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कांग्रेस नेता उदित राज का केंद्र पर हमला: 130वें संशोधन विधेयक बिल पर उठाए गंभीर सवाल

कांग्रेस नेता उदित राज का केंद्र पर हमला: 130वें संशोधन विधेयक बिल पर उठाए गंभीर सवाल

कांग्रेस नेता उदित राज ने 130वें संवैधानिक संशोधन विधेयक को लेकर केंद्र सरकार पर हमला किया है। उनका कहना है कि यह बिल केवल विपक्ष के खिलाफ है और प्रधानमंत्री पर असर नहीं डालेगा। उन्होंने सवाल उठाया कि पिछले 11 वर्षों में कितने बीजेपी नेताओं पर कार्रवाई हुई। बिल वर्तमान में जेपीसी में विचाराधीन है।

नहीं दिल्ली: कांग्रेस नेता उदित राज ने 130वें संशोधन विधेयक को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि यह बिल केवल विपक्ष के खिलाफ है और एनडीए के कई नेताओं को भी यह मंज़ूर नहीं। दिल्ली में दिए बयान में उदित राज ने सवाल उठाया कि पिछले 11 वर्षों में कितने बीजेपी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई हुई। विधेयक फिलहाल जेपीसी के पास विचाराधीन है और इसमें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को स्वतः हटाने का प्रस्ताव है।

विपक्ष और एनडीए में 130वें संशोधन बिल को लेकर मतभेद

उदित राज ने एजेंसी बातचीत में कहा कि कांग्रेस पार्टी के कई सदस्य नैतिक आधार पर बिल का समर्थन कर सकते हैं, लेकिन एनडीए में कई ऐसे नेता हैं जिन्हें यह विधेयक पसंद नहीं है। उनका मानना है कि अगर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को हटाने वाला बिल केवल सत्तापक्ष के लिए बना होता है, तो लोकतंत्र की गरिमा पर प्रश्न उठता है।

इस बिल को फिलहाल जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) के पास भेजा गया है। वहीं कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इस समिति में भाग नहीं ले रही हैं। विपक्ष का कहना है कि इस विधेयक में कुछ संवैधानिक और राजनीतिक मुद्दे हैं, जिन्हें समय रहते हल करना जरूरी है।

गृह मंत्री अमित शाह का बयान

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस बिल को लेकर साफ किया कि संविधान का 130वां संशोधन विधेयक 2025 में पारित हो जाएगा। इस विधेयक में प्रस्ताव है कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्री 5 साल या उससे अधिक कारावास की सजा वाले मामलों में लगातार 30 दिनों तक हिरासत में होने पर स्वतः पद से हटाए जाएं।

अमित शाह ने कहा कि इस विधेयक में किसी तरह की असुरक्षा नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि गिरफ्तार होने के बाद भी अगर जमानत नहीं मिलती, तो संबंधित व्यक्ति को पद छोड़ना पड़ेगा, और जेल से सरकार नहीं चलेगी।

विपक्ष ने बिल पर जताई चिंता

विपक्ष का मानना है कि यह बिल केवल विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाने के लिए लाया गया है। उदित राज ने कहा कि इतने वर्षों में बीजेपी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई का अनुपात बेहद कम रहा है, और अगर यह बिल केवल सत्तापक्ष के लिए लागू होता है, तो यह लोकतंत्र की मूलभूत संरचना के खिलाफ होगा।

इस बीच, एनडीए का कहना है कि विधेयक समान रूप से लागू होगा, चाहे व्यक्ति सत्तापक्ष का हो या विपक्ष का। दोनों पक्षों के बीच बहस संसद में लंबी और विवादास्पद होने की संभावना है।

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