी पर खरा उतरते हुए अपनी संस्कृति, परंपराओं और विरासत को सुरक्षित रखा है। उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण और शहरीकरण के युग में परंपराएं अक्सर समय के साथ खो जाती हैं, लेकिन भारत ने इन्हें संजोकर पर्यटन को और आकर्षक बना दिया है।
संस्कृति और परंपराएं: भारत की असली ताकत
विदेश मंत्री ने कहा कि हमारी असली ताकत हमारे लोग और उनका आत्मविश्वास हैं। विपरीत परिस्थितियों में भी हमने न केवल टिके रहे बल्कि प्रगति की दिशा में आगे बढ़ते रहे। भारत ने हर मुश्किल का सामना करते हुए विकास और समृद्धि की ओर कदम बढ़ाए हैं।
कोविड, संघर्ष और व्यापारिक बदलाव की चुनौती
बिना किसी देश का नाम लिए जयशंकर ने कहा कि मौजूदा समय में कोविड महामारी के बाद भी कई संघर्ष जारी हैं और वैश्विक व्यापार का ढांचा तेजी से बदल रहा है। यह बदलाव कई देशों के लिए अवसर भी है और चुनौती भी।
विदेश मंत्री ने कहा कि ऐसे समय में पर्यटन क्षेत्र की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता। यह न केवल आर्थिक विकास में योगदान देता है, बल्कि बुनियादी ढांचे के निर्माण, उद्यमिता, रचनात्मकता, कौशल विकास और रोजगार सृजन में भी अहम योगदान करता है। उन्होंने कहा कि पर्यटन उन चुनिंदा गतिविधियों में से एक है जो अर्थव्यवस्था को ऊर्जा देती है और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करती है।