कानपुर में राहगीर को अचानक हार्ट अटैक आया। बकरमंडी चौकी इंचार्ज रोहित तोमर ने CPR देकर उसकी जान बचाई। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और पुलिस के मानवीय चेहरे को सराहा जा रहा है।
कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक दिल छू लेने वाली खबर सामने आई है। शहर में एक राहगीर को अचानक हार्ट अटैक आया और वह वहीं बेहोश होकर गिर पड़ा। पीड़ित की पत्नी मदद की गुहार लगाने लगी। इसी दौरान बकरमंडी चौकी के इंचार्ज दारोगा रोहित तोमर ने मौके पर सीपीआर (Cardiopulmonary Resuscitation) देकर उनकी जान बचाई।
वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें दिख रहा है कि दारोगा मरीज के सीने पर हाथ रखकर सीपीआर दे रहे हैं, जबकि पीड़ित की पत्नी मुंह से सांस देने का प्रयास कर रही हैं।
मरीज को सांस दिलाकर अस्पताल भेजा गया
घटना मूलगंज क्षेत्र में हुई। महिला अपने पति को बेसुध हालत में देखकर बदहवास हो गई। पास ही खड़े बकरमंडी चौकी इंचार्ज रोहित तोमर ने तुरंत स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) तकनीक का इस्तेमाल करते हुए मरीज को सांस दिलाई।
रोहित तोमर ने अपने प्रशिक्षण का उपयोग करते हुए मरीज के सीने पर नियमित दबाव डाला और उसे मुंह से सांस दी। कुछ ही मिनटों में मरीज ने होश पाया और उसे पत्नी के साथ उर्सला अस्पताल भेजा गया। इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें दारोगा और पत्नी की संयुक्त कोशिश को देखा जा सकता है।
सीपीआर जीवन रक्षक तकनीक
सीपीआर एक ऐसी तकनीक है, जो तब उपयोग की जाती है जब किसी व्यक्ति की धड़कन रुक जाए या सांस न चल रही हो। इसका उद्देश्य दिल की धड़कन को पुनः चालू करना और मस्तिष्क व अन्य महत्वपूर्ण अंगों तक ऑक्सीजन की आपूर्ति बनाए रखना है।
हार्ट अटैक आने पर मरीज की छाती पर दोनों हाथ रखकर प्रति मिनट 100-120 बार दबाव डाला जाता है। हर 30 दबाव के बाद मरीज को दो बार मुंह से सांस दी जाती है। यह प्रक्रिया तब तक जारी रखी जाती है जब तक व्यक्ति होश में न आ जाए या और मदद न पहुंच जाए।
रोहित तोमर ने बचाई नागरिक की जान
रोहित तोमर ने सीपीआर प्रशिक्षण प्राप्त किया हुआ था, जिसे उन्होंने वास्तविक स्थिति में लागू किया। कानपुर कमिश्नरेट पुलिस समय-समय पर अपने स्टाफ को सीपीआर और जीवन रक्षक तकनीक पर प्रशिक्षित करती है, ताकि किसी भी विषम परिस्थितियों में नागरिकों की जान बचाई जा सके। इस प्रशिक्षण के कारण ही दारोगा ने तुरंत निर्णय लिया और मरीज को गंभीर स्थिति से बाहर निकाला। पीड़ित की पत्नी ने दारोगा का आभार जताया और उनकी सराहना की।