संसद में बुधवार को विधायी कार्य से अधिक हंगामा देखने को मिला। भाजपा सांसदों ने जय श्री राम के नारे लगाए, तो विपक्षी सांसदों ने अस्सलामु अलैकुम कहकर पलटवार किया। कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी।
Parliament Slogans: संसद का मानसून सत्र एक बार फिर हंगामे और नारेबाजी की भेंट चढ़ गया है। बुधवार को लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही सदनों की कार्यवाही को दो-दो बार स्थगित करना पड़ा। विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी नोकझोंक और नारेबाजी ने संसदीय कार्यवाही को बाधित कर दिया। मानसून सत्र की शुरुआत से अब तक 11 से अधिक बैठकों में यही स्थिति बनी हुई है, जिससे यह सत्र अब तक के सबसे कम प्रभावी सत्रों में से एक बन गया है।
लोकसभा में जय श्री राम बनाम अस्सलामु अलैकुम
बुधवार को लोकसभा में जो दृश्य सामने आया, वह राजनीतिक ध्रुवीकरण का प्रतीक बन गया। जैसे ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सदन में पहुंचे, भाजपा सांसदों ने "जय श्री राम" के नारे लगाकर उनका स्वागत किया। इसके जवाब में विपक्षी सांसदों ने "अस्सलामु अलैकुम, सर" कहकर प्रतिक्रिया दी। यह घटनाक्रम केवल राजनीतिक विरोध का नहीं, बल्कि धार्मिक पहचान को लेकर हो रही बयानबाज़ी का भी प्रतीक बन गया है। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है और आम जनता के बीच इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
हंगामे की वजह से विधायी कामकाज बाधित
हालांकि सरकार ने बुधवार को पांच प्रमुख विधेयकों को पारित कराने का लक्ष्य तय किया था, लेकिन विपक्ष के निरंतर विरोध और हंगामे के कारण केवल एक विधेयक ही पारित हो सका। लोकसभा ने गोवा राज्य के विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व का पुनर्समायोजन विधेयक, 2024 को पारित किया। अन्य विधेयक विचाराधीन ही रह गए।
राज्यसभा में भी जारी रहा गतिरोध
राज्यसभा में भी हालात कुछ अलग नहीं रहे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीच उस समय बहस तेज हो गई जब खड़गे ने उच्च सदन में CISF कर्मियों की तैनाती को लेकर सवाल उठाए। खड़गे का कहना था कि यह संसदीय परंपराओं के खिलाफ है। वहीं, नड्डा ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि यह सुरक्षा की दृष्टि से उठाया गया कदम है।
राजनीतिक ध्रुवीकरण का नया उदाहरण
लोकसभा में धार्मिक नारों का टकराव इस बात की ओर संकेत करता है कि संसद अब महज विधायी कार्यों का मंच नहीं रह गया है, बल्कि वह धार्मिक और राजनीतिक संदेश देने का स्थान भी बनता जा रहा है। "जय श्री राम" और "अस्सलामु अलैकुम" जैसे नारों का इस्तेमाल यह दिखाता है कि राजनीतिक दल अब धर्म को भी एक रणनीतिक उपकरण की तरह उपयोग करने लगे हैं।
विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार जनता के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा से बच रही है। वहीं सत्ता पक्ष का दावा है कि विपक्ष केवल बाधा उत्पन्न कर रहा है और संसद को काम नहीं करने दे रहा। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर लोकतांत्रिक मूल्यों के हनन का आरोप लगा रहे हैं।