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मौलाना मुहिब्बुल्लाह का मस्जिद में सियासी वीडियो वायरल, इस्लामी विद्वानों की कड़ी आलोचना

मौलाना मुहिब्बुल्लाह का मस्जिद में सियासी वीडियो वायरल, इस्लामी विद्वानों की कड़ी आलोचना

सपा सांसद मौलाना मुहिब्बुल्लाह का मस्जिद में सियासी चर्चा करते वीडियो वायरल होने पर इस्लामी विद्वानों और मुस्लिम समाज में नाराजगी है। धार्मिक नेताओं ने इसे शरीअत के खिलाफ बताते हुए माफी की मांग की है। विपक्ष ने सपा पर हमला बोला है, जबकि सोशल मीडिया पर आलोचना तेज हो गई है।

Saharanpur: रामपुर से समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद मौलाना मुहिब्बुल्लाह नदवी एक बार फिर चर्चा के केंद्र में हैं, लेकिन इस बार वजह उनका कोई सियासी बयान नहीं, बल्कि मस्जिद में सियासत करना है। एक वायरल वीडियो में मौलाना मुहिब्बुल्लाह, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और कुछ महिला प्रतिनिधियों के साथ मस्जिद के अंदर, इमाम के मुसल्ले के पास राजनीतिक चर्चा करते नजर आ रहे हैं। यह दृश्य सामने आते ही न केवल धार्मिक गलियारों में, बल्कि राजनीतिक क्षेत्रों में भी आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया है।

मस्जिद में राजनीति: कहाँ खड़ी होती है शरीअत?

इस्लामी जगत के वरिष्ठ विद्वान और मक्का शरीफ से जुड़े मौलाना कारी इसहाक गोरा ने इस घटना की तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि मस्जिद को राजनीतिक मंच बनाना शरीअत के सख्त खिलाफ है। उनका कहना है कि मस्जिद अल्लाह का घर है, जहां केवल इबादत, तिलावत और रूहानी सुकून की बातें होनी चाहिए। कारी इसहाक ने कहा, 'मस्जिदें सियासत के लिए नहीं होतीं। वहां इस्लाम के नियमों का पालन अनिवार्य है। यह अल्लाह की पाक जगह है। जो लोग अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए मस्जिद का इस्तेमाल करते हैं, वे न केवल शरीअत का उल्लंघन करते हैं, बल्कि पूरे मुस्लिम समाज की भावनाओं को भी आहत करते हैं।' 

मौलाना मुहिब्बुल्लाह से माफी की मांग

कारी इसहाक गोरा ने साफ कहा कि मौलाना मुहिब्बुल्लाह को इस पूरे कृत्य के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए और अल्लाह से तौबा करनी चाहिए। उनका यह भी कहना था कि अखिलेश यादव जैसे वरिष्ठ नेता को भी इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि धार्मिक स्थलों की पवित्रता और गरिमा बनी रहे। इस वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कई मुस्लिम संगठनों और मौलवियों ने भी इस मुद्दे पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि मस्जिद को राजनीतिक इस्तेमाल के लिए इस्तेमाल करना इस्लामी परंपराओं और मूल्यों का सीधा उल्लंघन है।

राजनीति और धर्म के घालमेल पर विपक्ष का निशाना

यह मामला अब विपक्षी दलों के लिए भी हथियार बन चुका है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सहित अन्य दलों ने सपा पर तीखा हमला बोला है। भाजपा प्रवक्ता ने बयान जारी करते हुए कहा, 'सपा नेताओं को मस्जिद की पवित्रता का कोई ख्याल नहीं है। चुनावी फायदे के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। यह घटना उनके असली चरित्र को उजागर करती है।'

मुस्लिम समाज में नाराजगी, सोशल मीडिया पर उबाल

घटना के बाद मुस्लिम समुदाय के कई वर्गों में नाराजगी देखी गई। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे X (पूर्व में ट्विटर), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर मौलाना मुहिब्बुल्लाह के खिलाफ तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोगों ने इसे इस्लाम की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला बताया, तो कुछ ने सपा को मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति करने वाला दल करार दिया।

क्या बोले मौलाना और अखिलेश?

अब तक मौलाना मुहिब्बुल्लाह नदवी या अखिलेश यादव की ओर से इस विवाद पर कोई औपचारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि सपा के कुछ कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह एक सामान्य भेंट थी और मस्जिद के अंदर कोई राजनीतिक सभा नहीं हुई। लेकिन जिस प्रकार से वीडियो में इमाम के मुसल्ले के पास नेताओं की बैठक नजर आ रही है, वह दावे को कमजोर करती है।

क्या कहते हैं धार्मिक नियम और कानून?

इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार मस्जिद एक पवित्र स्थान है जहां दुनिया की बातों, विशेषकर राजनीति, से परहेज़ करने की सलाह दी जाती है। शरीअत के तहत मस्जिद का उपयोग केवल धार्मिक कार्यों, इबादत और शिक्षा के लिए होता है। भारत में भी धार्मिक स्थलों के राजनीतिक इस्तेमाल पर विवाद होते रहे हैं और चुनाव आयोग समय-समय पर ऐसे मामलों में दिशा-निर्देश भी जारी करता रहा है।

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