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"क्या आप जानते हैं? भारत के पास है दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र - सियाचिन ग्लेशियर!"

लद्दाख में स्थित सियाचिन ग्लेशियर को दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र के रूप में मान्यता प्राप्त है, जिसकी ऊंचाई 20,000 फीट से अधिक है।

भारतीय सेनाएं इस चुनौतीपूर्ण माहौल में सैन्य उपस्थिति बनाए रखते हुए 1984 से सियाचिन में तैनात हैं। कठोर मौसम, हिमस्खलन और अत्यधिक ठंड सहित चरम स्थितियाँ, सैनिकों के स्वास्थ्य और परिचालन क्षमताओं के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करती हैं। मौजूदा सैन्य उपस्थिति इस क्षेत्र में, विशेष रूप से इसकी उत्तरी सीमाओं के संबंध में, भारत के रणनीतिक हितों को दर्शाती है। ऐसे दुर्गम इलाके में रसद और आपूर्ति का प्रबंधन करने के लिए परिष्कृत योजना और संसाधनों की आवश्यकता होती है, जो भारतीय सशस्त्र बलों के लचीलेपन और प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।

यहां सियाचिन ग्लेशियर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य हैं

ऊँचाई: सियाचिन ग्लेशियर की ऊँचाई 20,000 फीट (6,100 मीटर) से अधिक है, जो इसे दुनिया का सबसे ऊँचा युद्धक्षेत्र बनाती है।

तैनाती: भारतीय सेना 1984 से सियाचिन में तैनात है, जब ऑपरेशन मेघदूत के तहत इसे नियंत्रण में लिया गया था।

कठोर मौसम: यहाँ का मौसम अत्यंत कठिन है, जिसमें तापमान -50 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है और तेज़ हवाएँ भी आम हैं।

हिमस्खलन का खतरा: इस क्षेत्र में हिमस्खलन एक बड़ा खतरा है, जिससे सैनिकों और उनकी सैन्य गतिविधियों पर असर पड़ता है।

सप्लाई चेन चैलेंज: इस दुर्गम इलाके में रसद और आपूर्ति की व्यवस्था करना अत्यंत चुनौतीपूर्ण है, जिससे भारतीय सशस्त्र बलों की योजना और संगठनात्मक क्षमताएँ प्रदर्शित होती हैं।

संवेदनशीलता: सियाचिन की स्थिति भारत की उत्तरी सीमाओं की सुरक्षा के लिए रणनीतिक महत्व रखती है, जिससे यह क्षेत्र दोनों देशों के बीच तनाव का कारण भी बनता है।

शारीरिक चुनौतियाँ: ऊँचाई पर तैनात सैनिकों को उच्च ऊँचाई की बीमारी, शारीरिक थकावट और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं।

 

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